धारवाड़ जिले में 2.30 लाख मवेशी, काम का दबाव बढ़ा
हुब्बल्ली. सूखे के साए में किसानों की आजीविका पशुधन की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार पशुपालन एवं पशु चिकित्सा सेवा विभाग में ही 50 प्रतिशत से अधिक पद खाली हैं…! जी हां। धारवाड़ जिले के 2.30 लाख मवेशियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले पशुपालन एवं पशु चिकित्सा सेवा विभाग की कार्य गतिविधियों का बोझ उठाने के लिए आवश्यक मानव संसाधन निर्धारित स्तर से नीचे आ गया है।

पूरे जिले में मवेशियों के इलाज के लिए जरूरी डॉक्टरों की कमी के साथ-साथ विभाग की कार्य गतिविधियों के क्रियान्वयन, टीकाकरण अभियान के लिए भी काम का दबाव बढ़ा दिया है।

जिले में पशुपालन एवं चिकित्सा सेवा विभाग के अंतर्गत 1 उप निदेशक (प्रशासन) कार्यालय, 1 पॉलीक्लिनिक, 11 पशु चिकित्सा अस्पताल, 54 पशु चिकित्सा क्लिनिक, 42 प्राथमिक पशु चिकित्सा केंद्र और 5 मोबाइल पशु चिकित्सा क्लिनिक हैं। इसके अलावा हर वर्ष टीकाकरण कार्यक्रम के तहत मवेशियों को गले की बीमारी, मुंहपका खुरपका, खूर की बीमारी, ब्राउन डिजीज वैक्सीन तथा भेड़-बकरियों में लीवर की बीमारी सहित संक्रामक रोगों के नियंत्रण के लिए समय-समय पर टीका लगाने का कार्य भी जारी रहता है।

साल दर साल बढ़ रहा बोझ

अब भी सूखे के संकट में यह दबाव और अधिक बढ़ा है और पशु चारा समेत विभागीय कामकाज का बोझ भी बढ़ा है परन्तु काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या ही नहीं बढऩे से काम के बोझ का दबाव साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है।

पशु चिकित्सकों की कमी

जिले में मुख्य/वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी के 76 स्वीकृत पदों में से 47 पद भरे हैं तथा शेष 29 पद रिक्त हैं। इनमें से धारवाड़ तालुक में 19 में से 5 पद, हुब्बल्ली तालुक में 19 में से 2 पद, कलघटगी तालुक में 14 में से 7 पद, कुंदगोल तालुक में 12 में से 9 पद, नवलगुंद तालुक में 8 में से 5 पद रिक्त हैं। इसके अलावा अन्निगेरी के लिए स्वीकृत 3 पद और अलनावर के लिए स्वीकृत 1 पद भी खाली हैं। इससे मवेशियों को निर्धारित इलाज मिलने में भी दिक्कत हो रही है।

तो वहीं एक ही व्यक्ति पर 2-3 डॉक्टरों के काम का दबाव पड़ रहा है।

इसके चलते कुछ स्थानों पर, 2-3 प्राथमिक पशु चिकित्सा उपचार केंद्रों की देखभाल एक ही डॉक्टर को करनी पड़ रही है।

विभिन्न संवर्गों के 242 पद हैं रिक्त
पशुपालन एवं पशु चिकित्सा सेवा विभाग के अंतर्गत ’’ए, बी, सी, डी’’ चार ग्रेड में स्वीकृत 448 पदों में से केवल 206 पद मात्र भरे हैं और 242 पद रिक्त हैं। इनमें से ’’ए’’ ग्रेड के 78 पदों में से 48 भरे हैं तो 29 पद खाली हैं, जबकि ’’सी’’ ग्रेड के लिए स्वीकृत 191 पदों में से 104 भरे हैं और 87 खाली हैं। वहीं ’’डी’’ ग्रेड के 168 पदों में से 46 पद भरे हैं, 122 पद रिक्त हैं, पॉलीक्लिनिक को आवंटित 4 पद खाली हैं। इनमें जिले में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी (विस्तार)-4, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी (अस्पताल)-3, मुख्य/वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी-4, वरिष्ठ/पशु चिकित्सा अधिकारी-20, पशुधन अधिकारी-3, वरिष्ठ पशु चिकित्सा परीक्षक-21, पशु चिकित्सा परीक्षक-22, कनिष्ठ पशु चिकित्सा परीक्षक-33, वाहन चालक-5, टाइपिस्ट-1, द्वितीय श्रेणी सहायक-1 के पद दशकों से खाली पड़े हैं।

पदों को भरने के लिए प्रस्ताव सौंपा

जिले के लिए स्वीकृत पदों में से आधे रिक्त हैं और इन पदों को भरने के लिए प्रस्ताव सौंपा गया है। इस कमी के बावजूद चालू वर्ष के राष्ट्रीय खुरपका एवं मुंहपका रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 1.76 लाख मवेशियों का टीकाकरण कर 95.97 प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया गया है, इसके अलावा समय पर टीकाकरण से गर्मगांठ रोग को भी नियंत्रण में रखा गया है।

रवि सालिगौडर, उप निदेशक, पशुपालन एवं पशु चिकित्सा सेवा विभाग

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