
500 झीलों में दरार, कलघटगी तालुक के आधे इलाके में नहीं हुई बारिश
हुब्बल्ली. बोरवेल में पीनी घटा है, तपती गर्मी से गन्ने की फसल मुरझाई है, मई के आखिरी चरण में पहुंचने के बाद भी मृगशिर मानसून पूर्व भारी बारिश नहीं हुई है, इसके चलते कृषि भूमि बुवाई के लिए तैयार नहीं हुई है। कुल मिलाकर चुनाव की गर्मी में डूब कर राहत की सांस लेने तक जिले में सूखे का साया छानवे का डर सता रहा है।
राज्य में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के एक सप्ताह के भीतर नई सरकार भी अस्तित्व में आ चुकी है परन्तु नई सरकार के लिए सूखे का साया छाने का डर सताने लगा है। इस बीच, जिले में कोई नदी, पानी और अन्य जल स्रोत नहीं हैं, एक और सूखे की आशंका ने जिले के किसानों को परेशान करना शुरू कर दिया है।
2013 से लगातार 3 साल जिले में आए सूखे से जनता त्रस्त थी। जिले के गांवों में लोगों ने कठिन जीवन व्यतीत किया था परन्तु कुशकिस्मती से 2018 से, जिले में कमोबेश लगातार पांच वर्षों तक अच्छी बारिश और भरपूर फसल हुई है। पीने के पानी की कोई कमी नहीं हुई थी। नहर, नाले तथा झीलों में काफी पानी होने से बोरवेलों से साल भर पानी छोड़ा जाता था। गर्मी के मौसम में हुई प्री-मानसून बारिश से भी जिले के गन्ना किसानों को अच्छी उपज मिली थी परन्तु भारी बारिश से घरों और मठों को हुए नुकसान को छोडक़र बाकी सब कुछ ठीक था।
अब तक आ जाना चाहिए था प्री मानसून
जिले में फिलहाल सूखे का साया छाया हुआ है और अब तक जिले के आठ तालुकों में प्री-मानसून बारिश हो जानी चाहिए थी परन्तु आठ तालुकों में से पांच तालुकों में प्री-मानसून बारिश नहीं हुई है। मैदानी क्षेत्र के रूप में जाने जाने वाले धारवाड़ तालुक के पश्चिमी भाग, हुब्बल्ली, अन्निगेरी और नवलगुंद तालुक में बारिश की कमी हुई है।
बकाया कलघटगी के आधे तालुक में बारिश नहीं हुई है। धारवाड़ तालुक के कुछ नहरों में बारिश की कमी साफ नजर आ रही है। नतीजतन, किसान मानसून की बुवाई के लिए जमीन तैयार करने को लेकर चिंतित हैं। इस समय तक बारिश हो जानी चाहिए थी और बुवाई के लिए आवश्यक तैयारी कर ली जानी चाहिए थी।
ये है झीलों का हाल
कोई भी नदी नहीं होने के बावजूद 23 नहरों के पानी की जल जीवनरेखा वाले जिले में कुल 1220 झीलों में से आधे से ज्यादा खाली हैं। 40 प्रतिशत झीलें पूरी तरह से सूख चुकी हैं, और 10 प्रतिशत झीलों में से आधा पानी बचा हुआ है।
उप-पर्वतीय (अरे-मलेनाडु) क्षेत्र के कलघटगी, अलनावर और धारवाड़ तालुकों की अधिकांश झीलें मार्च के महीने तक सूख चुकी हैं। लगातार तीन साल से हो रही बारिश के बाद भी जिला प्रशासन तालाबों की मरम्मत और पानी रोकने की जहमत नहीं उठाया है। इसका बुरा असर यह हुआ है कि जिले में हर साल करीब 12 टीएमसी फीट पानी बेकार में बहता है।
10 से घटाकर 3 नोजल
जिले में गन्ना उत्पादक और ग्रीष्मकालीन सब्जी किसान ज्यादातर बोरवेलों पर ही निर्भर हैं। जिले में 43 हजार से अधिक बोरवेल हैं जिनका उपयोग कृषि के लिए किया जाता है। पिछले चार साल से लगातार बारिश हो रही थी, इसलिए बोरवेल से साल भर अच्छे से ही पानी निकलता रहा परन्तु मार्च माह में ही बोरवेल में पानी घट गया है। धारवाड़, कलघटगी और अलनावर तालुकों में गन्ना उत्पादकों के बोरवेल में 10 नोजल के लिए पानी छिडक़वाले बोरवेल घटकर सिर्फ 3 नोजल रह गए हैं। इससे गन्ना किसानों की नींद उड़ी हुई है।
15 जून तक हो सकती है मानसून की एंट्री
इस साल केरल राज्य में मानसून चार दिन देरी से पहुंचेगा। ऐसे में प्रदेश में मानसून की एंट्री 15 जून तक हो सकती है। प्री-मानसून बारिश नहीं होने से किसान चिंतित परन्तु 21 मई से तीन दिनों तक राज्य में अच्छी बारिश हुई है।
–आर.एच. पाटिल, प्रमुख, मौसम विज्ञान विभाग, कृषि विश्वविद्यालय, धारवाड़
पिछले एक दशक में सूखे का हाल
2013 में 65 फीसदी बारिश की कमी – पूर्ण सूखा
2014 में 58 फीसदी बारिश की कमी – आधा सूखा
2015 में 45 फीसदी बारिश की कमी – आधा सूखा
2018 में 27 फीसदी बारिश की कमी- आधा सूखा