ऑटो रिक्शा चालकों और यात्रियों की कहानी
जुड़वां शहर में करीब 25 हजार ऑटो रिक्शा
हुब्बल्ली. हुब्बल्ली-धारवाड़ में बड़ी संख्या में ऑटो रिक्शा चलते हैं। ऑटोरिक्शा चालक यात्रियों की अपेक्षाओं के अनुरूप सेवा प्रदान करने का प्रयास करते हैं परन्तु अमल में नहीं आते नियम, पूरी नहीं होती मांग, महंगाई, अस्वास्थ्य प्रतिस्पर्धा और रंजिशे सभी ऑटो रिक्शा चालकों और यात्रियों की कहानी बताते हैं।

सात हजार रिक्शा अवैध चल रहे

जुड़वां शहर में करीब 25 हजार ऑटो रिक्शा हैं। इनमें से 15 हजार हुब्बल्ली में और 10 हजार धारवाड़ में घूमते हैं। इनमें से लगभग 7,000 ऑटो रिक्शा अवैध रूप से चलते हैं। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) और पुलिस के लगातार अभियानों को छोड़कर, कोई अपेक्षित बदलाव नहीं हुआ है।

दो दशक पहले ऑटो चालकों का संगठन अपनी एकजुटता के लिए जाना जाता था। कर्नाटक राज्योत्सव के मौके पर कन्नड़ प्रांत-भाषा के नाम से भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे। हाल ही में संगठनों के बीच दरार पडऩे से व्यक्तिगत प्रतिष्ठा भी सामने आ गई है। कुछ ऑटो रिक्शा चालक आपराधिक गतिविधियों में शामिल हैं और इससे अन्य चालकों पर भी कलंक लगा है।

त्रिशंकु स्थिति बनी

ऑटो रिक्शा चालकों का कहना है कि साल भर सडक़ का काम, गड्ढों वाली अंदरूनी सडक़ों पर ऑटो रिक्शा चलाना बड़ी समस्या है। पापी पेट के लिए ऑटो रिक्शा चलाना ही चाहिए। फिर, ऑटो रिक्शा के एक-एक हिस्से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। कभी-कभी इसकी मरम्मत के लिए एक सप्ताह की कमाई भी पर्याप्त नहीं होती है। अधिक किराया नहीं मांग सकते। नहीं मांगने पर परिवार का खर्च नहीं संभालेगा। हमारी त्रिशंकु स्थिति बन गई है। सरकार भी कोई सुविधा नहीं दे रही है।

बीमा नहीं तो चलाने की अनुमति नहीं देें

गोकुला रोड के व्यवसायी रामकुमार शिंदे ने बताया कि कुछ ऑटो रिक्शा सात-आठ लोगों को हस्तांतरित हुए हैं। इसका असली मालिक कौन है यही पता नहीं है। फिलहाल ऑटो रिक्शा चलाने वालों के नाम पर भी नहीं है। जिस व्यक्ति ने इसे बेचा वह शहर छोड़ चुका होगा या मर गया होगा। ऑटो रिक्शा खरीदते ही उसका रजिस्ट्रेशन करा लेना चाहिए। जिन ऑटो रिक्शा का बीमा नहीं है और उनमें मीटर नहीं लगे हैं, उन्हें चलने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।

अधिकारियों पर राजनीतिक दबाव

जुड़वा शहर के ऑटो रिक्शा में डिजिटल किराया मीटर लगाना आज, कल की योजना नहीं है। दस-पंद्रह साल पहले ही योजना बनी थी। आठ साल पहले जिलाधिकारी रहीं दीपा चोळन ने इसे फिर से पुनर्जीवित किया। मीटर लगाना अनिवार्य करने का आदेश दिया और ऑटो रिक्शा चालकों को समय दिया। बाद में पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारियों ने मीटर नहीं लगाने वाले ऑटो रिक्शा के खिलाफ संयुक्त अभियान चलाया और कुछ ऑटो रिक्शा को जब्त कर चेतावनी दी। अवैज्ञानिक मीटर रेट, मीटर मरम्मत की समस्या को लेकर ऑटो रिक्शा संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया। अधिकारियों पर राजनीतिक दबाव भी पड़ा।

कुल 200 ऑटो रिक्शा स्टैंड

हुब्बल्ली शहर में 150 और धारवाड़ शहर में 50 समेत कुल 200 ऑटो रिक्शा स्टैंड हैं। हुब्बल्ली दुर्गद बयलु के पास का ऑटो रिक्शा स्टैंड मात्र नगर निगम की ओर से निर्मित एकमात्र आधिकारिक ऑटो रिक्शा स्टैंड है। जिला प्रशासन ने एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और गोकुल न्यू बस स्टैंड समेत पांच जगहों पर ऑटो रिक्शा स्टैंड बनाने की मंजूरी दी है परन्तु अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है। भले ही ऑटो रिक्शा चालक दशकों से एक सुसज्जित ऑटो रिक्शा स्टैंड के लिए संघर्ष कर रहे हैं परन्तु शासन करने वाले वर्ग की कानों तक अभी तक आवाज पहुंची है।

जुर्माना भरकर छुड़वा लेते हैं

हम अक्सर बिना परमिट के चलने वाले ऑटो रिक्शा के खिलाफ अभियान चलाकर, ऑटो रिक्शा को जब्त कर लेते हैं। अनिवार्य तौर पर दस्तावेजों को साथ रखकर ही ऑटो रिक्शा चलाना चाहिए। वे जुर्माना भरकर छुड़वा लेते हैं। फिर वही ऑटो रिक्शा सडक़ पर उतरता है। हम सिर्फ जुर्माना वसूल सकते हैं, इससे अधिक कुछ नहीं किया जा सकता।

– के. दामोदर, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी

कई चालकों के पास दस्तावेज नहीं

वास्तविक ऑटो रिक्शा चालक यात्रियों के अनुकूल होने के लिए सुबह से रात तक काम करते हैं परन्तु रात में ऑटो रिक्शा चलाने वाले कुछ लोगों के पास कोई दस्तावेज नहीं होते हैं। उनमें से कुछ आपराधिक मामलों में शामिल हो रहे हैं। यह भी देखा गया है कि यात्रियों से रात में तीन से चार गुना अधिक किराया वसूलते हैं। वे हमारे संगठन के सदस्य नहीं हैं।

-शेखरय्या मठपति, अध्यक्ष, उ. कर्नाटक ऑटो रिक्शा चालक/ मालिक संघ

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