अच्युतराय मंदिर के पास नहीं शौचालयहम्पी के अच्युतराय मंदिर के पास स्थापित ई-शौचालय के अवशेष।

चिलचिलाती गर्मी शुरू हो रही है

पेयजल सुविधा भी नहीं

होस्पेट (विजयनगर). खुले संग्रहालय के तौर पर मशहूर हम्पी का केंद्र भाग कहे जाने वाले अच्युतराय मंदिर के पास कोई शौचालय या पेयजल सुविधा नहीं है। जैसे-जैसे चिलचिलाती गर्मी शुरू हो रही है, ये दोनों कमियां और अधिक स्पष्ट होती जा रही हैं।
आमतौर पर पर्यटक गाइड अपना दौरा सासिवेकालू गणेश मंदिर से शुरू करते हैं, तो विरुपाक्ष मंदिर के सामने बसवन्ना मंदिर और उसके पीछे की पहाड़ी पर चढक़र दोपहर तक अच्युतराय मंदिर पहुंचते हैं परन्तु वहां शौचालय नहीं है और पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं है। यह कोदंडराम मंदिर के पास भी नहीं है। इसके चलते यहां महिला पर्यटकों को जो कष्ट झेलना पड़ रहा है, वह अवर्णनीय है।

यवस्था का मखौल उड़ा रहा ई-शौचालय

पांच या छह साल पहले, हम्पी विश्व विरासत क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (एचडब्ल्यूएचए) की ओर से अच्युतराय सालुमंडप और कोदंडराम मंदिर के बीच के स्थान पर एक ई-शौचालय स्थापित किया गया था। विडम्बना यह है कि यह एक भी दिन काम नहीं आया। इसके अवशेष पूरी व्यवस्था का मखौल उड़ा रहे हैं।

पेड़ गिरा, किसी ने नहीं सुनी

पर्यटकों की शिकायत है कि ई-टॉयलेट लगने के कुछ दिन बाद ही तेज हवा और बारिश के कारण पेड़ की टहनी उस पर गिर गई, जिससे वह क्षतिग्रस्त हो गया। हम्पी विश्व विरासत स्थल प्रबंधन प्राधिकरण (हवाम) ने इसे पुन: स्थापित करने या इसके स्थान पर कोई अन्य शौचालय स्थापित करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है।

स्वदेश दर्शन में कार्यान्वयन

हवाम के अधिकारियों का कहना है कि स्वदेश दर्शन 2.0 परियोजना के तहत, अच्युतराय मंदिर के पास अच्छी तरह से सुसज्जित शौचालय और पीने के पानी की सुविधा प्रदान की जाएगी। परियोजना पहले से ही तैयार है और जल्द ही काम शुरू होने की उम्मीद है।

चिड़ाती स्वच्छ जल इकाई

विरूपाक्ष मंदिर के जूता स्टैंड के पास एक स्वच्छ जल इकाई है। यदि इसमें पानी बहता होता तो यह अमृत का स्रोत होता और हजारों पर्यटकों की प्यास बुझाता था परन्तु रखरखाव के अभाव में यह जीर्ण-शीर्ण हो गया है और बेकार पड़ा है, जिससे हम्पी की पेयजल प्यास को चिड़ा रहा है।

पर्यटकों की जरूरतों के प्रति हमेशा अनभिज्ञ

कई पर्यटकों ने बताया कि विरूपाक्ष मंदिर के पार्किंग स्थल के पास स्थित शौचालय के अलावा, अगला शौचालय विजय विठ्ठल मंदिर के पास है। स्मारकों के चारों ओर घूमने में कम से कम चार से पांच घंटे लगते हैं। इस बीच, महिलाओं को शौच के लिए कहां जाना चाहिए, यह प्रश्न कई वर्षों से उन्हें परेशान कर रहा है। इसके बावजूद संबंधित अधिकारी इस ओर कोई ध्यान न देकर आंखें मूंदे हुए हैं।

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