कर्नाटक में अब एलकेजी-यूकेजी बच्चों को भी मिलेगा मिड-डे-मीलमिड-डे-मील

राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार को सौंपा प्रस्ताव

हुब्बल्ली. वर्तमान में प्राथमिक और उच्च विद्यालयों तक सीमित मध्याह्न भोजन (मिड-डे-मील) योजना अब पूर्व-प्राथमिक विद्यालयों तक भी विस्तारित की जाएगी। अगले शैक्षणिक वर्ष से ही एलकेजी और यूकेजी के बच्चों को भी मिड-डे-मील मिलेगा।

सरकारी स्कूलों में बच्चों के नामांकन, उपस्थिति और सीखने की क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने 2002-03 में प्राथमिक स्कूल के बच्चों के लिए एक महत्वाकांक्षी मध्याह्न भोजन योजना शुरू की थी। बाद में इसे धीरे-धीरे माध्यमिक (हाईस्कूल) और अनुदानित विद्यालयों तक विस्तारित किया गया। वर्तमान में कक्षा 1 से 10 तक के विद्यार्थी इसका लाभ उठा रहे हैं। अब इस योजना को प्री-प्राइमरी स्कूलों तक भी विस्तारित करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है।

राज्य सरकार की ओर से हाल ही में शुरू किए गए एलकेजी और यूकेजी स्कूलों को राज्य में अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। वर्तमान में, प्राथमिक विद्यालयों में ही पूर्व-प्राथमिक कक्षाएं संचालित की जा रही हैं, परन्तु उन छात्रों को अतिरिक्त भोजन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। इसके बजाय, प्राथमिक स्कूल के बच्चे छोटे बच्चों के साथ भोजन साझा कर रहे हैं। इसलिए सरकार का लक्ष्य एलकेजी-यूकेजी के बच्चों को भी मिड-डे-मील उपलब्ध कराना है। यदि केंद्र से हरी झंडी मिल जाती है तो अगले शैक्षणिक वर्ष से एलकेजी और यूकेजी के बच्चों को भी मिड-डे-मील मिलेगा।

55 लाख छात्रों को मिड-डे-मील

वर्तमान में राज्य के 20,174 निम्न प्राथमिक, 21,739 उच्च प्राथमिक, 4,844 सरकारी उच्च विद्यालयों (हाईस्कूल) और 6,320 अनुदानित विद्यालयों के 55 लाख विद्यार्थी मध्याह्न भोजन योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 10 तक 42.92 लाख विद्यार्थी और अनुदानित स्कूलों में 12.32 लाख विद्यार्थी हैं। अगले शैक्षणिक वर्ष से प्री-प्राइमरी स्कूल के बच्चों की संख्या बढ़ाकर 2 लाख की जा रही है और उन्हें भी इस योजना का लाभ मिलेगा।

केंद्र सरकार को सौंपा प्रस्ताव

मध्याह्न भोजन योजना को पूर्व-प्राथमिक स्कूल के बच्चों तक विस्तारित करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव सौंपा गया है। अनुमति मिलने पर अगले शैक्षणिक वर्ष से ही इसे शुरू किया जाएगा।
डॉ. केवी त्रिलोकचंद्र, आयुक्त, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग

परियोजना का उद्देश्य

-स्कूल में नामांकन और उपस्थिति में वृद्धि
-शैक्षणिक वर्ष के मध्य में स्कूल छोडऩे वालों को रोकना
-पौष्टिक भोजन के माध्यम से स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार

2 लाख बच्चों को लाभ

राज्य में वर्तमान में 2619 सरकारी प्री-प्राइमरी स्कूल हैं, जिनमें 90,195 छात्र अध्ययनरत हैं। अगले शैक्षणिक वर्ष में स्कूलों की संख्या बढ़ाकर 5,000 की जा रही है तथा विद्यार्थियों की संख्या 2 लाख तक पहुंच जाएगी। केंद्र सरकार पहले ही प्रधानमंत्री पोषण योजना के तहत 60 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कर रही है, राज्य सरकार का हिस्सा 40 प्रतिशत है। इसी तर्ज पर योजना का विस्तार कर 5,000 पूर्व-प्राथमिक विद्यालयों के 2 लाख छात्रों को लाभान्वित करने का अनुरोध किया है।

खाद्य सहायता प्रदान कर चुकी है। राज्य सरकार धनराशि उपलब्ध करा रही है, जिसमें इसने कि इस योजना का
किया जाए। (स्कूल गर्म भोजन कर्मचारियों द्वारा बंद कर दिया गया है!)

आंकड़े

-वर्तमान में प्री-प्राइमरी स्कूलों की संख्या 2619 है।
-अगले शैक्षणिक वर्ष में इसे बढ़ाकर 5 हजार किया जाएगा।
-योजना के विस्तार से 2 लाख छात्र लाभान्वित होंगे।

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