हुब्बल्ली रेलवे स्टेशन पर मालगाड़ी में कार लोडिंग करते हुए।
हुब्बल्ली रेलवे स्टेशन पर मालगाड़ी में कार लोडिंग करते हुए।

हुब्बल्ली. भारतीय रेल को देश की जीवन रेखा के रूप में जाना जाता है। यह आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति और प्रेषण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह उद्योगों और बिजली संयंत्रों को कच्चे माल की समय पर आपूर्ति करने और तैयार माल, खाद्य पदार्थों और अन्य उत्पादों के थोक परिवहन के लिए तैयार रहता है। दपरे ने अपने कार्य क्षेत्र के सभी स्थानों के लिए रेल संपर्क बढ़ाने की हमेशा कोशिश कर रहा है।

पिछले वित्तीय वर्ष में, दक्षिण पश्चिम रेलवे क्षेत्र ने विभिन्न प्रयोगों के माध्यम से ट्रेनों की विकास गतिशीलता में सुधार के लिए कई उपायों पर जोर दिया है। भारतीय रेलवे के सभी क्षेत्रों में, दक्षिण पश्चिम रेलवे में गतिशीलता 53 फीसदी सुधार किया है। मालगाडिय़ों की औसत गति पिछले अप्रेल 2022 में 13.97 किमी प्रति घंटे थी, जो इस अप्रेल 2023 तक बढ़कर 21.6 किमी प्रति घंटे हो गई है।

बाईपास स्टेशन के निर्माण से ट्रेनों के समय में हुआ सुधार

बाईपास स्टेशन के निर्माण से पूर्व में गदग जंक्शन पर विजयपुर, हुब्बल्ली और गोवा की ओर से आने वाली मालगाडिय़ों के लोकोमोटिव को बदलने में लगने वाले समय की बचत हुई है। इसी तरह, सितंबर 2019 में, हुब्बल्ली बाईपास भी चालू किया गया था, जो अब हुब्बल्ली स्टेशन में प्रवेश करने वाली मालगाडिय़ों को रोकने से छुटकारा दिया गया है। इससे हुब्बल्ली से चलने वाली कई एक्सप्रेस ट्रेनों के समय में सुधार हुआ है।

वित्तीय वर्ष 2022-23 में दक्षिण पश्चिम रेलवे जोन ने 874 किमीर विद्युतीकरण पूरा किया है।

दोहरी और नया मार्ग अधिक कार्य आरम्भ

पिछले वित्तीय वर्ष में दपरे जोन में 228.5 किलोमीटर की दोहरी और नई लाइन को पूरा कर कार्य आरम्भ किया है। यह 2023 के बाद से सबसे अधिक दोहरी नवीन मार्ग एक नया रिकॉर्ड है। यलहंका-पेनुकोंडा (120 किमी) और हुब्बल्ली-बेंगलूरु (469 किमी) स्टेशन दोहरी मार्ग के जल्दी पूरा करने के जरिए समय की पाबंदी में सुधार लाने का निर्णय लिया है। विभिन्न 18 मोड़ और स्थायी गति प्रतिबंध (पीएसआर) स्थलों को हटाकर ट्रेनों की गति बढ़ाने के लिए कदम उठाए गए हैं। दक्षिण पश्चिम रेलवे मार्ग में लगभग 732 कि.मी. में अधिकतम गति 110 किमी प्रति घंटे, 91.6 कि.मी में 100 कि.मी प्रति घंटा, 437 किमी की सीमा में लूप लाइनों पर गति 10/15 किमी प्रति घंटा से बढ़ाकर 30 किमी प्रति घंटा कर दी गई है। 2022-23 में 116 ट्रेनों की गति बढ़ाने के जरिए कुल 2,718 मिनट की समय की बचत की गई है। उदाहरण के लिए बेंगलूरु-हुब्बल्ली के बीच चलने वाली रानी चेन्नम्मा ट्रेन (16589) जो पहले 7 घंटे 50 मिनट लेती थी, अब केवल 6 घंटे 50 मिनट लेती है।

क्रैक ट्रेनों की आवाजाही

दोहरी लाइन के पूरा होने से मालगाडिय़ां एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच ठहराव के बिना सीधे चलने से उच्च औसत गति और कम समय में गंतव्य तक पहुंचेगी। उदाहरण के लिए 2021-22 में 2,503 क्रैक ट्रेनें और 2022-23 में 6077 क्रैक ट्रेनें चलाई गईं थी। कम समय में बड़ी मात्रा में कार्गो को दूर के स्टेशनों तक पहुंचाया गया है।

इन सभी उन्नत उपायों के परिणामस्वरूप निर्धारित समय के भीतर मालगाडिय़ों की आवाजाही हुई है। इसके साथ ही दक्षिण पश्चिम रेलवे ने 46.7 मिलियन टन का लदान कर एक नया रिकॉर्ड बनाया है।

2007-08 में 46.24 मिलियन टन लोडिंग का पुराना रिकॉर्ड टूटा है।

बुनियादी ढांचे का हुआ विस्तार

दक्षिण पश्चिम रेलवे जोन में बुनियादी ढांचे का विस्तार अब अभूतपूर्व है और पूंजी निवेश के लिए एक सक्षम वातावरण बना है। निकट भविष्य में रेलवे उद्योग और यात्रियों के लिए पसंद के परिवहन के रूप में उभरेगा।

संजीव किशोर, महाप्रबंधक, दक्षिण पश्चिम रेलवे

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *