मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या

दूसरे बजट में भी अधूरी रही उम्मीद
एक साल पहले किया था वादा
होसपेट (विजयनगर). मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने एक साल पहले चुनाव प्रचार सभा में वादा किया था कि उन्होंने होसपेट को अपने दिल में रखा है, शहर और जिले के विकास के लिए विशेष अनुदान देंगे। अब सिद्धरामय्या बतौर मुख्यमंत्री एक बार फिर शहर में आए हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद पेश किए गए दूसरे बजट में भी जिले को भुला दिया है, जिस पर कई लोगों ने अफसोस जताया है।
विजयनगर नागरिक वेदिके के अध्यक्ष वाई. यमुनेश ने बताया कि यह नया जिला है, खदान प्रभावित जिला भी है। होसपेट शहर का 50 फीसदी से अधिक क्षेत्र स्लम क्षेत्र है। आवास की समस्या का समाधान नहीं हुआ है। वहां मौजूद केवल एक चीनी कारखाना भी बंद हुए 8 वर्ष बीत चुके हैं। सरकारी मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज की मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। सूखे ने जिले को तबाह कर दिया है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री का दिल जिले के लिए क्यों नहीं पिघला, हमें समझ में नहीं आ रहा है।
हम्पी के निवासी प्रभुराज ने बताया कि पर्यटकों, विशेषकर विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने हम्पी के सर्वांगीण विकास के लिए एकल खिडक़ी प्रणाली बनानी चाहिए। कई विभागों के हितों के टकराव और कानूनी जटिलताओं के कारण यहां बुनियादी ढांचे को व्यवस्थित करने में देरी हो रही है। अगर मुख्यमंत्री अपना मन बना लें तो यह मुश्किल नहीं है।

ईएसआई अस्पताल नहीं
सीपीएम नेता भास्कर रेड्डी ने बताया कि शहर के कारिगनूर स्थित ईएसआई अस्पताल को बंद हुए 15 साल हो गए हैं। दोबारा शुरू करने की जद्दोजहद का अब तक कोई परिणाम नहीं निकला है। होसपेट शहर में संगठित और असंगठित श्रमिकों की संख्या लगभग 1 लाख है। सरकारी मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने के बारे में सरकार नहीं सोच रही है। हम इस संबंध में फिर से आंदोलन करेंगे।
कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि जिला प्रभारी मंत्री सरकार में इस जिले का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। बजट में कोई अनुदान नहीं है, निगम-मंडलों में भी जिले के पार्टी कार्यकर्ताओं की कोई कद्र नहीं है। इसे देखने पर प्रभारी मंत्री की प्रतिबद्धता और क्षमता पर संदेह पैदा होता है। मुख्यमंत्री को वास्तविकता को समझने का काम करना चाहिए।

शीघ्र ही नई कमेटी को नया ड्राफ्ट तैयार करना चाहिए
स्थानीय विधायक एचआर गवियप्पा के एक करीबी ने बताया कि नंजुंडप्पा रिपोर्ट के कार्यान्वयन के लिए समिति के पुनर्गठन का सरकार का हालिया निर्णय इस संबंध में आशा की एक किरण है। 2008 में क्षेत्र पूनर्गठन होने पर संडूर निर्वाचन क्षेत्र के 16 गांवों को होस्पेट में शामिल किया गया परन्तु नंजुंडप्पा रिपोर्ट में होस्पेट को एक संकटग्रस्त तालुक के रूप में उल्लेखित किया गया था। 16 गांवों के जुडऩे से होसपेट विधानसभा क्षेत्र एक गरीब निर्वाचन क्षेत्र में बदल गया है। जोड़े गए सभी 16 गांवों में नहर सिंचाई सुविधा नहीं है। लिफ्ट सिंचाई सहित एकीकृत सिंचाई प्रणाली के लिए अधिक अनुदान की आवश्यकता है। शीघ्र ही नई कमेटी को नया ड्राफ्ट तैयार करना चाहिए।

लोगों का आरोप है कि मुख्यमंत्री के करीबी रहे कुलपति के कार्यकाल में हम्पी कन्नड़ विश्वविद्यालय में वित्तीय घोटाला हुआ था। इसकी अभी भी जांच चल रही है। सरकार और अधिकारियों ने इसके बहाने बिजली बिल के लिए भी अनुदान नहीं देने का सख्त रुख अपनाया है। कई बार ज्ञापन सौंपने के बाद भी सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं देने को लेकर इस भाग में व्यापक रूप से आलोचना व्यक्त हुई है।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *