पर्यटन दिवस : लगभग दो हजार साल के इतिहास वाली धरोहरों को संरक्षण की जरूरत
बौद्ध चैत्यालय, मलखेड़ किला, नागवी का घटिका स्थान, बहमनी किले की संरक्षण की जरूरत
कलबुर्गी. लगभग दो हजार साल के इतिहास वाला सन्नति-कनगनहल्ली का बौद्ध चैत्यालय, 1,100 साल के इतिहास वाला मलखेड़ किला, एक हजार साल पहले नागवी का घटिकास्थान, 700 साल के इतिहास वाला कलबुर्गी का बहमनी किला, इस प्रकार कई अद्भुत स्मारकों के होने के बावजूद इनके विकास के लिए पर्याप्त योजना न होने के कारण ये बदहाली के कगार पर पहुंच गए हैं। देश भर में बुधवार को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जा रहा है। ऐसे में जब हमारे ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण की बात आती है तो निराशा ही हाथ लगती है। कलबुर्गी जिले का इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।

दक्षिण का तक्षशिला है ‘नागवी’

देश में अपने परिवार के साथ सम्राट अशोक की छवि वाला एिकमात्र शिलालेख सन्नति (कलबुर्गी) के बौद्ध मंदिर में है। आज भी देश-विदेश से शोधकर्ता वहां आते हैं और इसकी जानकारी हासिल करते हैं। चित्तापुर से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित नागवी, एक समय एक प्रसिद्ध शैक्षणिक केंद्र था जिसे दक्षिण के तक्षशिला, नालंदा के नाम से जाना जाता था। सातवाहन, राष्ट्रकूट, कल्याणी चालुक्य, बहमनी सुल्तान, निजाम ने इस क्षेत्र पर शासन किया।

विरासत अगली पीढ़ी तक पहुंचानी चाहिए

ऐतिहासिक शोधकर्ता और पर्यटकों ने आरोप लगाया है कि कलबुर्गी नगर में बहमनी किला, साथ गुंबज, शोर गुंबज, सेडम तालुक का मलखेड़ किला और फिरोजाबाद के महल समय की मार झेल रहे हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई), केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय, राज्य पुरातत्व विभाग, पर्यटन विभागों को इन स्मारकों की रक्षा के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करने और आवश्यक कर्मचारियों की नियुक्ति करने में अब तक शासन करने वाली अधिकांश सरकारें विफल रही हैं, जिसे इन्हें संरक्षित करने के जरिए दुर्लभ विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुंचाना चाहिए था।

परियोजना कार्यान्वयन स्तर पर नहीं

उम्मीद थी कि 2019 में कलबुर्गी में हवाई अड्डे के खुलने के बाद जिले में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। पिछली भाजपा सरकार में पर्यटन मंत्री रहे सी.पी. योगीश्वर ने जिले में एक हेलीपैड के निर्माण, चिंचोली के चंद्रपल्ली के पास जंगल लॉज और रिसॉर्ट्स होटल, अमरजा जलाशय के आसपास उद्यान के निर्माण के लिए 10 करोड़ रुपए देने की घोषणा की गई थी। हजारों साल के इतिहास वाले स्मारकों की सुरक्षा करने वाली एएसआई इन दिनों कर्मचारियों की कमी से जूझ रही है। साथ ही, अभी भी कई जगहों पर खुदाई होनी बाकी है और उसके लिए पर्याप्त अनुदान उपलब्ध नहीं हो रहा है। सन्नति-कनगनहल्ली देखने आने वाले पर्यटकों के लिए पर्याप्त पेयजल और शौचालय जैसी कोई न्यूनतम बुनियादी सूविधा तक नहीं है। नागावी घटिकास्थान की जमीन पर अतिक्रमण हुआ है।

एएसआई के नियम विकास में बाधक
जिला प्रभारी मंत्री प्रियांक खरगे ने बताया कि जब मैं पर्यटन मंत्री था, तब मैंने जिले के ऐतिहासिक स्मारकों को विकसित करने के लिए बहुत सारी योजनाएं बनाईं और उन्हें क्रियान्वित किया परन्तु भारतीय पुरातत्व विभाग के तहत आने वाले सन्नति के बौद्ध मंदिर, कलबुर्गी के बहमनी किले के विकास के लिए विभाग के सख्त नियम बाधा बने हुए हैं। एक पत्थर उठाने की भी इजाजत लेने के लिए दर्जनों प्रक्रियाएं पूरी करनी पड़ती हैं। कम से कम किले के आसपास का गंदा पानी और कूड़ा-कचरा तो साफ़ करने के लिए 80 करोड़ रुपए की जरूरत है। मैंने हाल ही में नगर निगम आयुक्त को वहां जमा हुए पानी को साफ कराने का निर्देश दिया है। जिले के प्रमुख स्थानों पर पर्यटन स्थलों के बारे में बोर्ड लगाने की योजना बनाई गई है। चिंचोली में, ट्रैकिंग और वन विभाग की ओर से दो कॉटेज का निर्माण हमारी सरकार में किया

तो विरासत ध्वस्त हो जाएंगी

जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग को कलबुर्गी शहर में बहमनी किला, साथ गुंबज, शोर गुंबज सहित कई ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों में संपर्क सडक़, पेयजल, शौचालय, गाइड की व्यवस्था, स्मारकों के पास ऐतिहासिक महत्व को बताने वाले बोर्ड लगाने चाहिए। यदि स्मारकों की उपेक्षा जारी रही तो कुछ ही वर्षों में इमारतें ध्वस्त हो जाएंगी।

प्रो. शंबुलिंग वाणी, इतिहास के प्रोफेसर

स्मारकों के बोर्ड लगें

कलबुर्गी और फिरोजाबाद के किलों पर प्रभावशाली लोगों ने कब्जा कर लिया है, मंत्री और जिलाधिकारी को उन्हें खाली कराने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए। इस बारे में ज्ञापन सौंपकर थक चुके हैं। पर्यटन विकसित होगा तो जिले के कई लोगों को रोजगार भी मिलेगा। बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों पर स्मारकों का बोर्ड लगाना चाहिए।
-रहमान पटेल, इतिहासकार

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