
शैक्षणिक गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पडऩे की संभावना
शिक्षकों को अतिरिक्त जिम्मेदारियां भी सौंपी
हुब्बल्ली. स्कूल शुरू करने का क्षण आ गया है परन्तु धारवाड़ जिले के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी सता रही है। इससे वर्तमान वर्ष शैक्षणिक गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पडऩे की संभावना है।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सुप्रशिक्षित और अनुभवी शिक्षकों की आवश्यकता है परन्तु सरकारी स्कूल बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं और सरकार की ओर से शिक्षक पदों को न भरना अभिभावकों के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। जिले भर में 763 सरकारी प्राथमिक और 107 सरकारी हाई स्कूल हैं। प्राथमिक विद्यालयों के लिए कुल 4,865 शिक्षक पद स्वीकृत किए गए हैं, जबकि हाई स्कूल के लिए 1,191 शिक्षक पद स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से प्राथमिक विद्यालयों में 462 और हाईस्कूलों में 156 शिक्षकों के पद रिक्त हैं। वहीं पांच स्कूलों में एक-एक शिक्षक मात्र हैं। कई स्कूलों में हर विषय के लिए एक शिक्षक तो दूर की कौड़ी है। कुल मिलाकर पहली से दसवीं कक्षा तक 870 विद्यालयों के लिए स्वीकृत कुल शिक्षकों की संख्या 6,056 है तो, वहीं रिक्त पदों की संख्या 618 है। यानी शिक्षकों के 10 फीसदी से अधिक पद खाली पड़े हैं।
वर्तमान शिक्षा प्रणाली में, शिक्षण के साथ-साथ शिक्षकों पर अतिरिक्त ज़म्मिेदारियां भी सौंपी गई हैं। इस कारण उन्हें पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियों में भी समय देना जरूरी है। अभिभावकों को चिंता है कि इस प्रकार पढ़ाई के अलावा अन्य कार्यों के कारण शिक्षक पर कार्यभार बढऩे से शिक्षण क्षमता कम हो जाएगी।
अतिथि शिक्षकों की भर्ती
सरकार ने शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए अतिथि शिक्षकों की भर्ती के तरीके खोजे हैं। इस वर्ष, अतिथि शिक्षकों को 31 मई से पढ़ाना शुरू करना है और शैक्षणिक वर्ष के अंत में उनकी सेवा अवधि समाप्त होगी।
शिक्षा विभाग ने इस बार जिले के लिए 540 अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के आदेश दिए हैं परन्तु शिक्षकों के 618 पद खाली हैं। अब भी जिले में 78 शिक्षकों की कमी है।
बच्चों की स्थिति में सुधार
कुछ जगहों पर शिक्षकों की संख्या छात्रों की संख्या के अनुपात से अधिक है। ऐसे विद्यालयों के शिक्षकों को उन विद्यालयों में नियुक्त किया जाता है जहां शिक्षकों की कमी है। इसके चलते कोई समस्या नहीं होगी।
- एस.एस. केलदिमठ, उप निदेशक, सार्वजनिक शिक्षा विभाग