जल विद्युत गृहों में पानी की कमी
थर्मल पावर केंद्रों पर ही निर्भर
रायचूर. गर्मी में बिजली की मांग में वृद्धि को देखते हुए आरटीपीएस अधिकारियों की टीम ने रायचूर थर्मल पावर प्लांट से लगातार बिजली उत्पादन की तैयारी शुरू कर दी है।
राज्य के जल विद्युत गृहों में पानी की कमी के कारण अपेक्षित स्तर पर बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा है।
इस मांग को पूरा करने के लिए थर्मल पावर केंद्रों पर ही निर्भर है।

आरटीपीएस और वाईटीपीएस बिजली इकाइयां चालू रहेंगी
प्रदेश में अब 300 मिलियन यूनिट बिजली की मांग है। सौर, पवन और जलविद्युत केंद्रों से उपलब्ध बिजली का ही उपयोग करके आरटीपीएस और वाईटीपीएस बिजली केंद्रों पर दबाव कम किया जाता था। अब जलविद्युत केंद्रों का बिजली उत्पादन काफी गिर गया है। राज्य की बिजली मांग को पूरा करने के लिए आरटीपीएस और वाईटीपीएस बिजली इकाइयां चालू रहेंगी।

मार्च और अप्रेल में बिजली की मांग बढ़ेगी
आरटीपीएस की कुल आठ बिजली इकाइयों में से 210 मेगावाट क्षमता वाली पहली बिजली इकाई, दूसरी और तीसरी बिजली इकाई का उत्पादन बंद है। अन्य 5 बिजली इकाइयों से कुल 880 मेगावाट का उत्पादन हो रहा है। यरमरस थर्मल पावर की दो प्लांट (बीटीपीएस) से 1,060 मेगावाट बिजली पैदा की जा रही है। मार्च और अप्रेल में प्रदेश में बिजली की मांग बढ़ेगी।

राज्य को 30 मिलियन यूनिट बिजली की आपूर्ति
फिलहाल आरटीपीएस में कोयले की कोई समस्या नहीं है। 2.50 लाख मीट्रिक टन कोयला भंडारित है। आरटीपीएस के पावर प्लांटों से राज्य को 30 मिलियन यूनिट बिजली की आपूर्ति की जा रही है। वार्षिक रखरखाव के लिए तीसरी बिजली इकाई का उत्पादन बंद कर दिया गया है। 18 फरवरी को बंद हुई दूसरी बिजली इकाई में आई तकनीकी खराबी को जल्द ही दूर कर उत्पादन शुरू किया जाएगा।
-सुरेश बाबु, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, आरटीपीएस

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