20 फीसदी काम भी नहीं हुआ पूरा!
धन की कमी, ट्रैफिक जाम
हुब्बल्ली. ओल्ड कोर्ट सर्कल के पास बहुमंजिला कार पार्किंग भवन का काम दो साल पहले ही पूरा हो जाना चाहिए था, जो धन की कमी के कारण रुका हुआ है। पांच साल बाद भी 20 फीसदी काम भी पूरा नहीं हुआ है।
चन्नम्मा सर्कल, संगोल्ली रायन्ना सर्कल और कोर्ट सर्कल को जोडऩे वाले मध्य भाग में हमेशा वाहनों के आवागमन की समस्या बनी रहती है। इस समस्या के जल्द समाधान के कोई संकेत नजर नहीं आ रहे हैं।
स्मार्ट सिटी योजना के तहत वर्ष 2018 में ही काम शुरू हो चुका है। सुरेश शेजवाडकर ने निजी-सार्वजनिक सहभागिता (पीपीपी) में 50 करोड़ रुपए की लागत से इस काम का ठेका लिया है। मार्च 2022 में ही काम पूरा होना था।
बाधित हो रहा वाहनों का सुचारू आवागमन
योजना के अनुसार तीन भूतल एवं चार ऊपरी मंजिल का भवन बनाया जाना है। फिलहाल निचले स्तर से केवल दो मंजिलें ही पूरी हो पाई हैं और तीसरी मंजिल पर काम चल रहा है। इसके लिए उपयोग की जाने वाली लोहे की छड़ें दो-तीन बरसात में भीगने के कारण पहले ही जंग खा चुकी हैं। कार्य के लिए एहतियात के तौर पर साईं मंदिर और ग्रीन गार्डन रेस्टोरेंट के सामने की सडक़ को संकरा कर दिया गया है। रेस्टोरेंट के सामने सडक़ किनारे निर्माण कार्य की मिट्टी जमा होने से वाहनों का सुचारू आवागमन और भी बाधित हो रहा है।
वाहनों का दबाव अधिक रहता है
शहर के व्यवसायी साईनाथ मल्लनवर कहते हैं कि निचले स्तर की दूसरी मंजिल पर काम चल रहा था तो साईं मंदिर के सामने जमीन दो बार ढही और हादसा लगभग टल गया था। जब से काम शुरू हुआ है तब से एक बार भी इसमें तेजी नहीं आ सकी है। गुरुवार के दिन साईं मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। सडक़ संकरी होने से सुबह से शाम तक वाहनों का दबाव अधिक रहता है। स्मार्ट सिटी के अधिकारियों से पूछने पर वे बेबसी दिखते हैं।
एक साथ 290 कारों की पार्किंग
योजना का कुल निर्माण क्षेत्र लगभग 1,22,500 वर्ग फुट है, जिसमें से 35,000 वर्ग फुट का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। स्मार्ट कार्ड के माध्यम से कारों और बाइक के लिए प्रवेश देनाऔर डिजिटल विज्ञापन बोर्ड लगाकर आय संग्रह करना योजना का हिस्सा है। इसमें एक साथ 290 कारें पार्क की जा सकती हैं। पार्किंग सेंसर, बूम बैरिकेड्स और इमारत के चारों ओर उद्यान का निर्माण होगा। ठेकेदार को ही 32 वर्षों तक पट्टे (लीज) पर रखरखाव करना चाहिए।
टेंडर लेने कोई नहीं आएगा
स्मार्ट सिटी के एक अधिकारी ने लाचारी जताते हुए बताया कि कोविड के दौरान श्रमिकों की कमी के कारण काम धीमा था। अगले तीन साल तक ठेकेदार के पास धन की कमी के कारण काम में देरी हो रही है। पीपीपी मॉडल योजना होने के कारण शुरुआत में दो बार टेंडर बुलाए जाने पर कोई आगे नहीं आया। बाद में शेजवादकर को टेंडर मिला। काम आधा-अधूरा और पीपीपी मॉडल का होने के कारण वे टेंडर रद्द कर किसी और को देने की कोशिश भी करेंगे तो कोई लेने नहीं आएगा।
निविदा रद्द करने का निर्णय लिया जाएगा
ठेकेदार को जल्द काम पूरा करने का नोटिस भी दिया गया है। देरी को लेकर जिलाधिकारी और स्मार्ट सिटी बोर्ड के संज्ञान में भी लाया गया है। 50 करोड़ रुपए के काम में से सिर्फ 9 करोड़ रुपए का काम ही पूरा हो सका है। इसे पूरा करने के लिए जून तक की डेडलाइन दी गई है। यदि इससे अधिक हुआ, तो निविदा रद्द करने का निर्णय लिया जाएगा। इस बारे में ठेकेदार को नोटिस भी जारी किया है।
-चन्नबसवराज, उप महाप्रबंधक, स्मार्ट सिटी
दूसरे को टेंडर देने का दिया निर्देश
काम में देरी को लेकर अधिकारियों को चेतावनी दी है। स्मार्ट सिटी प्रबंधक को काम बंद कर किसी दूसरे को टेंडर देने का निर्देश दिया है।
-प्रल्हाद जोशी, केंद्रीय मंत्री