विधान परिषद सदस्य ने लगाया आरोप
हुब्बल्ली. विधान परिषद सदस्य बीके हरिप्रसाद ने आरोप लगाया कि बेंगलूरु में रविवार को आयोजित ईडिगा सम्मेलन राजनीति से प्रेरित है। इसके चलते उन्होंने राजनीति से प्रेरित और षडय़ंत्र से आयोजित इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया है।
शहर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए हरिप्रसाद ने कहा कि सरकारी योजनाएं आने पर जागरूकता पैदा करने के लिए सम्मेलन आयोजित करना चाहिए। यदि राजनीति से प्रेरित सम्मेलन होंगे तो लोग गुमराह होंगे। उन्होंने कहा रि फिलहाल बेंगलूरु में ईडिगा सम्मेलन चल रहा है। सामाज के बंधु संकट में थे तो सरकार ने क्या कदम उठाए हैं इस बारे में स्पष्ट रूप से बताना चाहिए। 1944 में गुरुस्वामी, वेंकटस्वामी, नेट्टकल्लप्पा सहित अनेक सज्जनों ने संघ का गठन किया। उन्होंने समाज के विकास के लिए कई कल्याणकारी कार्यक्रम चलाए थे। जेपी नारायणस्वामी के बाद आने वालों ने समाज के लिए क्या किया है पता नहीं चल रहा है। 75 साल पुराने संघ में 75,000 सदस्य नहीं हैं। 59 लाख की आबादी है, प्रतिनिधित्व चाहिए कह रहे हैं। 12,500 की सदस्यता के साथ वे संघ के हितों की रक्षा तो कर सकते हैं परन्तु समाज के हितों की रक्षा नहीं कर सकते। समाज में कई स्वामी (मठाधीश) हैं, उनमें से सभी इस सम्मेलन में भाग नहीं ले रहे हैं। इससे कुछ भी अच्छा नहीं होगा। गुरु नारायण निगम की स्थापना की गई है परन्तु इसके लिए कोई धन उपलब्ध नहीं कराया गया है। हरिप्रसाद ने कहा कि चिक्कमगलूरु जिले में बिल्लव समुदाय को छात्रावास बनाने के लिए जमीन दी गई थी। इसे बास्केटबॉल एसोसिएशन को पहले ही दिया जा चुका है। कुलदेव कोटि चन्नय्या थीम पार्क के लिए अनुदान मांगाने पर भी नहीं दिया।
किसी षड्यंत्र के आगे नहीं झुकूंगा
उन्होंने कहा कि प्रणवानंद स्वामी भगवा समूह में थे। उनका विरोध करने पर कुछ लोग उनके पैर धो कर, पानी पीकर साथ लाकर, समाज में विभाजन पैदा करने वाले ही संघ वाले हैं। अब असहमति के कारण उन्हें बाहर करना ठीक नहीं है। चार-पांच स्वामियों को छोड़कर सम्मेलन आयोजित क्यों कर रहे हैं। इसे एकजुटता के साथ आयोजित करना चाहिए था। हरिप्रसाद ने कहा कि मैं कभी भी सत्ता के पीछे नहीं गया। राजनीति में सामाजिक न्याय के लिए क्या करना चाहिए इस बारे में अच्छी तरह से पता है। सिद्धरामय्या के षड्यंत्रों के आगे मैं नहीं झुकूंगा। मुझे पता है कि वे अच्छे नहीं हैं। वे विधायक दल के नेता थे, मैं विपक्ष का नेता था। हम दोनों ने साथ काम किया है। 2006 में जब वे कांग्रेस में आए तो हमें इतनी नाराजगी नहीं थी। जब पार्टी का मुद्दा आया तो मैंने उनसे बात की है। हमने सत्ता मिलने पर उनके व्यवहार के तरीके पर सवाल उठाया है। हम आगे भी पूछेंगे। दोनों के बीच कोई दुश्मनी नहीं है। हम जिस कारण से सत्ता में आए हैं, उसे पूरा करना चाहिए। जब भी यह पूरा नहीं होगा तो हमने पार्टी मंच पर इस पर सवाल उठाएंगे।