पुलिस अधीक्षक यतीश दी जानकारी
मेंगलूरु. दक्षिण कन्नड़ जिले के पुलिस अधीक्षक यतीश एन. ने कहा कि द्वितीय पीयूसी में पढऩे वाला छात्र दिगंत पैसों के लिए संघर्ष कर रहा था। वह एक रिसॉर्ट में काम के लिए भर्ती हो गया था। उसने बिना टिकट लिए ट्रेन से यात्रा की थी।
वे शहर में पत्रकारों को फरंगीपेट के छात्र की खोज के बारे में दिलचस्प जानकारी साझा की।
उन्होंने कहा कि दिगंत 25 फरवरी को घर से निकला तो उसके पास केवल 500 रुपए थे। घर से निकलने के बाद वह कुछ दूर तक रेल की पटरियों के किनारे-किनारे चला। वह आंतरिक मार्ग से अर्कुला में राष्ट्रीय राजमार्ग पर पहुंचा था। वह एक बाइक सवार से लिफ्ट मांगकर मेंगलूरु आया था। यहां से उसने बस से शिवमोग्गा तक यात्रा की और वहां से रेलगाड़ी से मैसूर पहुंचा। वहां इधर-उधर भटकने के बाद बिना टिकट लिए ट्रेन से केंगेरी तक यात्रा की। वह केंगेरी से नंदी हिल्स गया था। तब तक उसके पास पैसे ख़त्म हो चुके थे। उसने वहां कुछ दिनों तक एक रिसॉर्ट में काम किया। पैसे मिलने के बाद, वहां से फिर केंगेरी लौटा और रेलगाड़ी से मैसूर पहुंचा। वहां से मुरुडेश्वर एक्सप्रेस ट्रेन में सवार हुआ और शनिवार को उडुपी चला गया था। उडुपी की एक दुकान से कपड़े खरीदे परन्तु उसके पास कोई पैसा नहीं था। उसने कपड़ों के पैसे चुकाए बिना भागने की कोशिश की और वहां मौजूद कर्मचारियों ने उसे पकड़ लिया था। जब उन्होंने पूछताछ की तो उसने बताया कि वह घर छोडक़र आया है। कर्मचारियों ने स्थानीय पुलिस को सूचना दी। हम उसे बाद में वापस ले आए।
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि उसे यह स्पष्ट नहीं था कि क्या करना है। जी हां, यह सच है कि उसने उडुपी के दुकानदार से फोन लेकर अपने परिवार को फोन कर उसने बताया था कि किसी ने उसका अपहरण कर लिया है। उसने पहले भी हमसे यही बात कही थी। उसे खाना देने और समझाइशी करने के बाद उसने सच बता दिया।
एक सवाल के जवाब में पुलिस अधीक्षक ने कहा कि मोबाइल फोन लेकर गया तो पकड़े जाने का कारण उसने इसे फेक दिया था। उसकी एड़ी में चोट लग गई थी। इसके चलते रेलवे पटरियों के पास मिली उनकी चप्पलों पर खून का धब्बा था।
उन्होंने कहा कि ट्रेन से उडुपी जाते समय उसने देखा कि पुलिस फरंगीपेट में तलाशी ले रही थी। उसने खुद हमें इस बारे में बताया। घर छोडऩे के बाद से उसने अपने दोस्तों से संपर्क करने की कोशिश भी नहीं की। इसलिए हमें उसे ढूंढने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। हमने उसे बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया है। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई है, इसलिए इसे उच्च न्यायालय के समक्ष पेश जाना चाहिए।
पुलिस अधीक्षक यतीश ने कहा कि वह पढ़ाई में बहुत पिछड़ा हुआ छात्र नहीं है। मेंगलूरु पीयू कॉलेज में विज्ञान का छात्र था और एसएसएलसी में उसने 79 प्रतिशत अंक प्राप्त किया था। ठीक से अभ्यास नहीं करने के कारण अंतिम चरण में उसे परीक्षा का डर सताया। उसे गहन परामर्श की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि हम शुरू से ही छात्र की तलाश कर रहे थे। हमने डॉग स्क्वायड की मदद से तीन बार तलाशी ली। हमने ड्रोन का भी इस्तेमाल किया। छात्र को ढूंढने के लिए हमने बंटवाल उपमंडल के डीएसपी के नेतृत्व में सात पुलिस टीमें गठित की थीं।
संवाददाता सम्मेलन में जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेंद्र और बंटवाल के पुलिस उपाधीक्षक विजयप्रसाद उपस्थित थे।