सरकार ने नियंत्रण के लिए प्रौद्योगिकी की ओर किया रुख
हुब्बल्ली. राज्य में 5 साल में 32,066 बार जंगल में आग लगने के मामले सामने आए हैं। हजारों एकड़ वन भूमि के विनाश से चिंतित सरकार ने प्रौद्योगिकी का सहारा लिया है।
जंगल की आग, निगरानी और विश्लेषण सेल का गठन कर जंगल की आग का पता लगाने के लिए सैटेलाइट इमेजरी और सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है।
सैटेलाइट के जरिए रियल टाइम में मिलने वाले एसएमएस संदेश को संबंधित क्षेत्र के वन विभाग को भेज दिया जाएगा। साथ ही इसे साफ्टवेयर में भी दर्ज किया जा रहा है।
वन विभाग के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक प्रभाष चंद्र रे ने बताया कि अनियंत्रित जंगल की आग के पूर्वानुमान को जानने के लिए 3 साल पहले कर्नाटक में ही पहली बार एक नया सॉफ्टवेयर विकसित किया गया था। इस सॉफ्टवेयर के जरिए हर साल औसतन 5,000 जंगल में आग लगने के मामले प्रकाश में आ रहे हैं। इसे और विकसित करने की योजना है।

5 वर्षों में जंगल की आग 32,066 घटनाएं
राज्य के वन क्षेत्रों में 5 वर्षों में आग लगने की 32,066 घटनाएं हुई हैं और हजारों एकड़ भूमि नष्ट हुई है। तुमकूर, रामनगर, बेंगलूरु ग्रामीण, सागर, चिक्कबल्लापुर, मंड्या, भद्रावती, शिरसी भाग में सबसे ज्यादा जंगल में आग लगने के बारे में इस नई तकनीक से पता चला है।
जंगल में आग लगाने के सैकड़ों उदाहरण
वन विभाग के शीर्ष सूत्रों ने कहा कि राज्य में लकड़ी (टिंबर) माफिया का बोलबाला है। तस्कर पेड़ काटने की जगह का पता न चल सके इसके लिए पूरे जंगल में आग लगा देते हैं। 30 प्रतिशत जंगल की आग के मामलों का यह मुख्य कारण है। जंगली जानवरों का शिकार करने के लिए आने वालों से भी जंगल में आग लगाने के सैकड़ों उदाहरण हैं।
चिंगारी लगने से आग
प्रकृति के कारण स्वाभाविक रूप से जंगल की आग का लगने के मामले 5 प्रतिशत मात्र हैं। जंगल में स्थानीय लोगों और पर्यटकों की ओर से सिगरेट फेंकने, अवैध रूप से जंगल में प्रवेश करने और वहां खाना पकाने और बिना आग बुझाए धूम्रपान करने के कारण आग की कई दुर्घटनाएं हुई हैं।
नई तकनीक को लागू करने में उत्साह दिखाया
अन्य राज्यों ने भी जंगल की आग का पता लगाने के लिए डिज़ाइन की गई नई तकनीक को लागू करने में उत्साह दिखाया है। यह बड़े पैमाने पर जंगल की आग से बचने में मददगार है। जंगल में आग लगने पर जनता को वन विभाग के कर्मचारियों को सूचित करना चाहिए।
–सुभाष के. मालेगिडे, आईएफएस अधिकारी
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पांच साल में जंगल की आग के मामलों की जानकारी
वर्ष – मामला
2017 – 5,621
2018 – 5,557
2019 – 5,235
2020 – 5,370
2021 – 5,644
2022 – 4,238