
व्यवसायी वसंत लदवा ने सरकार से की मांग
हुब्बल्ली. कर्नाटक वाणिज्य एवं उद्योग संस्था हुब्बल्ली के पूर्व अध्यक्ष वसंत लदवा ने कहा कि केंद्र सरकार ने संविधान के 103वें संशोधन के अनुसार आर्थिक रूप से कमजोर शुमार करने के लिए वार्षिक आय आठ लाख रुपए तय किया है।
पत्रिका से विशेष बातचीत में लदवा ने कहा कि यही मानदंड आयकर विभाग पर भी लागू होना चाहिए। केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि 8 लाख रुपए की आय वाले आर्थिक रूप से कमजोर (गरीब) हैं, ऐसे में केवल 2 लाख 50 हजार रुपए से अधिक आय वालों पर आयकर लगाना संविधान की इच्छा के विरुद्ध है।
इसलिए केंद्र सरकार को वित्तीय वर्ष 2023-24 से आयकर आधार छूट की सीमा बढ़ाकर 8 लाख रुपए करना चाहिए।
2014 से, केंद्र सरकार ने आयकर अधिनियम के अनुसार कर आधार छूट की सीमा में वृद्धि नहीं की है। 2014 से 2023 के दौरान मुद्रास्फीति सूचकांक लागत 200 अंक से बढकऱ 331 हो गई है। आर्थिक मंदी, अनियंत्रित मुद्रास्फीति और आम लोगों की घटती प्रति व्यक्ति आय के संदर्भ में, आयकर छूट की सीमा 8 लाख रुपए ब?ाना जरूरी है।
केंद्र सरकार सबसे अमीर कॉर्पोरेट कंपनियों पर केवल 22 से 25 फीसदी आयकर लगा रही है तो सहकारी सिद्धांतों पर चलने वाली सहकारिता संघों पर 30फीसदी कर लगाना न्यायसंगत नहीं है। इसके चलते आगामी 2023-24 के बजट में मूल आय सीमा को 8 लाख बढ़ाना चाहिए।