हुब्बल्ली के गब्बूर स्थित दादावाड़ी में आयोजित सामूहिक वर्षीतप पारणा महोत्सव को संबोधित करते राष्ट्र संत नरेश मुनि।

जिसने मन पर काबू पा लिया वही तपस्या के योग्य
हुब्बल्ली.
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ की ओर से सामूहिक वर्षीतप पारणा महोत्सव अक्षय तृतीया पर रविवार को श्री जैन दादावाड़ी मंदिर में संपन्न हुआ। राष्ट्रसंत नरेशमुनि, शालिभद्र मुनि, साध्वी सत्यप्रभाआदि ठाणा की निश्रा में 45 तपस्वियों का पारणा हुआ।

वर्षीतप में तपस्वी वर्षभर में एक दिन उपवास व एक दिन अन्ने का रस ग्रहण कर तपस्या करते हैं। अक्षय तृतीया पर इसका पारणा होता है। भगवान ऋषभदेव ने जिस तरह गन्ने के रस से पारणा किया था, उसी प्रकार सभी तपस्वियों ने भी गन्नो के रस से पारणे किए।

इस असवर पर समस्त तप आराधकों की वार्षिक तपस्या में लगे दोषों की आलोचना व प्रायश्चित विधि सम्पन्न करवाते हुए नरेश मुनि ने कहा कि भोजन में सबसे आगे भजन में सबसे पीछे रहने वाले का जीवन व्यर्थ है। शरीर की आवश्यकता है भोजन, पानी। शरीर, मन, आत्मा एक दूसरे के पूरक हैं। शरीर नदी की तरह है जो, कभी भरता है कभी सूखता है। शरीर कभी कमजोर होता है तो कभी मजबूत। आत्मा आकाश की तरह है तो मन समुद्र की तरह है। मन कभी तृप्त नहीं होता। जिसने मन पर काबू पा लिया वही तपस्या कर पाता है।

उन्होंने कहा कि जैन संत मिश्रीमल ने श्रमण संघ को जोड़ा। श्रमण संघ सभी का आदर और सम्मान करता है। श्रमण संघ ने जोडऩे का काम किया है। तप साधना आत्म शुध्दि, आत्तम कल्याण के लिए है। जिसने जीवन को ढंग से जी लिया उसका जीवन मरण सफल होगा। क्रोध पर नियंत्रण जरूरी है।

शालिभद्र मुनि ने कहा कि वर्षी तप आराधक वर्ष भर सर्दी, गर्मी, बारिश में इच्छाओं का निरोध करते हुए सम भाव से तपस्या करते है वे विशेष कर्म निर्जरा करते है। अनेक जन एकासन तपस्वियों का उपहास करते है यह ठीक नही है क्योंकि शक्ति सामर्थ्य के अनुसार तप किया जाता है वही तप करने से ही तपस्या में निरन्तरता के भाव भी आते है। आज अनेक उदाहण है जो एकान्तर तप करते हुए निरन्तर तपस्या करने लगे है। इसलिए सबकों अपनी शक्ति के अनुसार उपवास, आयम्बिल, निवि, एकासन आदि विविध तप से वर्षीतप करना चाहिए।

उपस्थित रहे

इस दौरान लाभार्थी मुथा वाघमल भूराजी परविार के उकचंद बाफना, रमेश बाफना, गौतम बाफना का सम्मान किया गया।

कार्यक्रम में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष उकचंद बफणा, बाबुलाल पारख, गौतमचंद भुरट, दलीचंद बागरेचा, प्रकाश कटारिया, महेंद्र विनायकिया, कांतिलाल बोहरा, मुकेश भंडारी, अशोक कोठारी, गणपत कोठारी, गौतम गोलेच्छा, दीपचंद भंडारी, दिनेश सुराणा, प्रवीण कवाड, अशोक कानुंगा, महेंद्र चोपड़ा, संजय साकरिया, अमृतलाल सुराणा, प्रकाश बाफना, चंद्रकुमार कांकरिया, कमलेश बागरेचा, बाबुलाल पालगोता, पारसमल जैन,छगनराज  भूरट, हीराचंद तातेड, पासमल पटवा, सुभाषचंद्र डंक समेत कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, राजस्थान व अन्य राज्यों से आए सैकड़ों लोग मौजूद थे।

श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ की ओर से हुए आयोजन में जैन कांफ्रेंस, श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन युवक मंडल, श्री नवकार नवयुवक मंडल, श्री गुरु पुष्कर जैन मित्र मंडल, श्री वर्धमान किशोर मंडल, श्री कौशल्या सासू मंडल, श्री चंदनबाला बहू मंडल, श्री मृगावती महिला मंडल, श्री संस्कृति कन्या मंडल, श्री सिध्दि बहू मंडल आदि संघों ने सहयोग दिया। कार्यक्रम का संचालन महोत्सव के संचालक महेंद्र सिंघी, प्रकाश कटारिया, मुकेश भंडारी ने किया।

तप कर्म निर्जरा का हेतु
वर्षीतप का सीधा संबंध प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव से है। उनके अभिग्रह पूर्वक बेले तप में अंतराय आने से उनकी तपस्या वर्षभर चली व श्रेयांस कुमार के हाथों इक्ष्यु रस से भगवान का पारणा हुआ इस तरह आज का दिन तप प्रेरणा के साथ सुपात्र दान के प्रवर्तन का दिन है।

उन्होनें कहा कि तप कर्म निर्जरा का हेतु है तो पारणा भी सहयोगी ही है। इसलिए तप से डरना नहीं चहिए अपितु हमने अनेक भवों में परवशता से क्षुदा वेदनीय कर्म को सहन किया है अब स्वयं तपस्या करके इच्छाओं का निरोध कर क्षुदा पर हमेशा के लिए विजय पाने के उद्देश्य से तपस्या करना चहिए।

उन्होंने कहा कि कर्म के सामने तीर्थंकर भी हार जाते हैं। भगवान को कर्म भोगने पड़ते हैं। जीवन में मधुरता होनी चाहिए। प्रथम दान श्रेयांस कुमार ने किया। दान शिखर पर लेकर जा सकता है। तप अग्नी है। तप के जरिए लब्धियों की प्राप्ती होती है। तप का उचित प्रभाव होता है। जिन शासन पर निर्मल श्रद्धा हो तभी तपस्या के भाव बनते है। तप से शरीर व आत्मा दोनों की शुद्धि होती है वही तप के साथ संवर जाता है तो आत्मा की विशेष शुद्धि होती है।

छठा वर्षितप
राष्ट्र संत नरेश मुनि ने लगातार 34 वर्षों से वार्षिक वर्षितप मना रहे हैं, शालिभद्र मुनि, साध्वी तरुण शीला वर्षितप का छठा वर्ष मना रही हैं। नरेश मुनि से प्रभावित होकर कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, राजस्थान व अन्य राज्यों से वर्षीतप मनाने वाले 45 तपस्वियों ने गन्ने का रस पीकर वर्षीतप का पारणा किया। इसी दौरान कई लोग अनुष्ठान शुरू किया।

जैन कान्फें्रस के पदाधिकारियों ने 45 तपस्वियों की सुखसाता पूछते हुए उनके तप की अनुमोदना की। सभी तपस्वियों को तिलक लगाकर माला पहनाकर स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया।

जैन कान्फ्रेंस के प्रदेश अध्यक्ष पुखराज मेहता ने विचार व्यक्त किया। इस दौरान नरेश मुनि ने गदग संघ की बिहनती को स्वीकार करते हुए कहा कि वर्ष 2023 में साध्वी सत्य प्रभा आदि ठाणा का चातुर्मास गदग में होगा। 21 जून को चातुर्मास प्रवेश करेंगी। नरेश मुनि आदि ठाणा का वर्ष 2023 का चातुर्मास सिंधनूर में होगा। 25 जून को चातुर्मास नगर प्रवेश होगा।

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