एच.एन. नागमोहनदास ने की अपील
सिरसी (कारवार). उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एच.एन. नागमोहनदास ने कहा कि सनातन धर्म के विषय पर भ्रम पैदा करने के बजाय इसे आम लोगों को समझाना सनातन के पक्ष में खड़े लोगों की जिम्मेदारी है।

सिरसी में रविवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए नागमोहनदास ने कहा कि सनातन धर्म की अब तक कोई सही परिभाषा नहीं है। इसके चलते एक भ्रमित करने वाला वातावरण निर्मित हो गया है। ऐसे समय में जो लोग सनातन धर्म के पक्ष में खड़े हैं उन्हें इसकी सही व्याख्या लोगों तक पहुंचानी चाहिए। एक बार जब यह मानव जाति और समाज के लिए अच्छा हो, तो हम सहमत हो सकते हैं परन्तु अगर जनविरोधी तत्व हैं तो इसका विरोध करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन के आधार पर जोड़े गए धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद और अखंडता शब्दों को केंद्र सरकार की ओर से हटाकर संविधान की प्रस्तावना को बांटना गलत है। यह कोई आकस्मिक या चूक से हुआ कार्य नहीं है बल्कि जानबूझकर किया गया कार्य है। यह निंदनीय है। इसके चलते सरकार को ऐसी गंभीर गलती दोबारा न हो इस बारे में सावधान रहना चाहिए।

नागमोहनदास ने कहा कि पिछली भाजपा सरकार के कार्यों में कथित 40 फीसदी घोटाले की जांच आयोग से शीघ्र शुरू होगी। सरकार की ओर से जारी आदेश में कुछ अस्पष्टता है। हमने संबंधित अधिकारियों को इन्हें सुधारने का निर्देश दिया है। इसके आने के बाद मामले की जानकारी जुटाई जाएगी और सच्चाई सामने लाई जाएगी।

उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक का लोकसभा और राज्यसभा में पारित होना स्वागत योग्य है और 2011 की जनगणना के आधार पर 2024 की लोकसभा में इस आरक्षण को लागू करने का मौका है। सरकार को महिलाओं को प्राथमिकता देने के साथ-साथ आंतरिक आरक्षण देने का भी काम करना चाहिए।

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