अंतिम चरण के कैंसर से घबराने की जरूरत नहींमेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अपर्णा श्रीवत्स।

मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अपर्णा श्रीवत्स ने कहा
कैंसर दिवस पर विशेष
शिवमोग्गा. सह्याद्रि नारायण अस्पताल की मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अपर्णा श्रीवत्स ने कहा कि कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका पता शुरुआती अवस्था में ही लग जाता है तो इसका पूरी तरह से इलाज संभव है परन्तु यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत में कैंसर के ज्यादातर मरीजों में अंतिन चरण में कैंसर का पता लगता है।
कैंसर दिवस पर पत्रिका से विशेष बातचीत करते हुए डॉ. अपर्णा ने कहा कि कैंसर के लक्षणों के बारे में जागरूकता की कमी के कारण, शुरूआती स्तर में कैंसर के लक्षणों को नजरअंदाज करने वाले मरीज आखरी चरण में निराश हो जाते हैं। कैंसर के लक्षण हर किसी को पता होने चाहिए। शरीर पर कहीं भी गांठ दिखना, खून आना (नाक से, कफ में, मल में, अनियमित मासिक धर्म), अल्सर, पेट फूलना, दस्त या कब्ज, आवाज में बदलाव, खांसी, सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दो सप्ताह से अधिक समय तक बने रहते हैं तो डॉक्टर से परामर्श करना उचित है।
उन्होंने कहा कि अगर कैंसर का पता देर से आखरी चरण में भी चलता है, तो भी इसे नियंत्रित करने के कई तरीके हैं। एक समय में, कैंसर के अंतिम चरण के लिए कीमोथेरेपी ही एकमात्र विकल्प था परन्तु आज कई उन्नत उपचार उपलब्ध हैं जो कीमोथेरेपी की तुलना में कम दुष्प्रभाव पैदा करते हैं और अधिक कैंसरों का इलाज कर सकते हैं।
डॉ. अपर्णा ने कहा कि शिवमोग्गा स्थित सह्याद्रि नारायण अस्पताल में लक्षित चिकित्सा, इम्यूनोथेरेपी और हार्मोनल थेरेपी की मदद से अंतिम चरण के कैंसर का बिना किसी दुष्प्रभाव के इलाज किया जा रहा है। कैंसर के अंतिम चरण में दर्द से राहत के लिए सबसे प्रभावी दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रारंभिक चरण के कैंसर के उपचार में “दर्द रहित कीमोथेरेपी प्रदान करने के लिए पिक लाइन लगाने से रोगी की कैंसर से लड़ाई और भी आरामदायक हो गई है। ऐसे उपचारों से, कैंसर के अंतिम चरण के रोगी आशापूर्ण और सक्रिय जीवन जीने में सक्षम हुए हैं। कैंसर के लक्षणों के बारे में सभी को जागरूक होना जरूरी है। कैंसर के अंतिम चरण में पहुंच चुके मरीजों को डरना नहीं चाहिए और उन्हें आशावादी दृष्टिकोण के साथ इलाज करवाना चाहिए।

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