वनवासियों के लिए वरदान बना टेलीमेडिसिनधारवाड़ जिले के एक गांव में टेली-मेडिसिन योजना के तहत मरीज की जांच करते कार्यकर्ता।

छोटी-छोटी बीमारियों के लिए आनलाइन परामर्श

वनवासी कल्याण योजना

हुब्बल्ली. पहाड़ी और दूरदराज के गांवों के लोगों को छोटी-छोटी बीमारियों के लिए भी डॉक्टरों से इलाज कराने के लिए शहरों की यात्रा करना मुश्किल लगता है। वनवासी कल्याण संगठन ने टेलीमेडिसिन नामक योजना के माध्यम से इस समस्या का समाधान ढूंढ लिया है।

बुखार, सर्दी, खांसी और अन्य छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए शहर जाना न केवल अधिक समय लगता है, बल्कि आर्थिक रूप से भी बोझिल है, इस बात को समझते हुए वनवासी कल्याण ने मरीजों को उनके गांवों में मुफ्त आपातकालीन उपचार प्रदान करने में सफलता प्राप्त की है।

ऑनलाइन के जरिए संभावित सभी बीमारियों का इलाज किया जा रहा है। अब तक राज्य में 5,900 लोगों को इस योजना के तहत उपचार मिल चुका है और वे पूरी तरह ठीक हो चुके हैं।

दस जिलों में योजना विस्तरित कर पर विचार

वनवासी कल्याण योजना के एक अधिकारी ने बताया कि कोविड महामारी के दौरान राज्य में शुरू की गई यह योजना विभिन्न कारणों से ज्यादा प्रगति नहीं कर पाई है। बीच में इसे छह महीने तक निलंबित रखा गया था, परन्तु जब इसे पुन: शुरू किया गया तो इसे जनता से अच्छी प्रतिक्रिया मिली और अब यह सफलतापूर्वक चल रही है। यह राज्य के सात जिलों में सक्रीय है तथा धारवाड़ जिले में इसे डेढ़ वर्ष पहले शुरू किया गया था। राज्य के दस जिलों में वनवासी कल्याण योजना विस्तरित करने पर विचार किया जा रहा है।

ऐप के माध्यम से संचालन

गांवों में शिक्षित लोगों को वनवासी कल्याण कार्यकर्ता के रूप में तैनात किया जा रहा है और उनके माध्यम से मरीजों को इलाज कराने में सहायता प्रदान की जा रही है। इन कार्यकर्ताओं को रक्तचाप, बुखार और मधुमेह जांच जैसी बुनियादी ट्रेनिंग दी गई है। वे डॉक्टर फॉर सेवा ऐप के माध्यम से मरीजों को डॉक्टरों से जोड़ते हैं। वे डॉक्टर के निर्देशानुसार मरीजों को दवाइयां भी वितरित करते हैं।

हर माह 40,000 दवाइयां आपूर्ति

वनवासी कल्याण एक अन्य स्वास्थ्य अनुकूल योजना है। इस योजना के तहत प्रत्येक जिले को हर माह 40,000 दवाइयां आपूर्ति की जा रही हैं। ये दवाइयां कार्यकर्ताओं को वितरित की गई हैं तथा इनकी सूची डॉक्टरों को दे दी गई है। डॉक्टर केवल इस सूची में दी गई दवाओं की ही सलाह देते हैं। परामर्श अवधि प्रतिदिन शाम 4 से 6 बजे तक निर्धारित की गई है। इसके अतिरिक्त, एक मोबाइल मेडिकल वाहन भी संचालित किया जा रहा है।

कार्यकर्ताओं के लिए भी मासिक वेतन तय

वर्तमान में, इस योजना के अंतर्गत एक सामान्य चिकित्सक, एक स्त्री रोग विशेषज्ञ और एक बाल रोग विशेषज्ञ समेत तीन डॉक्टर अनुबंध पर हैं। उनके पारिश्रमिक का प्रबंध डॉक्टर्स फॉर सर्विस टीम की ओर से किया जाता है। कार्यकर्ताओं के लिए भी मासिक वेतन तय किया गया है।

डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने की भी योजना

टेली-मेडिसिन योजना के तहत इलाज संभव नहीं होने पर वनवासी कल्याण कार्यकर्ता ऐसे मरीजों को इलाज के लिए अस्पताल भी ले जा रहे हैं। जैसे-जैसे योजना सफलतापूर्वक आगे बढ़ रही है, वनवासी कल्याण डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने की भी योजना बना रहा है।

राष्ट्रीय स्तर पर मॉडल योजना के रूप में चुना

दो राज्यों में बंद हुई यह योजना कर्नाटक में सफल हुई है। इस प्रायोगिक योजना को अब राष्ट्रीय स्तर पर मॉडल योजना के रूप में चुना गया है।
विश्वनाथ पुजार, राज्य प्रभारी, टेलीमेडिसिन योजना

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