मरीजों को हो रही परेशानी
हुब्बल्ली.
गरीबों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकार ने गांवों और कस्बों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोले हैं परन्तु जिले के कई स्वास्थ्य केंद्रों में समय पर चिकित्सक उपलब्ध नहीं होने से मरीजों को परेशानी हो रही है।
धारवाड़ जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 32 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। हुब्बल्ली-धारवाड़ जुड़वां शहरों में 21 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। कुल 53 स्वास्थ्य केंद्रों में एमबीबीएस डॉक्टरों के मात्र 48 पद स्वीकृत हैं। इसमें से मात्र 35 चिकित्सक कार्यरत हैं और 13 पद रिक्त हैं। नगरीय क्षेत्रों के लिए स्वीकृत 13 पदों में से 4 पद रिक्त हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 35 में से 9 पद रिक्त हैं। साथ ही स्वीकृत 17 आयुष चिकित्सा अधिकारियों में से 4 पद रिक्त हैं।

दो अस्पतालों में कर रहे हैं मरीजों का इलाज

बिना स्थाई चिकित्सक वाले अस्पतालों की जिम्मेदारी अन्य अस्पतालों के चिकित्सकों को अतिरिक्त तौर पर दी गई है। अतिरिक्त जिम्मेदारी वाले चिकित्सक सप्ताह में तीन-तीन दिन के हिसाब से दो अस्पतालों में मरीजों का इलाज कर रहे हैं।

काम का बोझ बढ़ा

यानी इन अस्पतालों में सप्ताह में तीन दिन डॉक्टर (चिकित्सक) उपलब्ध नहीं रहते हैं। गत दिवस चिकित्सक को नहीं होने के कारण चिकित्सक के आने वाले दिन बड़ी संख्या में मरीज अस्पताल में आ रहे हैं। इससे डॉक्टरों पर काम का बोझ बढ़ गया है और मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

निजी अस्पताल में जाना अनिवार्य

यदि कोई रोगी उन दिनों आपातकालीन उपचार के लिए आता है जब कोई डॉक्टर नहीं होता है, तो उत्तर मिलेगा कल आना। अगर मरीज इंतजार करने (वेटिंग) की स्थिति में नहीं है तो निजी अस्पताल में जाना अनिवार्य है।

स्वास्थ्य देखभाल पर ध्यान दें

अपनी पत्नी को हुब्बल्ली के रामलिंगेश्वर नगर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर आए बसवन्ना ने कहा कि उनकी पत्नी गर्भवती है। जांच के लिए लाने पर डॉक्टर नहीं है। कल आने को कहा है। हमें अपना काम-काज छोडकऱ अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। सरकार को सभी अस्पतालों में आवश्यक डॉक्टरों की नियुक्ति करनी चाहिए और गरीब लोगों की स्वास्थ्य देखभाल पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें स्वास्थ्य सेवा पर पैसा खर्च करने से छुटकारा दिलाना चाहिए।

देर से आते हैं डॉक्टर

रामलिंगेश्वर नगर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तेज बुखार के कारण आई एक बुजुर्ग महिला ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वे बैठ भी नहीं सकती। जिस डॉक्टर को सुबह 9 बजे आना था, वे 11.30 बजे आए हैं।

कम से कम 500 रुपए चाहिए

डॉक्टर नहीं होने के कारण कुछ लोगों को मजबूरी में निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है। वहां इलाज और दवा पर कम से कम 500 रुपए खर्च होते हैं। हम जैसे गरीब लोगों के लिए यह मुश्किल है। कई बार सरकारी अस्पतालों में दवाएं ही नहीं होती हैं। बाहर से खरीदकर लाने के लिए पर्ची लिखकर देते हैं।
रमन्ना बडिगेर, मरीज

डॉक्टरों को अतिरिक्त जिम्मेदारी दी है

डॉक्टरों की कमी होने के बावजूद जनता के स्वास्थ्य सेवा में कोई व्यवधान न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए उपलब्ध डॉक्टरों को अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। कुछ जगहों पर डॉक्टरों के अस्पताल देर से आने के बारे में पता चला है। हम अस्पतालों को समय पर आने के लिए सर्कुलर जारी करते रहे हैं।
डॉ. शशि पाटिल, जिला स्वास्थ्य अधिकारी

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