मशीनों की रखरखाव के लिए कर्मचारियों की कमी
मेंगलूरु. किडनी फेलियर (किडनी खराब) से पीड़ित लोगों को जीवन देने के लिए जिले के सरकारी अस्पतालों को प्रदान की गई कई डायलिसिस मशीनें बेकार पड़ी हैं और उपयोग में नहीं आ रही हैं। इसके चलते आर्थिक रूप से गरीब मरीजों को महंगे निजी अस्पतालों पर निर्भरता से छुटकारा नहीं मिला है।

दक्षिण कन्नड़ जिले का चिकित्सा केंद्र (मेडिकल हब) होने के नाते, बाहरी जिलों से मरीज गुणवत्तापूर्ण इलाज पाने की उम्मीद में इस जिले में आते हैं। मेंगलूरु में स्थित वेनलॉक जिला अस्पताल के साथ-साथ सभी तालुक अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अच्छी तरह से सुसज्जित हैं। तालुक अस्पतालों में पहले से ही डायलिसिस सुविधा है, स्वास्थ्य विभाग ने इस सुविधा को सामुदायिक अस्पतालों में भी बढ़ा दिया है परन्तु सरकारी अस्पतालों में 13 से अधिक डायलिसिस मशीनें मरम्मत का इंतजार कर रही हैं, जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को प्रदान की गई मशीनें उनके रखरखाव के लिए कर्मचारियों के बिना बेकार पड़ी धूल फांक रही हैं।

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार प्रधान मंत्री के राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत, डायलिसिस मशीनें, उनके रखरखाव और कर्मचारियों की नियुक्ति को 2017 में एस्कोग संजीवनी कंपनी को आउटसोर्स किया गया था। इसकी निविदा (टेंडर) अवधि 2022 में खत्म हो चुकी है और इसे हर बार बढ़ाया जा रहा है और इस बार यह एक्सटेंशन अक्टूबर तक जारी है। सरकार कंपनी को प्रति डायलिसिस पर 1,125 रुपए का भुगतान करती है। ठेका कंपनी का लगभग एक साल का बिल भुगतान लंबित है, ऐसा लगता है कि उसे मशीनों की मरम्मत और कर्मचारियों को काम पर रखने में कोई दिलचस्पी नहीं है। इसके कारण मरीजों को परेशानी हो रही है।

शहर के वेनलॉक अस्पताल में कुल 23 डायलिसिस मशीनें हैं, जिनमें 13 सरकार की ओर से उपलब्ध कराई गई हैं और 10 दानदाताओं की ओर से दान की गई हैं। इनमें से केवल 15 ही कार्यरत हैं और शेष निष्क्रिय हैं। वर्तमान में, 112 पंजीकृत बाह्य रोगी हैं, और जो लोग अस्पताल में आंतरिक रोगी के रूप में आते हैं, उन्हें जरूरत पडऩे पर इसी केंद्र में डायलिसिस दिया जाता है।

अभी तक संचालन शुरू नहीं हुआ

पुत्तूर, बंटवाल, बेलतंगडी, सुल्या तालुक अस्पतालों में भी डायलिसिस मशीनें होने के बावजूद वे सीमित हैं। उनमें से कुछ ने काम करना बंद कर दिया है। इसके चलते गुर्दे की विफलता वाले रोगियों के लिए अनुकूल डायलिसिस सुविधा रोगियों के लिए एक मृगतृष्णा बनी हुई है।

मुल्की, मूडुबिदिरे, उल्लाल और कडबा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में डायलिसिस सुविधाएं प्रदान करने के प्रस्ताव को सरकार ने मंजूरी दे दी है, परन्तु अभी तक संचालन शुरू नहीं हुआ है। बिल सरकार की ओर से लंबित बकाया

एस्काग संजीवनी के एक प्रमुख ने बताया कि सरकार ने आउटसोर्सिंग की अवधि अक्टूबर तक बढ़ाई है। इसके जारी रहने की कोई जानकारी नहीं है। कंपनी के इंजीनियरों ने बताया कि अधिकांश क्षतिग्रस्त मशीनें अपनी मियाद पूरी कर चुकी हैं। मशीनों की मरम्मत में 4 लाख रुपए से अधिक का खर्च आएगा। इसके चलते सरकार से इसकी मरम्मत या नई मशीन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है। बिल भुगतान प्रारंभ से ही अनियमित है। बिल राशि हर तीन से चार महीने में आती थी अब बिल राशि नहीं आए 10 महीने पार हो चुके हैं। मुल्की निवासी एक मरीज पुष्पराज ने बताया कि, मैं डायलिसिस के लिए अनिवार्य रूप से मूडुबिदिरे के एक निजी अस्पताल में जा रहा हूं। प्रति माह 25 हजार तक खर्च आता है।

अस्पतालों में ये हैं हाल

दो वर्ष से अनुपयोगी

मूडुबिदिरी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक डायलिसिस मशीन है परन्तु इसके रखरखाव के लिए तकनीकी कर्मचारियों की कमी के कारण यह दो साल से बेकार पड़ी है।

प्रतीक्षा सूची में 30

पुत्तूर सरकारी अस्पताल में 12 डायलिसिस मशीनों में से केवल नौ ही काम कर रही हैं। प्रतिदिन औसतन 45 लोगों का डायलिसिस हो रहा है। 30 लोग प्रतीक्षा सूची में हैं।

मिल रही अच्छी सेवा

अपनी छोटी बहन को डायलिसिस के लिए लाए प्रकाश पुत्तूर ने बताया कि सरकारी अस्पताल में डायलिसिस नि:शुल्क किया जाता है। अच्छी सेवा मिल रही है। निजी अस्पताल में एक डायलिसिस के लिए 2,000 रुपए का भुगतान करना चाहिए।

कर्मचारी नहीं

मरीजों का कहना है कि मुल्की स्वास्थ्य केंद्र में डायलिसिस मशीन है, परन्तु मरीजों को डायलिसिस के लिए दूसरे शहरों में जाने से छुटकारा नहीं मिला है। यहां भी प्रबंधन के लिए कोई कर्मचारी नहीं है। हमारे गांव में ही सुविधा मिल जाए तो अच्छा होगा। यह मशीन गरीब मरीजों के लिए जीवनरक्षक होती थी।

सुविधा का इंतजार

बेलतंगडी तालुक अस्पताल में 63 मरीज लाभ हासिल कर रहे हैं। यहां तीन और डायलिसिस मशीनों की मांग है। 18 मरीजों ने पंजीकरण करवाकर सुविधा का इंतजार कर रहे हैं।

मशीनें ही नहीं हैं

उल्लाल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डायलिसिस करने के लिए एक अलग कमरा आरक्षित किया गया है परन्तु वहां मशीनें ही नहीं हैं। इसके चलते इस क्षेत्र के मरीज मेंगलूरु के वेनलॉक अस्पताल जाते हैं।

मंत्री से उम्मीद

लोगों की उम्मीद है कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडूराव दक्षिण कन्नड़ जिले के प्रभारी मंत्री हैं, इसलिए वे जिले में स्वास्थ्य विभाग को बेहतर बनाने के लिए और अधिक प्रयास कर सकते हैं।

कर्मचारियों के बिना नौ महीने से बेकार मशीनें

कड़बा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तीन डायलिसिस मशीनें हैं, जो रखरखाव के लिए कर्मचारियों के बिना नौ महीने से बेकार हैं। इन मशीनों के चालू होने पर कडबा, सुब्रह्मण्य, शिराडी, नेल्याडी, अलंकारु, रामकुंज, कोइल के मरीजों को फायदा होता था।

पंजीकृत सभी को मुफ्त इलाज

अधिकांश निष्क्रिय मशीनें डायलिसिस के 30,000 घंटे पूरे कर चुकी हैं। इनकी मरम्मत महंगी होती है। हमने सरकार को खराब मशीनों के बदले में आठ नई मशीनों की मांग सौंपी है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि मौजूदा मरीजों को कोई दिक्कत न हो। पंजीकृत सभी को मुफ्त इलाज उपलब्ध हो रहा है। प्रतिदिन पांच स्लॉट में औसतन 55 से 60 डायलिसिस सत्र होते हैं।

डॉ. सदाशिव शानुभाग, अधीक्षक, वेनलॉक अस्पताल

मॉनिटरिंग कार्य

यह सही है कि जिले के कुछ हिस्सों में मशीनें खराब हो गई हैं परन्तु हमने इस बात का ख्याल रखा है कि मरीजों को कोई परेशानी न हो। संबंधित तालुक अस्पताल बायोमेडिकल इंजीनियरों की सलाह लेकर विभाग में उपलब्ध विभिन्न अनुदानों का उपयोग करके मशीनों की मरम्मत करने का राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान के अभियान निदेशक ने निर्देश दिया है। जनता की किसी भी शिकायत से बचने के लिए सभी तालुक अस्पतालों को अधिक सतर्कता के साथ काम करने का निर्देश दिया गया है।

डॉ. एच.आर. तिम्मय्या, जिला स्वास्थ्य अधिकारी, मेंगलूरु

डायलिसिस सुविधा प्राप्त रोगी
अस्पताल —  कुल मशीन मरम्मत के लिए –  कुल

डायलिसिस साइकिल वेनलॉक –  23  – 08 –  198

पुत्तूर  – 12 – 03 – 100

बेलतंगडी – 08 –  01 –  66

बंटवाल  -07  –  00  –  69

सुल्या  – 08 – 01 – 50

(अगस्त माह की सूचना – स्वास्थ्य विभाग आधारित)

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