विकलांग ग्रामीण पुनर्वास योजना
पुनर्वास कार्यकर्ता के तौर पर मानदेय के आधार पर किया था नियुक्त
हुब्बल्ली. दिव्यांगों की जानकारी एकत्र कर जिले के हर दिव्यांग को भी सरकारी सुविधाएं मुहैया कराने का काम करने वाले बहुउद्देशीय पुनर्वास कार्यकर्ताओं (पुनर्वास कार्यकर्ता) को अब भी सेवा सुरक्षा नहीं मिल रही है। जिले में विकलांग व्यक्तियों की जानकारी एकत्रित कर उन्हें विकलांग और वरिष्ठ नागरिक सशक्तिकरण विभाग के तहत उपलब्ध सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में काम करने के लिए राज्य सरकार ने 2008 में विकलांग ग्रामीण पुनर्वास योजना के तहत एमआरडब्ल्यू, वीआरडब्ल्यू और यूआरडब्ल्यू के नाम से विकलांग व्यक्तियों के बहुउद्देश्यीय पुनर्वास कार्यकर्ता के तौर पर मानदेय के आधार पर नियुक्त किया था।

वे जिले के तालुक, शहरी और ग्रामीण स्तरों पर विकलांग लोगों की पहचान कर उन्हें विभाग के तहत शिक्षा, सशक्तिकरण, सामाजिक सुरक्षा, पेंशन, यूडीआईडी कार्ड सुविधा, चिकित्सा प्रमाण पत्र बनवाने, उपकरण दिलवाने सहित विभाग में स्थित 40 से अधिक परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए अप्रत्यक्ष रूप से मदद करते हुए काम कर रहे हैं।

157 कार्यकर्ता: जिले में, वर्तमान में तालुक स्तर पर (हुब्बल्ली, धारवाड़, नवलगुंद, कलघटगी, कुंदगोल) 5 जने एमआरडब्ल्यू हैं, शहरी स्तर पर 8 लोग यूआरडब्ल्यू हैं (कलघटगी, कुंदगोल, नवलगुंद, अलनावर, हुब्बल्ली और धारवाड़ में दो-दो) इनके साथ जिले के ग्रामीण स्तर पर 144 लोगों सहित कुल 157 जने पुनर्वास कार्यकर्ता अप्रत्यक्ष रूप से दिव्यांगों के कल्याण के लिए काम करते हैं।

यूडीआईडी कार्ड अनिवार्य

दिव्यांग एवं वरिष्ठ नागरिक सशक्तिकरण विभाग की सुविधाएं प्राप्त करने के लिए जिले के सभी दिव्यांगों को अनिवार्य रूप से यूडीआईडी कार्ड बनवाना चाहिए। जानकारी के लिए फोन संख्या 0836-2744474 से संपर्क कर सकते हैं।

25 हजार से ज्यादा विकलांग

कर्नाटक एमआरडब्ल्यू और वीआरडब्ल्यू राज्य संघ के जिला अध्यक्ष बसप्पा एस बिलारद ने बताया कि हमारे कार्यकर्ताओं की ओर से हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, जिले में 25 हजार से अधिक विकलांग हैं। विभाग में कर्मचारियों की कमी के कारण पात्र लाभार्थियों को सरकारी योजनाएं और सुविधाएं समय पर मिलना मुश्किल है। हमें विभाग के पूरक तौर पर 2008 में राज्य सरकार की ओर से मानदेय के आधार पर नियुक्त किया गया था।

न्यूनतम वेतन लागू करें

उन्होंने बताया कि जिले में एमआरडब्ल्यू (बहुउद्देशीय पुनर्वास कार्यकर्ता) श्रमिकों को प्रति माह 15,000 रुपए और यूआरडब्ल्यू और वीआरडब्ल्यू को प्रति माह 9,000 रुपए का मानदेय दिया जा रहा है परन्तु यह पर्याप्त नहीं है। इसलिए सरकार को हमारे लिए न्यूनतम वेतन लागू करना चाहिए। साथ ही सेवा सुरक्षा भी मुहैया करानी चाहिए।

मानदेय बढ़ाया जा रहा है

2008 में विकलांग ग्रामीण पुनर्वास योजना के तहत एमआरडब्ल्यू वीआरडब्ल्यू और यूआरडब्ल्यू पुनर्वास कार्यकर्ताओं को 800 रुपए प्रति माह के मानदेय के आधार पर भर्ती किया था। बाद के दिनों में धीरे-धीरे मानदेय बढ़ाया जा रहा है।
जगदीश केम्पलिंगनवर, जिला अधिकारी, विकलांग एवं वरिष्ठ नागरिक सशक्तिकरण विभाग

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