-सरकारी सुविधाओं में ओटीपी से बाधा!
-आज भी बारिश होने पर बाहरी दुनिया से संपर्क खोते गांव
-समय पर ओटीपी प्राप्त किए बिना शिक्षा, रोजगार और सरकारी लाभ प्राप्त करना हुआ कठिन
शिवमोग्गा. मैं तत्काल जाति और आय प्रमाण पत्र की आवश्यकता के चलते ऑनलाइन आवेदन जमा करने गया था परन्तु ओटीपी मेरे घर पहुंचने के आधे घंटे बाद आया!
ये वरम्बल्ली के एक युवक के दर्द भरे शब्द हैं। राज्य के पश्चिमी घाट में स्थित मलेनाडु के कुग्रामोंं की स्थिति भी इससे अलग नहीं है। दुनिया 5जी की गति से आगे बढ़ रही है, और सूचनाएं तुरंत स्थानांतरित हो रही हैं परन्तु अब भी मलेनाडु के कई गांवों में नेटवर्क की समस्या के कारण स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है और ओटीपी भी समय पर नहीं आ रहा है।
इस विषय पर कई आंदोलन हुए हैं। कोविड काल में युवा पीढ़ी आक्रोशित हो गई और व्यवस्था को कोसने लगी। इसके बावजूद स्थिति में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ है। अभी भी ऐसे गांव हैं जो बारिश होने पर बाहरी दुनिया से संपर्क खो देते हैं।
राशन प्राप्त करने की प्रक्रिया में वन-टाइम पासवर्ड (ओटीपी) प्रणाली शुरू की गई थी परन्तु इसमें हो रही अनियमितताओं को महसूस करते हुए खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने ओटीपी प्रणाली पर रोक लगा दी है। ऐसे कई उदाहरण हैं जब मलेनाडु क्षेत्र के लोग ओटीपी अनिवार्य होने पर चावल लेने गए और ओटीपी प्राप्त किए बिना ही लौट गए। ग्रामीणों का मानना है कि फिंगरप्रिंटिंग देकर राशन प्राप्त करने की व्यववस्था वापस लाना सुविधाजनक तरीका हो सकता है परन्तु कई सरकारी सुविधाओं के लिए ओटीपी अनिवार्य है, जो मलेनाडु के कुग्रामों के निवासियों के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। सरकारों को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। समय पर ओटीपी प्राप्त किए बिना शिक्षा, रोजगार और सरकारी लाभ प्राप्त करना कठिन है।
…..इनके लिए ओटीपी की जरूरत
पैन कार्ड, आधार कार्ड लिंक, फ्रूट आईडी, आधार कार्ड डाउनलोड, जाति और आय प्रमाण पत्र (नाडकचेरी के लगभग 36 दस्तावेज), राजस्व विभाग से संबंधित प्रमाण पत्र और सत्यापन, नाडकचेरी को छोडक़र अन्यत्र प्राप्त करने के लिए, सामाजिक सुरक्षा के तहत ऑनलाइन आवेदन जमा करना योजना (नाडकचेरी को छोडक़र) के लिए ओटीपी की जरूरत है।
घर के अंदर केवल एक ही क्षेत्र में उपलब्ध होता है नेटवर्क
स्थानीय लोगों का कहना है कि नेटवर्क घर के अंदर केवल एक ही क्षेत्र में उपलब्ध होता है। इसके चलते इसे वहीं पर रखने के लिए अलग से व्यवस्था की जा रही है। कुछ जगहों पर तो घर के बाहर खूंटी पर पर्स टांगकर मोबाइल फोन रखा जाता है। मोबाइल फोन को घर के एक निर्धारित क्षेत्र में एक बॉक्स या स्टैंड में रखा जाता है। बीएसएनएल की स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
होसनगर के वरम्बल्ली के एचएन विनायकप्रभु ने कहा कि घर के अंदर कोई नेटवर्क उपलब्ध नहीं होता है। इसके चलते बात करने के लिए सडक़ पर आना चाहिए। अत्यावश्यक ओटीपी एकाध दिन देरी से आते हैं। भेजे गए संदेश समय पर नहीं पहुंचते हैं। हम 5जी युग में भी कीपैड मोबाइल का उपयोग कर रहे हैं।