हगरिबोम्मनहल्ली तालुक के अंकसमुद्र पक्षी अभयारण्य में निर्माणाधीन टीले।

पक्षी अभयारण्य में जोरों से चल रहा कार्य
बल्लारी. रामसर नाम से जानेजाने वाले हगरिबोम्मनहल्ली तालुक के अंकसमुद्र पक्षी अभयारण्य में देश विदेशों से आने वाले प्रवासी पक्षियों के जीवन की रक्षा करने और घोंसले बनाकर प्रजनन की सुविधा के लिए वन विभाग ने उपजाऊ मिट्टी से टीलों का निर्माण शुरू किया है।
244 एकड़ क्षेत्र में करिजाली (काली कीकर) के पेड़ों पर बसे पक्षियों के लिए लगातार पानी जमा रहने के कारण पेड़ सड़ कर जमीन पर गिर रहे हैं, कुछ जमीन पर पड़े हुए हैं।
इसके कारण झील क्षेत्र में जमा पानी सूखने के समय में ही टीलों का निर्माण किया जा रहा है ताकि पक्षियों की जैव विविधता में खलल न पड़े। हाल ही में पक्षी विज्ञानियों की ओर से की गई गणना में स्थानीय तथा देशी-विदेशी 168 प्रजातियों के 48,825 पक्षी पाए गए थे।
यहां डेरा डाल चुके निवासी पक्षी भोजन के लिए तुंगभद्रा बैकवाटर में चले जाने के बाद मशीन से कार्य शुरू किए जा रहे हैं, पक्षियों के दोबारा अपने गंतव्य तक पहुंचने से पहले मशीन का कार्य बंद किया जा रहा है।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में बसे पेंटेड स्टॉर्क और ओपन-बिल स्टॉर्क के प्रजनन के लिए किसी प्रकार की कोई समस्या न हो इसे ध्यान में रखते हुए मजदूर टीलों का निर्माण कर रहे हैं। उन्होंने पानी सूखने के समय का उपयोग किया है।
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कीकर के बीजों को टीलों के केंद्र में बोकर पानी देकर जतन किया जा रहा है। सात दिन में 6 टीलों को 30 मीटर की दूरी पर बनाया गया है। तीन साल पहले 40 से ज्यादा 6 टीलों को बनाया गया था। आगामी दिनों में 54 और 6 टीले बनाने का लक्ष्य है। इसके बाद पक्षियों को हर जगह रहने और प्रजनन करने में कोई दिक्कत नहीं होगी।

पर्यावरण विशेषज्ञों की सलाह पर किए जा रहे हैं कार्य
वरिष्ठ अधिकारियों और पर्यावरण विशेषज्ञों की सलाह लेने के बाद टीलों का निर्माण किया गया। 60 टीलों का निर्माण करने की सलाह दी है। अब 6 पूरे हो चुके हैं और 56 बनाए जाएंगे। टीलों के चारों ओर तिल के बीज रखे जाएंगे मिट्टी का रिसाव न हो इसके लिए पौधे लगाए जाएंगे। हरी घास उगाई जाएगी, तो यह कठोर हो जाएगी।
रेणुकम्मा, क्षेत्रीय वन अधिकारी

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