बिम्स में 40 फीसदी डॉक्टर नहींबेलगावी के रानी चन्नम्मा सर्कल पर निर्मित सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल।

मरीजों की संख्या तीन गुना बढ़ी
डॉक्टरों पर ड्यूटी का बढ़ा बोझ
बेलगावी. जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। पिछले दस वर्षों से डॉक्टरों की संख्या नात्र जस की तस बनी हुई है। अब भी 40 फीसदी डॉक्टरों और गैर चिकित्सा कर्मियों की कमी सता रही है।
स्वीकृत 240 डॉक्टरों के पदों में से केवल 170 ही उपलब्ध हैं। अभी भी 40 पद स्वीकृत होना बाकी है।
कोविड से पहले प्रतिदिन 600 से 700 लोग बाह्य रोगी विभाग में आ रहे थे। अब 1600 से 1800 लोग इलाज के लिए आ रहे हैं। चार साल में मरीजों की संख्या तीन गुना बढ़ गई है।
भीतरी रोगी विभाग में 1,040 बिस्तर हैं और 940 बिस्तर हमेशा भरे रहते हैं। 150 आईसीयू बेड होने पर भी पर्याप्त नहीं हैं। जिला अस्पताल में सभी प्रकार के अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण लाए गए हैं। इसके चलते जो मरीज निजी अस्पतालों का रुख करते थे, उन्होंने अब इधर का रुख कर लिया है।

डॉक्टरों पर ड्यूटी का बढ़ा बोझ
मेडिसिन, एनेस्थिसियोलॉजी, रेडियोलॉजी, कान-नाक-गला, प्रसूति रोग, त्वचा रोग, आईसीयू, हड्डी-जोड़, शिशु रोग विभाग में एक या दो ही डॉक्टर हैं। यहां पांच-पांच डॉक्टरों की जरूरत है। चर्म रोग विभाग में मात्र दो विशेषज्ञ हैं। इसके चलते मरीजों को पूरे दिन बैठकर इंतजार करना पड़ता है। डॉक्टरों पर ड्यूटी का बोझ बढ़ गया है।

निजी या हुब्बल्ली के सरकारी अस्पताल जा रहे मरीज
न्यूरोलॉजी विभाग में एक भी डॉक्टर नहीं है। मस्तिष्क संबंधी समस्याओं या दुर्घटनाओं के कारण सिर में चोट लगने वाले मरीजों को यहां इलाज नहीं मिलता है। ऐसे लोगों को निजी अस्पताल या हुब्बल्ली के सरकारी अस्पताल में जाना पड़ रहा है।

डॉक्टर आने को राजी नहीं
अधिकारियों का कहना है कि कोविड के बाद निजी अस्पतालों की संख्या बढ़ गई है। क्लीनिकों में भी कई तरह के इलाज उपलब्ध हैं। इसके चलते डॉक्टर सरकारी सेवा में आने को राजी नहीं हो रहे हैं। बिम्स (बेलगावी चिकित्सा विज्ञान संस्था) में अब सहायक प्राध्यापक के लिए 1.20 लाख रुपए और सह प्राध्यापक के लिए 1.50 लाख रुपए वेतन है इसके बावजूद डॉक्टर आने को राजी नहीं हो रहे हैं।

प्रबंधन को लेकर खड़ी हुई मुश्किल
अधिकारियों का कहना है कि ईसीजी- एक्स-रे, एमआर, मेडिकल रिकॉर्ड तकनीशियन, प्रयोगशाला सहायक, डी ग्रुप स्टाफ भी कम है। प्रशासनिक विभाग में गिने-चुने लोग ही हैं। इससे अस्पताल प्रशासन के लिए प्रबंधन को लेकर मुश्किल खड़ी हो गई है।

सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बना भूत बंगला
जिला अस्पताल परिसर में 250 बेड का सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल तैयार हुए तीन साल बीत चुके हैं परन्तु इसका लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ। इसके लिए 190 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। यहां 8 शल्य चिकित्सा कक्ष, गहन चिकित्सा इकाई, कार्डियोलॉजी, यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, जच्चा-बच्चा विशेष इकाई सहित 11 विभाग हैं। विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने इस खाली इमारत का ही उद्घाटन किया था। व्याख्याता, शिक्षकेत्तर कर्मचारी, फर्नीचर व चिकित्सा उपकरण खरीद के लिए अब तक कोई आर्थिक अनुदान नहीं मिला है। इसके चलते सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल भूत बंगला बन गया है।

समस्या का समाधान होने की उम्मीद
पिछले 16 वर्षों से बिम्स में कोई स्नातकोत्तर विभाग नहीं था। लगातार प्रयास के बाद पिछले साल इसकी शुरुआत की गई है। अब 68 स्नातकोत्तर मेडिकल छात्र हैं। इनका उपयोग कर डॉक्टरों की कमी को दूर किया जा रहा है। पीजी डॉक्टर स्वतंत्र रूप से इलाज करने नहीं आते हैं। इसे डॉक्टर के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए। इसके चलते कुछ विभागों में डॉक्टरों की कमी के कारण समस्या उत्पन्न हुई है। इसे सरकार के ध्यान में लाया गया है और उम्मीद है कि इस साल समस्या का समाधान हो जाएगा।
डॉ. अशोक कुमार शेट्टी, निदेशक, बिम्स

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