समय पर दवा नहीं मिलने के आरोप
कारवार. कुल भूमि क्षेत्र का 79 प्रतिशत वन क्षेत्र वाले जिले में सरीसृपों से सुरक्षा के बारे में जागरूकता की कमी के कारण सर्पदंश के मामलों की संख्या बढ़ रही है।
हाल ही में मुंडगोड़ में एक पांच साल की बच्ची की सांप के काटने से मौत हो गई थी। मृतक बच्ची के अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि तालुक अस्पताल में सांप के काटने की दवा उपलब्ध होने पर भी डॉक्टरों ने उसे दवा नहीं दी। पिछले कुछ वर्षों में जिले में सांप के काटने से कई लोगों की जान जा चुकी है। इस प्रकार मरने वालों में कई लोगों को समय पर दवा नहीं मिलने के आरोप हैं।
निजी अस्पतालों से भी जुटाई जा रही जानकारी
पिछले साल फरवरी में राज्य सरकार की ओर से सांप के काटने को रोकथाम योग्य बीमारी घोषित किए जाने के बाद से स्वास्थ्य विभाग सांप के काटने और इससे होने वाली मौतों के बारे में जानकारी एकत्र कर रहा है। केवल सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों की जानकारी एकत्र करने वाला विभाग पिछले वर्ष से निजी अस्पतालों से भी जानकारी प्राप्त कर रहा है।
पिछले साल जिले में सांप काटने के 629 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें छह लोगों की मौत हो गई थी। 2023 में 595, 2022 में 322 और 2021 में 95 लोगों को सांपों ने काटा, परन्तु इनमें कितने लोगों की मौत हुई, इसकी पुष्टि स्वास्थ्य विभाग ने नहीं की है।
बरसाती पानी में बहकर आते हैं सरीसृप
एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि सर्पदंश के अधिकतर मामले जून से अक्टूबर के बीच सामने आते हैं। बरसात के मौसम में पहाडिय़ों से बड़ी मात्रा में पानी बहकर आने के साथ सरीसृप आबादी वाले क्षेत्रों में आ जाते हैं। झाडिय़ों से घिरी सडक़ों पर किसानों और स्कूल जाने वाले बच्चों का आवागमन अनिवार्य है। ऐसे स्थानों पर कृषि कार्य के दौरान सांप के काटने का शिकार होने वाले लोगों की संख्या अधिक होती है।
जिले में दर्ज सांप के काटने के मामले
वर्ष — मामले
2021 — 95
2022 — 322
2023 — 595
2024 — 629