मिर्गी से डरें नहीं, सचेत रहेंएसएस नारायण सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के वरिष्ठ प्राध्यापक और न्यूरोलॉजिस्ट डॉ वीरन्ना गडाद।

विश्व मिर्गी दिवस पर विशेष
दावणगेरे. मिर्गी बीमारी के बारे में आपने सुना होगा। मरीज भी देखे होंगे। जिनकी दांत अचानक भिंच जाती है और जमीन पर यहां जहां भी खड़े हैं, वहीं पर नीचे गिर जाता है। भारत ही नहीं, विश्व में यह समस्या गंभीर है। अंदाजा लगा सकते हैं कि दुनियाभर में 65 मिलियन लोग इस बीमारी से पीडि़त हैं। यह बीमारी इतनी गंभीर है कि लोगों को जागरूक करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एपिलेप्सी दिवस भी मनाया जाता है। यह हर साल फरवरी में दूसरे सोमवार को मनाया जाता है। मिर्गी क्या है? क्यों बीमारी होती है और इस दिवस को मनाने के पीछे क्या इतिहास छिपा है। यह जानना जरूरी है।

मिर्गी न्यूरॉजिकल डिसऑर्डर यानी दिमाग की नसों से जुड़ी एक गंभीर और पुरानी बीमारी है। इसे अपस्मार और एपिलेप्सी के नाम से भी जाना जाता है। इस बीमारी में मरीज को दौरे पड़ते हैं, जो आमतौर पर 30 सेकेंड से लेकर 2 मिनट तक भी हो सकते हैं परन्तु कुछ मरीजों में ये समय थोड़ा ज्यादा भी हो सकता है। मरीज को जब दौरे पड़ते हैं तो मुंह से झाग निकलने लगता है, दांत भींच जाते हैं, शरीर लडखड़ाने लगता है और वो बेहोश हो जाता है। तो मिर्गी क्या है, ये किस उम्र में होता है और भी कई तरह से सवाल-जवाब हमारे मन में होते हैं, तो आज हम उनमें से ही कुछ सवालों के जवाब यहां विस्तार से जानेंगे।

एसएस नारायण सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के वरिष्ठ प्राध्यापक और न्यूरोलॉजिस्ट डॉ वीरन्ना गडाद ने कहा कि मिर्गी या फिट्स (दौरा) एक दुर्लभ मस्तिष्क संबंधी समस्या है। अचानक मस्तिष्क में विद्युतीय गतिविधि में गड़बड़ी होने पर यह बीमारी होती है।

मिर्गी किन में पाई जाती है?
उन्होंने कहा कि मिर्गी के लिए कोई आयु सीमा नहीं है। यह बीमारी छोटे बच्चों से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक में देखी जा सकती है।

मिर्गी के कारण क्या हैं?
डॉ वीरन्ना गडाद ने कहा कि मिर्गी के कई कारण हैं। यह मुख्य रूप से मस्तिष्क ज्वर, मस्तिष्क रक्तस्राव, मस्तिष्क एनीमिया, मस्तिष्क ट्यूमर, उच्च रक्तचाप और अन्य मस्तिष्क संबंधी बीमारियों में देखी जाती है। कुछ बच्चों में आमतौर पर छह वर्ष की आयु तक अचानक बुखार के साथ मिर्गी के दौरे पड़ते हैं, जिसे ज्वरीय दौरे कहा जाता है। मस्तिष्क संबंधी बीमारियों के अलावा, कई बार शरीर में कोई समस्या होती है जो मिर्गी का कारण बन सकती है। उदाहरण के लिए, जब रक्त में सोडियम का स्तर कम हो जाता है, जब अत्यधिक शराब का सेवन होता है, जब रक्त में दवाओं का स्तर बढ़ जाता है, और यहां तक कि रोजाना शराब पीने वाले व्यक्ति के अचानक शराब पीना बंद करने पर मिर्गी होने की संभावना होती है।
उन्होंने कहा कि मंदबुद्धि बच्चों में मिर्गी होने की संभावना अधिक होती है। कभी-कभी, गर्भवती महिलाओं या स्तनपान कराने वाली माताओं को विभिन्न कारणों से मिर्गी हो सकती है।

मिर्गी से पीडि़त लोगों को क्या करना चाहिए?
डॉ वीरन्ना गडाद ने कहा कि आपात तौर पर मिर्गी आने पर उन्हें लेटाकर पर्याप्त जगह देनी चाहिए। किसी भी वस्तु या कपड़े को मुंह में न डालें। उन्हें कसकर पकडऩा और बांधना हानिकारक है। आमतौर पर मिर्गी का दौरा कुछ ही मिनटों में बंद हो जाता है, सिके बाद जांच के लिए निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या विशेषज्ञ के पास ले जाना चाहिए। कभी-कभी, अगर दौरे बंद नहीं होते, तो तुरंत न्यूरोलॉजी सेंटर ले जाना चाहिए। हम इसे स्टेटस एपिलेप्टिकस कहते हैं।

मिर्गी के लिए डॉक्टर क्या करते हैं?
उन्होंने कहा कि अस्पताल में, डॉक्टर सबसे पहले मिर्गी को रोकने के लिए उचित दवा लिखते हैं और फिर रक्त परीक्षण, मस्तिष्क स्कैन और ईईजी जैसे परीक्षण करते हैं। मूल रूप से, वे इन सभी परीक्षणों को करके कारण का पता लगाने की कोशिश करते हैं।

मिर्गी का इलाज क्यों करना चाहिए?
डॉ वीरन्ना गडाद ने कहा कि अगर मिर्गी का इलाज न किया जाए तो इसके दोबारा होने की संभावना रहती है। सडक़ दुर्घटनाओं के कई उदाहरण हैं जिनमें जान-माल का नुकसान हुआ है। यदि यह रोग बच्चों में बार-बार होता है तो मानसिक विकलांगता की संभावना रहती है। जिन गर्भवती महिलाओं में अनियंत्रित मिर्गी होती है, उनमें गर्भपात का खतरा रहता है।

क्या मिर्गी संक्रामक है?
उन्होंने कहा कि बिल्कुल नहीं। यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती, परन्तु कुछ मामलों में यह वंशानुगत प्रतीत होती है।

क्या मिर्गी का कोई इलाज है?
डॉ वीरन्ना गडाद ने कहा कि नि:संदेह, मिर्गी का इलाज है। हम पहले दवाई आदि से इलाज करते हैं। हम रोग की गंभीरता के आधार पर एक निश्चित अवधि तक दवा लेने की सलाह देते हैं। हम आमतौर पर एक से पांच साल तक दवा लेने की सलाह देते हैं। कुछ मामलों में, आजीवन दवा लेने की आवश्यकता होती है। यदि दवाओं से स्थिति नियंत्रित नहीं हो पाती तो आगे के परीक्षण और सर्जरी आवश्यक हो सकती है।

क्या मिर्गी से पीडि़त व्यक्ति से विवाह कर सकते हैं?
डॉ वीरन्ना गडाद ने कहा कि निश्चित रूप से विवाह कर सकते हैं। जैसा कि पहले बताया गया है, उचित दवा से रोग को नियंत्रण में लाया जा सकता है। सही सलाह के साथ, संतोषप्रद विवाहित जीवन जी सकते हैं।
उन्होंने कहा कि एसएस नारायण सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में मिर्गी के परीक्षण के लिए अत्याधुनिक तकनीक वाले डॉक्टर और उपकरण उपलब्ध हैं। हमने हजारों मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज किया है।

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