पिलिकुला जैविक उद्यान की रानी अब दस बच्चों की मां

रानी ने एक नर और एक मादा शावक को दिया जन्म

जैविक उद्यान बाघों की संख्या हुई दस

दानदाताओं और सीएसआर अनुदानों के जरिए किया जाता है वित्तपोषण

कोई सरकारी अनुदान नहीं

मेंगलूरु. पिलिकुला जैविक उद्यान में रानी नामक मादा बाघ ने दो शावकों को जन्म दिया है, जिससे यहां बाघों की संख्या दस हो गई है। शावक स्वस्थ हैं। यह एक नर और एक मादा शावक है, और वे अब दो महीने के हो गए हैं।
इसी “रानी बाघिन” ने 2016 में 5 शावकों को जन्म देकर एक रिकॉर्ड बनाया था। उसने 2021 में 3 शावकों को जन्म दिया, जिससे वह अब कुल दस बच्चों की मां बन गई है।

बन्नेरघट्टा से आई

वर्ष 2016 में पशु विनिमय कार्यक्रम के तहत बन्नेरघट्टा से रानी बाघिन को पिलिकुला लाया गया था और बदले में यहां से एक नर बाघ बन्नेरघट्टा चिडिय़ाघर को दे दिया गया था। पहले पिलिकुला में 15 से अधिक बाघ थे।

पिलिकुला के बाघ की मांग

जब पिलिकुला में चिडिय़ाघर खोला गया तो शिवमोग्गा के तावरेकोप्पा चिडिय़ाघर से एक बाघ लाया गया था परन्तु अब शिवमोग्गा चिडिय़ाघर से ही यहां के बाघों की मांग बढ़ रही है। हम्पी चिडिय़ाघर से भी मांग आई है। चिडिय़ाघर एक बाघ को मध्य प्रदेश से विनिमय के तहत लाने की भी योजना बना रहा है।

विधान मंडल समिति ने की सराहना

देश में 150 चिडिय़ाघर हैं, जिनमें से 18 बड़े चिडिय़ाघर हैं। इसमें पिलिकुला भी शामिल है। यह केंद्रीय प्राणी प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाला चिडिय़ाघर है। चिडिय़ाघर को कोई सरकारी अनुदान प्राप्त नहीं है। इसका वित्तपोषण दानदाताओं और सीएसआर अनुदानों के जरिए किया जाता है। विधान मंडल समिति ने हाल ही में पिलिकुला का दौरा कर पिलिकुला के प्रबंधन की सराहना की थी।

पिलिकुला देश का सबसे बड़ा पशु प्रजनन क्षेत्र

केंद्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण के अंतर्गत देश के चिडिय़ाघरों में पिलिकुला सबसे अधिक प्राणियों वाला चिडिय़ाघर है। केंद्रीय आंकड़ों के अनुसार 2023-24 में पिलिकुला की औसत प्रजनन दर 36.47 प्रतिशत और मृत्यु दर 3.99 प्रतिशत है। देश के चिडिय़ाघरों में प्राणियों की औसत जन्म दर 8.14 प्रतिशत और मृत्यु दर 5.81 प्रतिशत है।

अन्य चिडिय़ाघरों से भी मांग काफी अधिक है

रानी बाघिन के दो शावकों के शामिल होने से पिलिकुला में बाघों की कुल संख्या बढक़र 10 हो गई है। शावक स्वस्थ हैं और जल्द ही गोद लेने के लिए आगे आने वाले दानदार्ताओं की ओर से उनका नामकरण किया जाएगा। पिलिकुला बाघों के लिए अन्य चिडिय़ाघरों से भी मांग काफी अधिक है।
एच. जयप्रकाश भंडारी, निदेशक, पिलिकुला जैविक उद्यान

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