धारवाड़ दुग्ध संघ ने दूध आयात करने का लिया निर्णय
अन्य जिलों और राज्यों से लाने के लिए उठाए कदम
अप्रेल और मई में मांग में 10 फीसदी वृद्धि की उम्मीद
धारवाड़. भीषण गर्मी से परेशान लोग दूध और छाछ की ओर रुख कर रहे हैं परन्तु अगले 2 महीनों में दूध उत्पादन में कमी आने की चिंता बढ़ गई है और धारवाड़ दुग्ध उत्पादन संघ (दामुल) इसे हल करने के लिए वैकल्पिक उपाय करने की योजना बना रहा है।
गर्मियों के दौरान दूध का उत्पादन स्वाभाविक रूप से कम हो जाएगा। इसलिए संघ ने अन्य जिलों व बाहरी राज्यों से दूध आयात करने की तैयारी कर ली है तथा कहां से कितना दूध आयात करना है, इस पर निर्णय लिया जा रहा है।
सरकार से किया सहायता देने का अनुरोध
गर्मियां आते ही दूध, दही, छाछ, लस्सी और आइसक्रीम की मांग बढ़ जाती है। लोग दूध का उपयोग भोजन और औषधि दोनों के रूप में करते रहे हैं। यह एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसका उपयोग अपच, बुखार, उल्टी और दस्त जैसी बीमारियों के इलाज के लिए भी किया जा सकता है। इसलिए दूध की कमी को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठा रही दामुल ने सरकार को पत्र लिखकर किसानों को सहायता देने का अनुरोध किया है।
चर्मगांठ रोग की चुनौती
केएमएफ अधिकारियों का कहना है कि 2023-2024 में मवेशियों में चर्मगांठ रोग के कारण दूध उत्पादन कम हुआ था। टीकाकरण के बावजूद रोग पर नियंत्रण में नहीं आने के कारण दूध उत्पादन में कमी आई है। इसके परिणामस्वरूप उत्तर कर्नाटक के अन्य जिलों से दूध मंगाया गया। लोगों को गुणवत्तापूर्ण दूध उपलब्ध कराने के उद्देश्य से नंदिनी स्टोर खोले गए हैं।
प्रत्यक्ष दूध बिक्री को प्राथमिकता दी जा रही है
वर्तमान में धारवाड़ दुग्ध उत्पादन संघ की ओर से प्रतिदिन 1,30,000 लीटर दूध का उत्पादन किया जा रहा है। 30,000 लीटर दही, 25,000 लीटर लस्सी, 4000 लीटर छाछ की आपूर्ति की जा रही है। अप्रेल और मई में मांग में 10 फीसदी की वृद्धि होने की उम्मीद है। इसे ध्यान में रखते हुए संघ ने दूध की खरीद के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं। मांग को पूरा करने के लिए दूध पाउडर का उत्पादन कम किया जा रहा है तथा प्रत्यक्ष दूध बिक्री को प्राथमिकता दी जा रही है।
दुधारू मवेशी कम दूध देते हैं
कवलगेरी के किसान हजरतसाब मकतुमसाब नदाफ का कहना है कि गर्मियों के दौरान दुग्ध उत्पादों की बहुत मांग होती है। इस अवधि के दौरान मवेशी पालने वाले किसानों को चारे और पानी की आपूर्ति के मामले में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। किसानों को सरकार से उचित प्रोत्साहन और मूल्य नहीं मिल रहा है। गर्मी के मौसम में सूखा चारा खाने के कारण दुधारू मवेशी कम दूध देते हैं।
बाहरी जिलों से दूध आयात करने का निर्णय
ग्रामीण क्षेत्रों में दुग्ध उत्पादन को और अधिक प्रोत्साहन देना आवश्यक है। धारवाड़ दुग्ध उत्पादक संघ उत्पादित दूध का उचित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। फिलहाल धारवाड़ में दूध की कोई कमी नहीं है। गर्मियों के दौरान मांग के अनुसार बाहरी जिलों से दूध आयात करने का निर्णय लिया गया है।
–शंकर मुगद, अध्यक्ष, केएमएफ, धारवाड़
