गरीब बच्चों के शैक्षिक प्रगती पर चोट
‘गारंटी’ के लिए धन की समायोजित करने का आरोप
कलबुर्गी. आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार ने भवन और अन्य निर्माण श्रमिकों के बच्चों को दिए जाने वाले वार्षिक शैक्षिक भत्ते में भारी कटौती की है, ’’गारंटी’’ के लिए धन की समायोजित करने के लिए यह कार्रवाई की गई है।
यह आदेश 2022-23 के लिए लागू होगा कहने के जरिए पहले ही सहायता राशि आने की उम्मीद में ऋण लेकर उच्च शिक्षा में प्रवेश पाने वाले छात्रों के उम्मीदों पर भी पानी फेरा है। यह आदेश श्रम विभाग ने 30 अक्टूबर को जारी किया है। सब्सिडी में 80 फीसदी की कटौती की है।पहली से चौथी क्लास तक वार्षिक 5 हजार रुपए, 5वीं से 8वीं क्लास तक 8 हजार रुपए और 9वीं से मैट्रिक तक 12 हजार रुपए थे। इसे क्रमश: पहली से 5वीं कक्षा तक के लिए वार्षिक 1,100 रुपए, 6 और 7वीं कक्षा के लिए 1,250 रुपए और 8वीं कक्षा के लिए 1,350 रुपए है तथा 9वीं से मैट्रिक तक सालाना सहायता राशि घटाकर 3000 रुपए की गई है।स्नातक के लिए 6 हजार रुपए, पीएचडी के लिए 11,000 रुपए, एमडी कोर्स के लिए 12,000 रुपए, एलएलबी के लिए 10,000 रुपए, इंजीनियरिंग, एम.टेक, नर्सिंग, पैरा मेडिकल, मास्टर्स कोर्स के लिए 10,000 रुपए प्रति वर्ष सहायता राशि देने का श्रम विभाग ने फैसला किया है।
पहले ये थी सब्सिडी
पहले यह स्नातक के लिए 25 हजार रुपए, एलएलबी, एलएलएम के लिए 30 हजार रुपए, स्नातकोत्तर के लिए 35 हजार रुपए, बीई, बीटेक के लिए 50 हजार रुपए, एमटेक के लिए 60 हजार रुपए, एमबीबीएस, एमडी के लिए 60 से 75 हजार रुपए सहायता राशि दी जाती थी।
फैसले से तुरंत पीछे हटे
सरकार के इस आदेश से जिन बच्चों को पहले ही कुछ उच्च शिक्षा और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में दाखिला मिल चुका है, उनकी स्थिति क्या होगी? साथ ही यह आदेश पिछली पंक्ति के लिए भी लागू होगा कहना कितना सही है। सरकार को ऐसे फैसले से तुरंत पीछे हटना चाहिए। श्रम मंत्री को इसमें तुरंत संशोधन करना चाहिए।
–शंकर कट्टीसंगावी, पूर्व निदेशक, राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड
आंदोलन अनिवार्य
सरकारी आदेशों से श्रमिकों के बच्चों का शैक्षणिक जीवन बर्बाद हो जाएगा। बिना जानकारी के 80 फीसदी सब्सिडी कम कर दी गई है। इसके अलावा, यह बोर्ड का पैसा है। इसके लिए सरकार का इंतजार करने की कोई जरूरत नहीं है। सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। वरना आंदोलन अनिवार्य होगा।
–हनमंत पुजारी, सचिव, जिला भवन निर्माण श्रमिक संघ