कई बसों को मरम्मत की आवश्यकता
हुब्बल्ली. यात्रियों की संख्या के हिसाब से पर्याप्त बसें नहीं हैं। कुछ बसे खराब होने से मरम्मत के लिए आई हैं। इससे ट्रिपों (फेरों) की संख्या बढ़ गई है, जिससे चालकों को लगातार दबाव में काम करना पड़ रहा है। यह हुब्बल्ली-धारवाड़ के बीच चलने वाली चिगारी बसों के ज्यादातर चालकों का कहना है।
चालकों का कहना है कि हम दोपहर 1 बजे ड्यूटी पर रिपोर्ट करते हैं। रात को आखिरी ट्रिप पूरी कर बस को डिपो में छोडक़र घर जाते-जाते रात के 11.30 बज जाते हैं। फिर सुबह 6 बजे पहली ट्रिप शुरू करनी चाहिए। इससे ठीक से सो भी नहीं पाते हैं।
खराब हुआ स्पीकर
यात्रियों का कहना है कि स्टॉपों की जानकारी देने के लिए बस में लगा स्पीकर खराब हो गया है। दूसरी दिशा से आने वाले यात्रियों को यह नहीं पता होता कि उन्हें किस स्टॉप पर उतरना है। इससे काफी परेशानी हो रही है।
नहीं मिल रहा पर्याप्त प्रशिक्षण
चालकों का कहना है कि परियोजना की शुरुआत में, 250 चालकों को चिगारी बसों के संचालन और प्रणाली के बारे में बेंगलूरु में प्रशिक्षित किया गया था। अब नए चालकों को पहले से प्रशिक्षित वरिष्ठ चालकों की ओर से प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्हें पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं मिल रहा है।
मरम्मत की आवश्यकता
एक चालक ने बताया कि हुब्बल्ली से धारवाड़ तक कम समय में जाने का निर्देश है। सिग्नल, सभी स्टॉपों पर रुकने और बहुत सारे यात्री होने पर यह संभव नहीं होता है। इससे दबाव बढ़ेता है। कुल एक सौ चिगरी बसें हैं और उनमें से कई को मरम्मत की आवश्यकता है। उचित रखरखाव नहीं है। साइड मिरर क्षतिग्रस्त होने से यात्रियों के चढ़ते और उतरते हुए दिखाई नहीं देता है। हेडलाइटें ठीक से काम नहीं कर रही हैं।
नहीं बदली बसें
चालक ने बताया कि एक बस में अधिकतम 37 यात्री यात्रा कर सकते हैं। कुछ मौकों पर 100 से अधिक यात्री होते हैं। कई बसों का एयर सस्पेंशन सिस्टम खराब हुआ है। ब्रेक लाइनर समय पर नहीं बदलते हैं। पांच साल से बसें नहीं बदली हैं।