मलेनाडु क्षेत्र में पहली बार आंत कैंसर का सफल एंडोस्कोपिक उपचारशिवमोग्गा में शनिवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते सह्याद्री नारायण अस्पताल के मेडिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉ. शिवकुमार वी।

शिवमोग्गा. मलेनाडु और मध्य कर्नाटक के प्रतिष्ठित अस्पतालों में से एक सह्याद्री नारायण अस्पताल ने एक और जटिल उपचार सफलतापूर्वक पूरा किया है। मलेनाडु में पहली बार, एंडोस्कोपिक एम्पुलरीएक्टोमी के माध्यम से एम्पुलरी एडेनोमा (कैंसर-पूर्व ट्यूमर) को ठीक कर रोगी को पुनर्जन्म दिया है।

शहर में शनिवार को संवाददाता सम्मेलन में मेडिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉ. शिवकुमार वी ने कहा कि उच्च रक्तचाप से गंभीर रूप से बीमार एक 72 वर्षीय महिला को हमारे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अग्नाशयशोथ के कारण उन्हें ईआरसीपी की सिफारिश की गई थी। डुओडेनोस्कोपी के दौरान एक एम्पुलरी ट्यूमर पाया गया, और एंडोसोनोग्राफी ने पित्त नली से छोटी आंत के पहले भाग तक फैले ट्यूमर की उपस्थिति की पुष्टि की (सीटी स्कैन)। बायोप्सी के नतीजों से उसमें कैंसर बनने के लक्षण होने का पता चलने से मरीज का इलाज एंडोस्कोपिक एम्पुलेक्टोमी से किया गया। इन सभी प्रक्रियाओं के बाद उन्हें मात्र 48 घंटे के भीतर अस्पताल से छुट्टी मिल गई।

उन्होंने कहा कि ऐम्पुलरी एडेनोमा (कैंसर-पूर्व घाव) दुर्लभ रोग है, जिसके कैंसर में विकसित होने में बहुत कम समय लगता है। मरीज का तत्काल निदान किया गया तथा उसके स्वास्थ्य में सुधार सुनिश्चित करने के लिए उचित एवं प्रभावी उपचार दिया गया। सामान्य लक्षणों में पीलिया, पेट दर्द, वजन घटना, थकान, उल्टी, मतली, अग्नाशयशोथ, लौह की कमी, एनीमिया और जठरांत्र संबंधी रक्तस्राव शामिल हैं।

उपलब्ध उपचार विधियां एंडोस्कोपी और सर्जरी हैं

डॉ. शिवकुमार ने कहा कि सर्जरी के दुष्प्रभावों में आंतों में छिद्र, पीलिया, रक्तस्राव तथा उपचार में बहुत लंबा समय लगना शामिल है। हमारे पास इलाज के लिए आया मरीज बुजुर्ग था और सर्जरी उसके लिए उपयुक्त नहीं थी, इसलिए उसका एंडोस्कोपिक एम्पुलरीएक्टॉमी किया गया और उसे 48 घंटे के भीतर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। एंडोस्कोपी पर एडेनोमा मैलिग्नेंसी का कोई सबूत न होने वाले रोगियों के लिए सर्जिकल रिसेक्शन के बाद एंडोस्कोपिक एम्पुलरीएक्टॉमी को प्राथमिकता दी जाती है। क्योंकि इससे असुविधा का परिणाम [10 फीसदी) कम हो जाता है। कुल अग्नाशय-ग्रहणी उच्छेदन, शल्यक्रिया के जरिए एम्पुलरीएक्टॉमी, रुग्णता दर और शल्यक्रिया के जरिए एम्पुलरीएक्टॉमी रुग्णता गैस्ट्रिक आउटलेट अवरोधन 42 प्रतिशत में अग्नाशयशोथ और कोलेंजाइटिस जैसी जटिलताएं हैं।

संवाददाता सम्मेलन में मेडिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के सहायक विशेषज्ञ डॉ. सुमेश नायर एस, इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. सतीश एमआर, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. चक्रवर्ती संडूर, प्रबंध निदेशक वर्गीस पी. जॉन, विपणन प्रमुख (कर्नाटक क्लस्टर प्रभाग) राजासिंह एसवी, विपणन प्रबंधक शैलेश एसएन आदि उपस्थित थे।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *