
हुब्बल्ली-धारवाड़ की स्थिति : चुनाव की वजह से नहीं लगे रक्तदान शिविर
हुब्बल्ली. कहावत है कि रक्तदान सभी दानों में सबसे बड़ा दान है। यह सत्य और महत्वपूर्ण है परन्तु अब इतने सारे रक्तदान शिविर नहीं हो रहे हैं और मरीजों को पर्याप्त रक्त नहीं मिल पा रहा है इसके चलते रक्त की कमी बढ़ गई है। विधानसभा चुनाव के चलते रक्तदान शिविर नहीं लगने से जिले में रक्त की किल्लत दिनोंदिन बढ़ती जा रही है जिससे मरीजों को परेशानी हो रही है। वहीं मरीजों के परिजन खून की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं।
जिले में कुल 12 प्रमुख रक्तदान केंद्र हैं। वर्तमान में रक्तदाता आगे नहीं आ रहे हैं, इसलिए हर जगह रक्त उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। रक्त मांगने वालों को ना में जवाब नहीं दे पाने के चलते रक्तदान केंद्रों के कर्मचारी दुविधा में फंस गए हैं। जिले के सभी रक्तदान केंद्र लगातार रक्तदान शिविर लगा रहे थे। साथ ही स्वयंसेवी संस्थाएं, जनप्रतिनिधि, गणमान्य व्यक्ति और संस्थाएं भी रक्तदान शिविर आयोजित कर रहे थे।
दूसरे जिलों में जा रहे मरीज
चुनाव के कारण इस तरह की गतिविधियां बंद हो गई हैं और मरीज व कर्मचारी खून नहीं मिलने से अलग-अलग जिलों में जा रहे हैं। किम्स (कर्नाटक चिकित्सा विज्ञान संस्था) के अस्पताल सहित शहर के प्रतिष्ठित निजी अस्पताल भी 12 ब्लड बैंकों पर निर्भर हैं। किम्स के अस्पताल में उत्तर कर्नाटक के 7-8 जिले के लोग इलाज के लिए आते हैं। आपातकालीन स्थितियों जैसे थैलेसीमिया, डायलिसिस, प्रसव, दुर्घटना आदि में रक्त की आवश्यकता होती है। इस उद्देश्य के लिए रक्त भंडारण और स्वैच्छिक रक्तदान शिविरों को यह केंद्र आयोजित करते हैं परन्तु यह गतिविधि पूरी तरह से बंद हो गई है। इन सभी को खून की आपूर्ति (ब्लड सप्लाई) करना फिलहाल मुश्किल हो गया है। किम्स के एक चिकित्सक ने बताया कि कुल मिलाकर रक्तदान शिविर व रक्तदाताओं की संख्या घटी है, जिससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रक्तदाताओं के स्वेच्छा से आगे आने पर मरीजों की जान बचा सकते हैं। फिर भी लोगों को स्वेच्छा से रक्तदान करने के लिए आगे आना चाहिए। यह अच्छी बात है कि कई संस्थाएं ज्यादा से ज्यादा रक्तदाताओं को प्रोत्साहित कर रही हैं।
एक यूनिट के लिए डेढ़ हजार रुपए तक चार्ज
किम्स ब्लड बैंक के कर्मचारी का कहना है कि किम्स का ब्लड बैंक जिले के प्रमुख ब्लड बैंकों में से एक है। इस सेंटर पर पांच से छह थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों और 12 से 20 गर्भवती महिलाओं (डिलीवरी के दौरान) को ब्लड की जरूरत है परन्तु कितना भी पैसा देने पर भी खून नहीं मिल रहा है। इमरजेंसी (आपात कालीन) मरीजों को जरूरी रक्तदान करने के लिए पैसे देने पर भी रक्त नहीं मिल रहा है। इसमें मेल खाने वाला खून मिलना तो और भी दुर्लभ है। रक्तदान केंद्रों में रक्तदाताओं को बुलाकर रक्त देने के साथ पैसे देकर रक्त पाने की ऐसी स्थिति हो गई है। एक यूनिट रक्तदान के लिए 1,000-1,500 रुपए देना पड़ता है। यदि रोगियों को रक्त की आवश्यकता होती है, तो कुछ स्थानों पर एक दिन की पहले ही सूचना देने की अनिवार्यता बनी हुई है।
कोई समस्या नहीं
किम्स अस्पताल में खून की कोई कमी नहीं है। किम्स के ब्लड बैंक में पर्याप्त मात्रा में रक्त संग्रह है। किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है।
–डॉ. अरुण कुमार चौहान, अधीक्षक, किम्स हुब्बल्ली
पेयजलापूर्ति की गारंटी नहीं है परन्तु खून की गारंटी है
हर 15 दिन में शिविर होते हैं। शिविरों में नेगेटिव खून नहीं मिलता है। जुड़वां शहर में महानगर निगम की ओर से की जाने वाली पेयजलापूर्ति की गारंटी नहीं है परन्तु खून की गारंटी है। इतने रक्तदाता मिल जाते हैं।
–केवल लुंकर, सामाजिक कार्यकर्ता