परिवहन निगम ने जारी किया आदेश
हुब्बल्ली.
मजदूर वर्ग के सुरक्षित आवागमन के लिए घोषित मुफ्त बस पास योजना पिछले दो महीने से बंद पड़ी है। महज छह महीने में इस योजना को बंद किया, इससे यह साबित हो गया कि यह पिछली सरकार का चुनावी हथकंडा था। मांग की गई है कि नई सरकार को गारंटी के साथ इसे आगे बढ़ाना चाहिए।
असुरक्षित परिवहन में निर्माण श्रमिकों की आवाजाही के कारण कई दुर्घटनाएं हुईं। इस प्रकार, पिछली भाजपा सरकार ने परिवहन निगमों की बसों में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से 45 किमी की दूरी तक यात्रा करने के लिए मुफ्त बस पास योजना शुरू की थी। शुरुआत में इसे बीएमटीसी में शुरू किया गया था और बाद में पूरे राज्य में इसका विस्तार किया गया परन्तु अब इस योजना पर अंतिम कील ठोंक दी गई है और दो महीने से कोई पास जारी नहीं किया जा रहा है। पास 31 मार्च को समाप्त हो गया है और परिवहन निगम ने इसे नवीनीकृत नहीं करने का निर्देश दिया गया है।
एक लाख पास
शुरू में एक लाख श्रमिकों को मुफ्त बस पास वितरित करने और फिर धीरे-धीरे इसे बढ़ाने का वादा किया गया था। निर्माण कार्य के लिए श्रमिकों का पलायन अधिक होने के कारण प्रत्येक 3 माह में नवीनीकरण का नियम बनाया गया था। इसलिए पहली बार पास दो चरणों सितंबर और दिसंबर 2022 में दिया गया। इस योजना के जारी रहने की मजदूरों की यह उम्मीद झूठी साबित हुई। परिवहन निगम ने 31 मार्च के बाद पास जारी नहीं करने और ऐसे पासों को यात्रा की अनुमति नहीं देने का निर्देश दिया है।
गारंटी के साथ रहे
श्रम कल्याण बोर्ड के पास पर्याप्त धन है, जिसका श्रमिकों के कल्याण के लिए उपयोग करने की खातिर पिछली भाजपा सरकार ने यह योजना लागू की थी। तीन महीने के लिए 42 करोड़ रुपए और एक साल के लिए 168 करोड़ रुपए खर्च होंगे। योजना शुरू की गई थी, तो यह वादा किया गया था कि इसे चरणबद्ध तरीके से विस्तारित किया जाएगा परन्तु महज 6 महीने में ही इस पर नकेल कस दी गई है। अब कांग्रेस राज्य में बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। ऐसे में मजदूरों की मांग है कि कांग्रेस की ओर से जारी पांच गारंटी के जरिए मुफ्त बस पास जारी रखाना चाहिए।
लेबर कार्ड की सत्यापन जरूरी
सरकारी सेवाएं, राहत, किट उपलब्ध होने के कारण लाखों फर्जी मजदूरों के पैदा होने से असली मजदूर परेशान हैं। इसलिए कोई भी सेवा प्रदान करने से पहले कार्ड की प्रामाणिकता और पात्र लाभार्थी की पहचान सरकार की ओर से करनी चाहिए। कोविड के बाद बड़ी संख्या में अपात्र लोगों को कार्ड मिला है। कुछ जिलों में हजारों स्थित कार्डों की संख्या लाखों को पार कर गई है। पात्र लाभार्थियों का रोना है कि फर्जी लाभार्थी सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं और पास जारी करने से पहले कार्ड सत्यापन आवश्यक है।
पात्र लाभार्थियों तक पहुंचाए योजना
इस योजना को छह महीने में ही बंद करना यह विडंबना है। श्रम कल्याण बोर्ड में पैसे का इस्तेमाल अनावश्यक योजनाओं के लिए किया गया है। अब सत्ता में आई कांग्रेस पांच गारंटी के साथ इस योजना को पात्र लाभार्थियों तक पहुंचाना चाहिए।
दुर्गप्पा चिक्कतुम्बल, अध्यक्ष, बिल्डिंग एंड अनऑर्गनाइज्ड वर्कर्स यूनियन

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