गोविंद कारजोल ने कहा
हुब्बल्ली. तालुक के छब्बी गांव में सूखा अध्ययन के दौरान किसानों से बातचीत करने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए गोविंद कारजोल ने कहा कि धारवाड़ जिले में 2.20 लाख हेक्टेयर फसल का नुकसान हुआ है। पूर्व की हमारी सरकार ने एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के दिशा निर्देश से अतिरिक्त मुआवजा किसानों को दिया था। 20 हजार रुपए मुआवजा दिया है। इसी प्रकार मुआवजा देना चाहिए।

कारजोल ने कहा कि मानसून और रबी की बारिश के हाथ देने के कारण सूखा गहरा रहा है।

धारवाड़ जिले में 2.20 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई है। ऐसी गंभीर स्थिति में सरकार को किसानों के साथ खड़ा होना चाहिए था। पलायन को रोकने, मवेशी और बछड़े न बेचने पर रोकना चाहिए था। गौ शाला प्रारंभ कर चारा वितरण कराना चाहिए था। पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था करनी चाहिए थी। इसके बजाय सरकार राजनीति करने में समय बर्बाद कर रही है। उन्होंने कहा कि जिले के 68 गांव मलप्रभा दायीं तट नहर के पानी पर निर्भर हैं। मुनवल्ली बांध का पानी नहरों की ओर बहाकर, गांव की नहरें, झीलें और बांध भरे जा सकते थे। गैरजिम्मेदार सरकार बिना सोचे-समझे काम कर रही है।

जातिगत राजनीति नहीं

उन्होंने कहा कि जब भी सूखा पड़ता था तो जिले के प्रभारी मंत्री बैठक कर, किसानों की समस्या जानकर, पलायन रोककर, मुआवजा देने, गौ शाला खोलने, संकट दूर करने की परंपरा चली आई है। लोगों के मरने के बाद मुख्यमंत्री आदेश देते हैं। मानसून, रबी के विफल होने पर कार्य करना चाहिए। मंत्रियों को तालुक केंद्र स्थान पर रहकर हर तालुक के लिए दस-दस करोड़ रुपए पेयजल, चारा, रोजगार के लिए पैसे देकर कार्य शुरू करना चाहिए। ऐसा करना छोडक़र टिफिन बनाकर, खाना खाकर आदेश करना नहीं है। क्या सरकार को कम से कम जिम्मेदारी भी नहीं है। कांग्रेस नेता सत्ता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री के मुद्दे पर आपस में लड़ रहे हैं। हमारी जाती का मुख्यमंत्री बनना चाहिए कह कर झगड़ रहे हैं। राजनीति का मतलब जातिगत की राजनीति नहीं है।

लिंगायतों को पूछने वाला कोई नहीं

कारजोल ने कहा कि बहुसंख्यक लिगायत राज्य में खानाबदोश बन गए हैं। लिंगायतों को पूछने वाला ही कोई नहीं है। लिंगायतों की कोई हैसियत ही नहीं रही है। सिध्दरामय्या नाश्ता, भोजन के लिए बुलाते हैं अपने घर में बैठक करते हैं एक भी लिंगायत नेता को आमंत्रित नहीं करते हैं। परमेश्वर नाश्ता, भोजन के लिए बुलाते हैं एक भी लिंगायत को आमंत्रित नहीं करते हैं। जमीर अहमद जैसे भी सवारी कर रहे हैं। इसका मतलब क्या है। भाजपा ने लिंगायतों के साथ अन्याय किया है कहकर, गुमराह करके उनके वोट हासिल कर सत्ता में आने के बाद कांग्रेस तीन गुटों में बट गई है। दलित परमेश्वर का गुट, डीके शिवकुमार का गुट और सिध्दरामय्या का गुट बना है। इसी बीच लिंगायतों को पूछने वाला ही कोई नहीं है। लिंगायत किसी भी हिसब में ही नहीं है। लिंगायतों की पूरी तरह से अनदेखी की गई है। राज्य में लिंगायतों की ऐसी हालत हुई है। भाजपा ने लिंगायतों को जो सम्मान दिया था, उसे कायम नहीं रखा है। भाजपा से निर्वाचित सभी 66 विधायक सभी विपक्षी दल के नेता हैं। 38 लिंगायत विधायक, सात जने मंत्री होने पर भी अनाथ बने हैं, खानाबदोश बने हुए हैं। उन्हें हमारे बारे में निंदा करने की जरूरत नहीं है। शीघ्र ही विपक्ष के नेता की घोषणा होगी।

इस अवसर पर विधायक अरविंद बेल्लद, महेश टेंगिनकाई, एमआर पाटील, पूर्व विधायक अमृत देसाई, विधान परिषद के पूर्व सदस्य नागराज छब्बी समेत कई भाजपा नेता उपस्थित थे।

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