स्कूली बच्चों की पढ़ाई की गुणवत्ता सुधारने 17 नए समाधान

साक्षरता और अंकगणित में सुधार के लिए स्कूल स्तरीय सर्वेक्षण

उडुपी. राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण विभाग (डीएसईआरटी) ने राज्य के सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थियों की प्रारंभिक साक्षरता और अंकगणित में सुधार के लिए स्कूल स्तरीय सर्वेक्षण के साथ-साथ 17 समाधान खोजे हैं।
साथ ही स्कूलों को यह सुनिश्चित करने का लक्ष्य दिया गया है कि शैक्षणिक वर्ष 2026-27 की शुरुआत में ही स्कूली विद्यार्थियों में 100 प्रतिशत प्रारंभिक साक्षरता और अंकगणित दक्षता हो।

विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा

कक्षा, आयु के अनुसार सीखने में पिछड़ रहे या प्रारंभिक साक्षरता और अंकगणित में कमी वाले विद्यार्थियों की पहचान कर उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस कार्य में शिक्षकों, प्रधानाध्यापकों, संकुल (क्लस्टर) स्तरीय अधिकारियों (सीआरपी), क्षेत्र स्तर के अधिकारियों (बीईओ, सीआरसी, सीईओ, बीआरपी) और जिला स्तरीय अधिकारियों (डीडीपीआई, डाइट प्राचार्य) को क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

तीन-चार दिवसीय सर्वेक्षण

सभी स्कूलों में सभी विद्यार्थी 100 प्रतिशत साक्षरता हासिल करना चाहिए। इसके लिए पूरक तौर पर फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरेसी (एफएलएन) में शत-प्रतिशत उपलब्धि हासिल की करनी चाहिए। इसलिए डीएसईआरटी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को प्राथमिकता दे रहा है। इसका मूल उद्देश्य स्कूलों में पढ़ाई में पिछड़ रहे बच्चों की पहचान कर उन्हें मुख्यधारा में लाना है। स्कूलों में शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को यह स्पष्ट होगा कि कौन सा बच्चा किस विषय में पिछड़ रहा है। क्लस्टर स्तर के संसाधन व्यक्ति, बीईओ, सीआरसी, सीईओ, बीआरपी अगले तीन से चार दिनों तक स्कूलों का दौरा करेंगे और पढ़ाई में पिछड़ रहे बच्चों की जानकारी लेंगे। डीडीपीआई कुछ स्कूलों का दौरा करेंगे। डीएसईआरटी ने पहले ही एक गूगल फॉर्मेट तैयार कर अधिकारियों को सौंप दिया है, जिसमें बच्चों की जानकारी अपडेट की जाएगी।

अलग-अलग समस्याएं

सभी छात्रों की सीखने की समस्याएं एक जैसी नहीं होती हैं। कुछ लोग पढ़ सकते हैं, जबकि अन्य गणित नहीं कर सकते। कुछ लोगों को कन्नड़ अंक सीखने, अंग्रेजी पढऩे और लिखने में कठिनाई होती है। इस तरह की दर्जनों समस्याएं हैं। चूंकि प्रत्येक समस्या को अपने तरीके से हल करने की आवश्यकता है, इसलिए डीएसईआरटी की ओर से 17 संकेतक तैयार किए गए हैं। इसके आधार पर बच्चों की पढ़ाई की गुणवत्ता सुधारने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

100 प्रतिशत एफएलएन हासिल करने का लक्ष्य

यह एक ऐसा कार्य है जो पूरे शैक्षणिक वर्ष में किया जाएगा। शिक्षकों को बताया गया है कि किस महीने में कौन सी गतिविधि करनी है। हम शिक्षकों के साथ लगातार परामर्श बैठकें करेंगे। डाइट प्रिंसिपल, उपन्यासक, बीईओ आदि सीखने में सुधार के लिए सामग्री तैयार करेंगे। 2026-27 में 100 प्रतिशत एफएलएन हासिल करने का लक्ष्य है।
गोपालकृष्ण एच.एन., निदेशक, डीएसईआरटी

17 लर्निंग पैनल

-कक्षा में छपे हुए पाठों के बारे में बातचीत/वार्ता
ृ-उत्तर देने वालों और उत्तर न देने वालों की पहचान करना
-गीतों, कविताओं के माध्यम से सीखना
-कहानियों, कविताओं में पाए जाने वाले परिचित शब्दों को दोहराना
-बातचीत में शामिल होना, समस्याग्रस्त बच्चों की पहचान करना
-शब्द में अक्षरों के माध्यम से अलग-अलग अर्थ वाले नए शब्दों का निर्माण
-नए वाक्यों का निर्माण, समझना, पढऩा
-छोटे वाक्य लिखना
-बच्चों का साहित्य पढऩा
-99 तक की वस्तुओं और संख्यात्मक अभिव्यक्ति की गिनती करना
-विभिन्न आकृतियों, संख्याओं से नए डिजाइन बनाना
-रोजमर्रा की जिंदगी की गणनाओं के आधार पर जोड़, घटाना
-गुणा और भाग के बारे में वास्तविक तथ्य बनाना
-आयत, त्रिभुज, वृत्त, अंडाकार आदि जैसी आकृतियों की पहचान करना।
-छड़ी, पेंसिल, डोरी आदि का उपयोग करके लंबाई, दूरी, ऊंचाई का अनुमान लगाना।
-दूर-पास, ऊपर-नीचे, बाएं-दाएं, पीछे-सामने जैसे विशेष शब्दों का उपयोग आदि।
-100 रुपए तक के पैसे का उपयोग करके सरल लेनदेन सिखाना।

सर्वेक्षण क्यों?

एक अधिकारी ने बताया कि जो बच्चे कक्षा 5 पास कर चुके हैं वे अपना नाम सही से नहीं लिख सकते। डीएसईआरटी ने स्कूली बच्चों के गुणात्मक परिणामों से जाना है कि कक्षा 8 के बच्चे जोड़-घटाना नहीं कर सकते। साथ ही, अधिकांश जिलों में 13 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक शैक्षणिक गुणवत्ता की कमी है। इसे ठीक करने के लिए यह योजना बनाई गई है। उडुपी जिले में पिछले साल 13 प्रतिशत से 14 प्रतिशत और दक्षिण जिले में करीब 12 से 15 फीसदी शिक्षा की गुणवत्ता में कमी पाई गई है।

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