केंद्रीय सूखा अध्ययन दल को दी जानकारी
अगस्त में 65 फीसदी बारिश कम हुई

सितंबर में सबसे कम बारिश हुई, 91 फीसदी फसल नष्ट

हुब्बल्ली. जिलाधिकारी गुरुदत्त हेगड़े और अन्य अधिकारियों ने केंद्रीय सूखा अध्ययन दल को जिले में बारिश की कमी, असिंचित क्षेत्र, फसल के नुकसान और हरित सूखे के बारे में जानकारी दी।

जिलाधिकारी गुरुदत्त हेगड़े ने केंद्रीय सूखा अध्ययन दल को बताया कि इस साल जून के अंत तक सामान्य बारिश से 65 फीसदी कम बारिश हुई है। बुआई क्षेत्र का मात्र 16 प्रतिशत ही बोया गया है। जुलाई में बारिश के बावजूद, सीजन देर से होने के कारण 68 प्रतिशत क्षेत्र में बुआई की गई है। अगस्त में 65 फीसदी वर्षा की कमी हुई है। सितम्बर में सबसे कम वर्षा हुई है। बोई गई 91 फीसदी फसल खराब हुई है। बारिश की कमी से हरियाली सूखे की छाया बढ़ गई है।

जिला प्रशासन की ओर से सौंपी रिपोर्ट में बताया है कि राज्य सरकार ने जिले के धारवाड़, हुब्बल्ली, हुब्बल्ली नगर, कुंदगोल और नवलगुंद तालुकों को सूखाग्रस्त घोषित किया है। 1.59 लाख हेक्टेयर में कृषि फसलें बोई गईं थी। इसमें से 1.44 लाख हेक्टेयर (91 फीसदी) फसल नष्ट हुई है। 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बागवानी फसलें बोई गईं थी। इसमें से 15,487 हेक्टेयर (78 फीसदी) फसल बर्बाद हुई है।

1 लाख से अधिक किसानों ने कराया फसल बीमा

जिले में मानसून सीजन के लिए चालू वर्ष में फसल बीमा योजना के तहत 1 लाख 7 हजार 549 किसानों ने पंजीयन करवाया है। 17.10 करोड़ रुपए का प्रीमियम भरा है। राज्य और केंद्र सरकार के हिस्से की प्रीमियम राशि कुल 109 करोड़ रुपए बीमा कंपनी को भुगतान की गई है।

जिले में औसतन 23 सप्ताह का चारा भंडार है। धारवाड़ में 4, हुब्बल्ली में 3, कुंदगोल में 2 और नवलगुंद में दो सहित कुल 11 चारा बैंक खोलने की तैयारी की गई है।

अधिकारियों ने टीम को बताया कि मनरेगा के सहत सात तालुकों की 147 ग्राम पंचायतों में 1.67 लाख लोग काम कर रहे हैं।

सूखा प्रबंधन के लिए पैसे की कमी नहीं: जिलाधिकारी
हुब्बल्ली. जिलाधिकारी गुरुदत्त हेगड़े ने कहा कि जिले में सूखा प्रबंधन के लिए पैसे की कोई कमी नहीं है। वर्तमान में जिलाधिकारी के खाते में 20 करोड़ रुपए से अधिक अनुदान है और संबंधित तालुकों के तहसीलदार के पास भी आवश्यक अनुदान है।

शहर के सर्किट हाउस में सूखा अध्ययन की केंद्र सरकार की टीम के साथ हुई बैठक के बाद पत्रकारों को जानकारी देते हुए हेगड़े ने कह कि फसल क्षति को लेकर केंद्र की सूखा अध्ययन टीम को रिपोर्ट सौंपी गई है। उन्होंने कहा कि सूखा अध्ययन दल ने धारवाड़ तालुक, हुब्बल्ली ग्रामीण और शहरी तालुक के हारोबेलवडी, गोकुल, रायनाल, अम्मिनबावी गांवों में ढाई घंटे निरीक्षण किया। उन्हें मूंग, उडद, कपास, मक्का, मूंगफली की फसलों के नुकसान और पानी की समस्या के बारे में भी जानकारी दी गई है।

जिलाधिकारी ने कहा कि अन्य तालुकों की तरह कलघटगी, अलनावर और अन्निगेरी तालुकों में भी फसल को नुकसान हुआ है। इस बारे में टीम के ध्यान में लाया गया है, इन तालुकों को निकट भविष्य में सूखा प्रभावित सूची में शामिल करने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि हमने सूखा अध्ययन टीम को दिखाने के लिए कुछ स्थान चिह्नित किए थे परन्तु उन्होंने स्वेच्छा से कुछ स्थानों का दौरा कर वास्तविक स्थिति देखी और सभी फसलों का 50 फीसदी से अधिक नुकसान होने के बारे में उन्हें पता चला है।

जिलाधिकारी हेगडे ने कहा कि हुब्बल्ली और धारवाड़ शहरों में छह महीने के लिए पर्याप्त जल भंडारण है।

ग्रामीण इलाकों में मालाप्रभा नदी से पानी छोड़ा गया है इसके चलते अगले तीन महीने तक कोई गंभीर समस्या नहीं होगी। अगर बारिश नहीं हुई तो टैंकरों और निजी बोरवेल से पानी की आपूर्ति की जाएगी। जिले में चार माह के लिए पर्याप्त चारे का भंडार है। कमी पाए जाने पर चारा बैंक स्थापित कर चारा आपूर्ति का कार्य किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से बागवानी, कृषि और राजस्व विभागों के जरिए पहले ही संयुक्त सर्वेक्षण किया गया है, फसल के नुकसान का अनुमान लगाया गया है और जल्द ही सरकार को प्रस्तुत किया जाएगा। जिन तालुकों में सूखा प्रभावित घोषित किया गया है, वहां महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी के तहत अधिक मानव दिवस की घोषणा की गई है।

मक्का की फसल का निरीक्षण

हुब्बल्ली तालुक के गोकुल गांव के किसान निंगप्पा एच. कदम, बसप्पा सी. म्यागेरी और किसान महिला रत्नव्वा एम. पाटिल के खेतों में केंद्रीय सूखा अध्ययन की टीम के सदस्यों ने मक्का और सोयाबीन की फसल क्षति का निरीक्षण किया। बाद में, टीम ने हुब्बल्ली तालुक के रायनाल गांव के किसान शिवनगौड़ा पाटिल के खेत का दौरा कर किसानों से फसल क्षति के बारे में जानकारी प्राप्त की।

विधायक एन.एच. कोनरेड्डी, जिलाधिकारी गुरुदत्त हेगडे, जिला पंचायत सीईओ स्वरूप टी.के., कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. एम. किरणकुमार, डॉ.जयश्री हिरेमठ, सहायक निदेशक राजशेखर अनगौडर, तहसीलदार प्रकाश नाशी, के.आर. पाटिल, रायनाल ग्राम पंचायत अध्यक्ष आर.जी. मेटी, देवरगुडीहाल ग्राम पंचायत अध्यक्ष मुल्ला आदि मौजूद थे।

किसानों ने शिकायतें साझा की, केंद्र से मुआवजे की मांग

दावणगेरे. जिलाधिकारी एम वी वेंकटेश ने कहा, जिले में 2.27 लाख हेक्टेयर भूमि पर की गई बुआई गतिविधियों में से 1.57 लाख हेक्टेयर भूमि पर उगाई गई फसलें बर्बाद हो गई हैं। उन्होंने वादा किया कि वह बीमा कंपनियों के साथ बैठक करेंगे और उन्हें 47,000 पंजीकृत किसानों को मुआवजा देने का निर्देश देंगे। उन्होंने बताया कि ऐसे किसानों को सरकार से मुआवजा भी मिलेगा। फसल के नुकसान का आकलन करने के लिए चार सदस्यीय केंद्रीय टीम ने जगलूर तालुक के विभिन्न सूखा प्रभावित गांवों का दौरा किया। उपायुक्त एम वी वेंकटेश ने टीम को सूखे की गंभीरता के बारे में बताया और बताया कि इसका फसलों पर क्या प्रभाव पड़ा है। किसानों ने टीम के सदस्यों के साथ अपनी शिकायतें भी साझा कीं और केंद्र से मुआवजे की मांग की।

सभी छह तालुक सूखाग्रस्त घोषित

उपायुक्त ने कहा, इस वर्ष जिले में 93 प्रतिशत से अधिक बुआई कार्य हो चुका है। राज्य सरकार ने जिले के सभी छह तालुकों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया है। कृषि और बागवानी विभागों की ओर से एक संयुक्त सर्वेक्षण किया गया था और हमने जिले में 1.57 लाख हेक्टेयर भूमि पर क्षतिग्रस्त फसलों के लिए एनडीआरएफ के दिशानिर्देशों के अनुसार केंद्र से कृषि इनपुट सब्सिडी की मांग करते हुए सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *