मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान टूटे शिलालेखमंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान टूटे शिलालेख

चिक्कमगलूरु. पुरातत्व विभाग के अनुदान से कडूर के आसंदी स्थित चंडीकेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है परन्तु इस मंदिर के पास स्थित मौनेश्वर मंदिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। निर्माण के दौरान मौनेश्वर मंदिर के पास स्थित बहुमूल्य शिलालेख और पत्थर के स्मारक टूटे हैं।
अधिकारियों का कहना है कि जिन लोगों ने चण्डीकेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार किया, उन्होंने मौनेश्वर मंदिर पर ध्यान नहीं दिया। यह पुरातत्व विभाग के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। तालुक और ग्राम पंचायत अभिलेखों में मौनेश्वर मंदिर का उल्लेख है।
आसंदी के हनुमंताचार ने कहा कि आसंदी में कई मंदिरों का पुरातत्व विभाग की ओर से संरक्षण किया गया है, जो सराहनीय है। इसके अलावा प्राचीन शिलालेखों और वीरतापूर्ण स्मारकों के संरक्षण के लिए भी काम किया जाना चाहिए। इसके लिए इतिहास प्रेमियों के सहयोग रहता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि आज भी आसंदी के जमीन की गहराई में गंग और होयसल के अनगिनत ऐतिहासिक स्मारक मौजूद हैं। मौनेश्वर मंदिर के पास मिट्टी में दर्जनों शिलालेख दफन हैं। यहां ब्रह्म सूत्र वाले दुर्लभ शिवलिंग हैं।
इतिहासप्रेमियों का कहना है कि कुछ दिन पहले कन्नड़ का पहला यांत्रिक शिलालेख माना जाने वाला केरेसंते जैन शिलालेख मल्लिदेवीहल्ली में टूटी हुई अवस्था में पाया गया। इस महत्वपूर्ण शिलालेख का अनाथ होना पुरातत्व विभाग की कार्यप्रणाली का उदाहरण है।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *