दो वर्षों से नहीं मिली गति

हुब्बल्ली. ग्राम सड़क परियोजनाओं को जितनी अच्छी तरह से किया जाएगा, ग्रामीण जीवन और कृषि गतिविधियों को उतना ही बढ़ावा मिलेगा परन्तु क्या कोरोना का बहाना है यो फिर आर्थिक व्यवधान पता नहीं है। पछले दो वर्षों में मंजूर सड़क विकास कार्यों में गति नहीं आई है।

वर्ष 2019-20 में कुल 79 किमी सड़कों को मंजूरी दी गई है और इसमें से 67 किमी सड़कों का निर्माण पूरा हो चुका है। वर्ष 2020-21 में 38.36 किमी सड़क स्वीकृत की गई है और इसमें से 5.14 किमी सड़क पूरी हो चुकी है। वर्ष 2021-22 में 47.39 किमी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना स्वीकृत की गई है, जिसमें से केवल 7.2 किमी सड़क का निर्माण ही हुआ है। शेष कार्य प्रगति पर है।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने न केवल ग्रामीण भारत में संचार प्रणाली में सुधार किया है, बल्कि कृषि उत्पादों के परिवहन में भी काफी सुविधा प्रदान की है। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान शुरू की गई इस योजना की अवधारणा कर्नाटक के किसान आंदोलनकारी एवं वाजपेयी सरकार में कृषि राज्य मंत्री रहे बाबा गौड़ा पाटिल ने की थी।

कुछ क्षेत्रों में पहले से ही चल रहा है निर्माण

बैल गाड़ियों के जरिए ही कृषि उत्पादों का परिवहन करने और खेतों में जाने के लिए स्थित सदियों पूरानी सड़कों किसानों ने ही हर वर्ष नवीनीकरण कर संचालन कर रहे थे इन सड़कों को 1998 में मुक्ति मिली। उसी सरकार में राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों को सुधारा गया।

वर्ष 2000 से कुल तीन चरणों में जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का निर्माण शुरू हुआ। जिले में पहले चरण यानी 2010 तक 210 किमी सड़क का निर्माण किया गया था, दूसरे चरण में 2020 तक 270 किमी सड़क का निर्माण किया गया था। अब, 2020 के बाद 159 किमी सड़कों के निर्माण की योजना बनाई गई है और इनमें से कुछ क्षेत्रों में निर्माण कार्य पहले से ही चल रहा है।

बाढ़ की मार में नहीं हुआ सुधार लगातार तीन वर्षों से हर बरसात में कम से कम दो-तीन बार हुई भारी बारिश की मार से उपजे बाढ़ से बह गई ग्रामीण सड़कों की दशा सुधारने के लिए जिला प्रशासन व जिला पंचायत ने कुछ नहीं हो पा रहा है। 800 किमी से अधिक ग्रामीण सड़कें ढह गई हैं, गड्ढे़े हो गए हैं और डामर उखड़ गया है। उनका मरम्मत कार्य अस्थायी तौर पर किया गया है और साफ-सुथरा नहीं हुआ है।

तत्काल मरम्मत के लिए योजना तैयार

वर्तमान में, ग्रामीण सड़कों के निर्माण और मरम्मत के लिए 70 करोड़ रुपए से अधिक राशि का आवंटन किया गया है परन्तु बारिश सड़कों के निर्माण के लिए समय ही नहीं दे रही है। इसलिए बारिश थमते ही सड़कों का सही तौर पर निर्माण किया जाएगा। बारिश से क्षतिग्रस्त हुई सड़कों की तत्काल मरम्मत के लिए योजना गठित की गई है।

-डॉ. सुरेश इटनाळ, सीईओ, जिला पंचायत, धारवाड़

ग्रामीण क्षेत्रों में एक गांव से दूसरे गांव जाने के लिए चक्कर काटकर जाना पड़ता है। इससे बचने के लिए ये सड़कें बहुत सुविधाजनक हैं। इस संबंध में और अधिक ग्राम सड़कों का निर्माण करना चाहिए।

-शिवलिंगप्पा जडेण्णवर, किसान, हेब्बाल

बंद हुई नम्मा होला नम्मा रस्ते योजना

छ ह साल पहले जिले में काफी शोर मचाने वाली “नम्मा होला नम्मा रस्ते” (हमारा खेत हमारी सड़क) योजना अब बिना किसी रोक-टोक के बंद हो गया है। जिले में वर्ष 2016-19 से तक तीन वर्ष की अवधि में 1600 किमी नम्मा होला नम्मा रस्ते का निर्माण किया गया। अधिकांश खेतों की सड़कों का निर्माण धारवाड़, नवलगुंद और कुंदगोल तालुकों में किया गया था। जो बाढ़ में बह गए हैं और किसान बेहद दुखी हैं। वर्ष 2022-23 में धारवाड़ तालुक से संबंधित 128 कार्य किए गए हैं। अलनावर में 12, अण्णिगेरी में 39, हुब्बल्ली में 27, कलघटगी में 134, कुंदगोल में 6 और नवलगुंद में 75 सड़कों की मरम्मत की गई है।

मरम्मत के लिए 25 मात्र प्रतिशत

अम्मिनभावी, हेब्बल्ली, उप्पिनबेटगेरी और गरग जिला पंचायत निर्वाचन क्षेत्रों के 18 गांवों में नम्मा होला नम्मा रस्ते सड़कें पूरी तरह से बाढ़ से बह गई हैं। इन चार जिला पंचायतों में 2017-18 में एक ही वर्ष की अवधि में 280 किमी सड़क का निर्माण किया गया था परन्तु 2019 की बाढ़ के कारण इस सड़क का 150 किमी हिस्सा पूरी तरह से बह गया है, जिसे अधिकारियों ने समीक्षा कर सूची बना ली है परन्तु मरम्मत के लिए केवल 25 प्रतिशत ही लिया गया।

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