विमानों के उतरने और उड़ान भरने से पहले की जाती है आतिशबाजी
मेंगलूरु. हवाई अड्डों पर पक्षियों और जानवरों को नियंत्रित करने के लिए एक टीम काम कर रही है और विमानों के उतरने और उड़ान भरने से पहले आतिशबाजी करना भी इस टीम का काम है।
उड़ान के दौरान रनवे पर पक्षियों को डराने के लिए पटाखे फोडऩे की प्रथा आज भी मेंगलूरु सहित देश के विभिन्न हवाई अड्डों पर प्रचलित है। इसके लिए एक टीम ही है!
कौवे, कबूतर, चील, सारस, गिद्ध, किंगफिशर और बत्तखें हवाई अड्डे के रनवे पर घूमते रहते हैं। यदि ये किसी विमान के सामने आ जाएं या उससे टकरा जाएं तो बड़ी आपदा घटित हो जाएगी। इस उद्देश्य से, 130 डेसिबल की ध्वनि उत्पन्न करने वाले प्रोपेन आधारित पटाखे फोडऩे तथा रनवे पार करने वाले पक्षियों को डराने के लिए पिस्तौल से नकली गोलियां चलाने की प्रथा अभी भी प्रचलित है।
इस काम को अंजाम देने वाले “पक्षी पकडऩे वालों” के लिए रनवे के बाहर एक “तम्बू” बनाया गया है, और मेंगलूरु हवाई अड्डे पर कुल 24 लोग तीन शिफ्टों में काम करते हैं।
लोहे के लांचर में आतिशबाजी!
एक दिन के उपयोग के लिए पर्याप्त पटाखों के कुछ डिब्बे तंबू में रखे जाते हैं। पटाखे फोडऩे के लिए एक नया लोहे का “लॉन्चर” इस्तेमाल किया जाता है। इसके अंदर पटाखे रखकर बिना किसी खतरे के जलाए जाते हैं। इससे आतिशबाजी की आवाज भी तेज हो जाती है।
नियमित रूप से घास की काटाई
रनवे के बाहर घास पर खरगोश, चूहे, सांप आदि होते हैं। पक्षी भी यहीं अपने अंडे देते हैं। इसे रोकने के लिए “बर्ड चेजर” टीम भी नियमित रूप से घास काटने का काम कर रही है।
कीड़ों की है सबसे बड़ी समस्या हैं!
आमतौर पर जब किसी हवाई अड्डे पर बम की धमकी मिलती है तो समूचे सिस्टम को संभालना एक चुनौती होती है, तो वहीं रनवे परिधि पर कीड़ों से निपटना एक अलग चुनौती है!
कीड़ों और तितलियों का रनवे के पास स्थित टर्फग्रास (घास के बिस्तर) में शरण लेना आम बात है। यदि उन्हें कोई कीड़ा दिखाई देता है तो पक्षी उसे खाने के लिए रनवे की ओर आते हैं। इसके अलावा कीड़ों के कारण खरगोश, चूहे और सांपों की संख्या भी बढ़ जाती है। इसलिए, कीड़ों को पकडऩे के लिए रात के समय रनवे क्षेत्र में एक बड़ा टब जैसा उपकरण रखा जाता है, जैसा कि घरों और दुकानों में किया जाता है।
पक्षियों-प्राणियों की आवाजाही को ऐसे किया जाता है नियंत्रित
-तेज आवाज वाले पटाखे फोडऩा, पिस्तौल से नकली गोलियां चलाना।
-बहुत अधिक शोर उत्पन्न करने वाले एलपीजी संचालित ज़ोन गन का उपयोग।
-वाहन में यात्रा करते समय लाउडस्पीकर के माध्यम से शिकारी पक्षियों की आवाज प्रसारित करना।
-यदि कोई सांप आ जाए तो उसे रनवे के बाहर भेजने का प्रयास करना। यदि यह खतरनाक है तो वन विभाग को सूचित करना।