आतंकियों जैसे चोरों का ट्रेनिंग सेंटर!आतंकियों जैसे चोरों का ट्रेनिंग सेंटर!

चड्ढी गैंग के लिए चोरी ही भगवान
मेंगलूरु. आपने आतंकियों के ट्रेनिंग सेंटरों के बारे में तो सुना ही होगा परन्तु अब चोरों के लिए भी ट्रेनिंग सेंटर बन गए हैं। यहां बच्चों को छोटी उम्र से ही तस्कर कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है!
मेंगलूरु समेत राज्य के विभिन्न हिस्सों में डकैती कर रहे “चड्डीगैंग” के गिरफ्तार सदस्यों से इस मामले का खुलासा हुआ है।
मेंगलूरु के दो जगहों पर घरों में चोरी के बाद पिछले जुलाई में पकड़े गए इस गिरोह के सदस्यों की मेंगलूरु पुलिस ने जांच और पूछताछ शुरू कर दी है। आरोप पत्र दाखिल करने का काम अंतिम चरण में पहुंच गया है। इनका संचालन कैसे होता है, बच्चों को कैसे प्रशिक्षित किया जाता है, क्या महिलाएं भी चोरी-लूट में हुनर दिखाती हैं, इन सब सवालों का जवाब जांच में मिला है।

ऐसा होता दिया जाता है प्रशिक्षण
यहां बच्चों को चोरी की ट्रेनिंग दी जाती है। चोरी को एक “पेशा” के तौर पर स्वीकार करना उनके दिमाग में बिठा दिया गया है। इसके लिए छोटे बच्चों को कठोर प्रशिक्षण दिया जाता है। शरीर और मन को कठोर बनाते हैं।

10 साल की उम्र में ही प्रशिक्षण!
अपराध करने के लिए 10 साल के बच्चों को अपने साथ लाया जाता है। इस तरह उन्हें कम उम्र में ही प्रशिक्षण मिल जाता है। टीम में महिलाएं भी हैं। दिसंबर 2023 में हुई एक घर में चोरी में पुलिस को जानकारी मिली थी कि 7 पुरुष और 4 महिलाएं थीं, उनमें से एक 8 महीने की गर्भवती थी।

उनके पास है हाइड्रोलिक कटर
चोरी के लिए उन्नत आधुनिक और शक्तिशाली हाइड्रोलिक कटर का उपयोग करते हैं। सारा सामान एक कपड़े में कमर पर बंधाते हैं और पीठ पर एक बैग होता है।

पारदी गिरोह उर्फ चुड्डी गैंग
यह गिरोह मध्य प्रदेश के गुना जिले की “पारदी” आदिवासी जनजाति का है। पूरे कस्बे में 200 से अधिक घरों के सदस्यों का चोरी, लूट, डकैती करना ही पेशा है। इसके अलावा, उन्होंने वन क्षेत्र में छोटे-मोटे कृषि कार्य भी करते हैं। इन्हें चड्डी गैंग, चड्डी बनियान गैंग, पारदी गैंग के नाम से भी जाना जाता है। वे कहीं भी पारदी होने का दावा नहीं करते, बल्कि बंगाल, झारखंड से होने का दावा करते फिरते हैं।

देश भर में चोरी
यह गिरोह देश भर में घूम-घूमकर लूट और चोरी की वारदातों को अंजाम देता है। वे मेलों में जाकर तंबू लगाकर गुब्बारे और इलेक्ट्रॉनिक सामान बेचते हैं। साथ ही वे अपने काम के लिए उपयुक्त घरों की भी पहचान कर उन्हें लूटते हैं।

चोरी के लिए भी ड्रेस कोड!
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह “चड्डी गैंग” है। इस गिरोह के सदस्य अपने पैरों में चप्पल नहीं पहनते हैं, केवल चड्डी पहनते हैं। उनका तर्क है कि कम से कम कपड़े पहने से चोरी करना और भागना आसान होता है।

व्यवस्थित नेटवर्क
चड्डी गैंग का नेटवर्क संगठित है, ये अकेले चोरी नहीं करते, ग्रुप में ही रहते हैं। इनका निशाना सिर्फ नकदी और सोने के आभूषण हैं। अगर वे चोरी के तुरंत बाद इलाके से भाग जाते हैं, तो पुलिस के लिए उन्हें दोबारा ढूंढना मुश्किल होता है। हमारे क्षेत्र के कोडीकल और कोटेकणी दोनो मामलों में फरार होने के दौरान ही सकलेशपुर में पकड़े गए।
भारती, पुलिस निरीक्षक, उरवा पुलिस ठाणा

 

 

 

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