
लक्कव्वनहल्ली बांध: वर्तमान में पेयजल आपूर्ति के लिए उपयोगी नहीं, मगर बन सकता है सैलानियों के आकर्षण का केंद्र
चित्रदुर्ग. चित्रदुर्ग-हिरियूर शहरों में पीने के पानी की आपूर्ति के लिए 1991 में बनाया गया लक्कव्वनहल्ली बांध वर्तमान में अनुपयोगी है और सरकार की ओर से विकास के लिए कदम उठाकर पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि बांधमें करीब डेढ़ किमी. की दूरी तक पानी रुकता है। बांधके दोनों ओर उद्यान का निर्माण कर, बांध में नौका विहार की व्यवस्था की जाए तो शहर के लोगों को कम दूरी में ही सुन्दर पर्यटन स्थल मिल जाएगा। सरकार की ओर से आर्थिक सहायता मिलना मुश्किल होने पर बांधविकसित करने के लिए वे निजी क्षेत्र से समझौता कर सकते हैं।
स्थानीय निवासी वासवी सुरेश ने सुझाव दिया कि बांधमें जमा मिट्टी बहुत उपजाऊ होती है और इसे मुफ्त में देने से किसानों को फायदा होगा। नदी के किनारे से अतिक्रमण हटाकर कम्पाउंड या तार की बाड़ लगानी चाहिए। झाडिय़ों-घास को साफ कर वहां सजावटी पौधे लगाने चाहिए। वाकिंग करने वालों के लिए सडक़ बननी चाहिए। खासकर बांध के ऊपर के गांवों के लोगों को पानी में कूड़ा डालने से रोकना चाहिए। चित्रदुर्ग में जलापूर्ति के लिए बनाए गए पंप सेट रूम और ट्रांसफार्मर जर्जर हो गए हैं। नगर परिषद को बांधपर से अतिक्रमण हटाने के लिए राजस्व एवं सिंचाई विभाग का सहयोग लेना चाहिए और नौका विहार की व्यवस्था कर इसे एक सुंदर पर्यटन स्थल बनाना चाहिए।
किनारे उगे घास-कांटों के पौधे
चित्रदुर्ग-हिरियूर शहर के लोगों को पीने के पानी की आपूर्ति के लिए लक्कव्वनहल्ली बांध बनाया गया था, साल बीतने के साथ गादयुक्त होता जा रहा है। चल्लकेरे और मोलकल्मुरु तालुकों को वणीविलास का पानी आपूर्ति करने के दौरान इसी बांध के जरिए पानी बहता है। इसके चलते बांधजीवित होने के बाद भी उपेक्षित है। वर्तमान में इस बांधकी आवश्यकता नगर निगम, जल निकासी एवं जलापूर्ति विभाग को नहीं है, बांध के किनारे घास-कांटों के पौधे झाडिय़ों की तरह उगे हैं, जिससे पूरा वातावरण प्रदूषित हो गया है।