सांप काटे व्यक्ति के रक्त नमूने संग्रह
जहर की तीव्रता के आधार पर इलाज
किम्स चिकित्सकों का अनुसंधान
हुब्बल्ली. सांप के काटने के बाद व्यक्ति के शरीर में जहर की मात्रा कितनी है? इसका स्वास्थ्य पर क्या असर हो सकता है? और उसके लिए किस प्रकार की उन्नत चिकित्सा दी जा सकती है — इन सभी पहलुओं पर कर्नाटक मेडिकल कॉलेज एवं रिसर्च इंस्टीट्यूट (केएमसीआरआई) के मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट (एमआरयू) के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने एक अनोखा शोध किया है। यह देश का पहला ऐसा अनुसंधान है, जिससे यह संस्थान गर्व का पात्र बना है।
ब तक सभी रोगियों को एक जैसे एंटी-वेनम इंजेक्शन दिए जाते थे, परन्तु इस अनुसंधान में हर रोगी को उसके शरीर में मौजूद जहर की तीव्रता के आधार पर इलाज देने की दिशा में काम किया गया है। केएमसीआरआई के एमआरयू यूनिट के नोडल अधिकारी डॉ. राम कौलगुड्ड के नेतृत्व में डॉ. तौसीफ हसन, वैज्ञानिक डॉ. अरुण शेट्टर, डॉ. शिवकुमार बेलूर, और तकनीशियन वीरश, अनघरानी की टीम ने इस उन्नत इलाज की पद्धति को विकसित किया है।
क्या है यह शोध?
विशेषज्ञ डॉक्टर का कहना है कि जब किसी व्यक्ति को सांप काटता है और वह अस्पताल पहुंचता है, तो इलाज से पहले उसके रक्त का नमूना लिया जाता है। उसमें मौजूद एंजाइम्स (जहर की मात्रा) का पता लगाने के लिए न्यूक्लियोटाइडेस और फॉस्फोलिपेस ए2 (पीएल ए2) की जांच की जाती है। इस परीक्षण से यह स्पष्ट होता है कि व्यक्ति के शरीर में जहर कितनी मात्रा में मौजूद है, और उसी के अनुसार इलाज दिया जाता है।
उनका कहना है कि पहले ऐसे मामलों में बिना देर किए महंगे एंटी-स्नेक वेनम इंजेक्शन दे दिए जाते थे। इस नई चिकित्सा पद्धति से अब मरीज को बेवजह महंगा इलाज नहीं दिया जाएगा और ना ही उससे कोई हानि होगी। इस शोध के दौरान 59 पुरुषों और 23 महिलाओं सहित कुल 82 लोगों के रक्त की जांच की गई है। उनके खून में मिले एंजाइम्स के आधार पर इस नई उपचार पद्धति को तैयार किया गया है।
विशेषज्ञ डॉक्टर ने कहा कि अगर सांप के काटे व्यक्ति के रक्त में विष (एंजाइम) की मात्रा अधिक हो, थकान या रक्तस्राव हो, तभी एएसवी (एंटी-स्नेक वेनम) इंजेक्शन दिया जाएगा। कभी-कभी तो केवल काटे का निशान होता है परन्तु और कोई लक्षण नहीं दिखते। ऐसे में मरीज कहते हैं कि वे ठीक हैं, केवल टेटनस का इंजेक्शन देकर भेज दें परन्तु यदि उनके रक्त में न्यूक्लियोटाइडेस और पीएलए 2 एंजाइम्स की मात्रा अधिक हो, तो उन्हें यूं ही नहीं भेजा जा सकता। उन पर नजर रखनी होती है, ऐसा कहते हैं।
यही रिसर्च का मुख्य उद्देश्य है
हमारे द्वारा खोजे गए इन दोनों रक्त परीक्षण विधियों से यह स्पष्ट हो जाता है कि सांप का काटना कितना गंभीर और जानलेवा है। इसी आधार पर इलाज किया जा सकता है, और यही हमारी रिसर्च का मुख्य उद्देश्य है।
–डॉ. राम एस. कौलगुड्ड, नोडल अधिकारी, एमआरयू, केएमसीआरआई