उडुपी. उडुपी और दक्षिण कन्नड़ जिलों में लाखों मछुआरे हैं, परन्तु संकट की घड़ी में उनकी जान बचाने वाले जीवन रक्षक जैकेट देने के लिए मत्स्य विभाग के पास कोई अनुदान ही नहीं है!
कारण यह है कि मत्स्य विभाग को जीवन रक्षक जैकेट देने के लिए सिर्फ 5 लाख रुपए का ही अनुदान मिलता है।
एक जीवन रक्षक जैकेट की कीमत 2,500 रुपए है। इस हिसाब से सिर्फ 200 लोगों को जैकेट देने पर ही पूरा अनुदान खत्म हो जाता है। बाकी लोगों को अगला साल आने तक इंतजार करना पड़ता है परन्तु गंगोली में मंगलवार को नाव दुर्घटना होने पर, मत्स्य मंत्री, जिला प्रभारी मंत्री और विधायक सभी ने सबसे पहले यही सलाह दी थी कि मछुआरों को समुद्र में उतरते समय जीवन रक्षक जैकेट पहनना अनिवार्य है। असल में सरकार जो जीवन रक्षक जैकेट देती है, उसकी संख्या बहुत कम है— जैसे भीम के पेट को आधा गिलास छाछ देने जैसा।
संख्या बहुत बड़ी, अनुदान बेहद कम
उडुपी जिले में विभिन्न प्रकार की मछली पकडऩे वालों की संख्या लगभग 2.30 लाख है। दक्षिण कन्नड़ जिले में भी बड़ी संख्या में मछुआरे हैं परन्तु उपलब्ध जैकेट की संख्या मांग की तुलना में बहुत कम है, जो यह दर्शाती है कि आपूर्ति और मांग में कोई संतुलन नहीं है।
उडुपी जिले में वर्ष 2020-21 में कोई वितरण नहीं किया। 2021-22 में लगभग 150, 2022-23 में 200 और 2023-24 में 200 लोगों को जीवन रक्षक जैकेट दिए गए। 2024-25 में वितरण की प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हुई है।
इन जैकेट्स की उपयोगिता अधिकतम 3 से 4 वर्षों तक ही होती है, उसके बाद दोबारा आवेदन देना पड़ता है।
यही आंकड़े दक्षिण कन्नड़ जिले में भी हैं। वर्ष 2020-21 में कोई वितरण नहीं। 2021-22 में लगभग 150, 2022-23 में 200 और 2023-24 में 200 लाभार्थियों को जैकेट दिए गए हैं। 2024-25 में वितरण प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हुई है।
इस बीच, कई बार सालों तक अनुदान आ भी सकता है और नहीं आता। ऐसे वर्षों में वितरण नहीं होता। साथ ही, यह जैकेट सिर्फ छोटी नाव (देशी नाव) वालों को नहीं, बल्कि हर तरह के मछुआरों को दिया जाता है। इस वजह से यह स्पष्ट है कि मछुआरों की संख्या के अनुसार पर्याप्त वितरण नहीं हो रहा है, यह कोई आरोप नहीं, बल्कि सच है। कुछ शिकायतें यह भी हैं कि विभाग से जैकेट मिलने के बावजूद कई मछुआरे उनका उपयोग नहीं करते।
मछुआरों का कहना है कि जीवन रक्षक जैकेट दुर्घटनाओं में जान बचाने के लिए बहुत उपयोगी हैं। इसलिए मछुआरों को इस संबंध में सचेत रहना चाहिए। मछुआरा संघ और संस्थाओं को इस पर विशेष ध्यान देते हुए वितरण में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
मुआवजा अब तक नहीं मिला
47 मामलों में से सिर्फ 29 मृतकों के परिवारों को ही मुआवजा चेक वितरित किए गए हैं। 18 मृतकों के परिवारों को अब तक कोई मुआवजा नहीं मिला है। पहले मृत मछुआरों के परिवारों को 6 लाख रुपए मुआवजे के तौर पर दिए जाते थे, अब इसे बढ़ाकर 10 लाख रुपए कर दिया गया है। नाव, जाल व अन्य उपकरणों की क्षति पर भी मुआवजा दिया जाता है।