औसत से अधिक बारिश, यूरिया की कमी
गदग. नरगुंद तालुक में पिछले एक सप्ताह से लगातार बारिश होने से भूमि में नमी की मात्रा बढ़ गई है, जिससे किसान चिंता में पड़ गए हैं। इस क्षेत्र की प्रमुख वाणिज्यिक फसल मक्का पानी में डूब जाने से शुरूआती विकास ही रुक गया है।
मानसून सीजन में नविलतीर्थ जलाशय पर निर्भर मलप्रभा सिंचाई नहरों से जुड़े खेतों में लगभग 50 प्रतिशत किसानों ने मक्का बोई थी। समय पर बारिश होने के कारण किसान प्रति एकड़ 25 से 35 क्विंटल उपज की उम्मीद कर रहे थे परन्तु एक सप्ताह से लगातार बारिश होने से मक्का में अधिक नमी, रोग और आर्मीवर्म (सैनिक कीट) का प्रकोप बढ़ गया है, जिससे विकास प्रभावित हुआ है।
यूरिया की कमी
कुल 17,225 हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का की बुवाई हुई है। लगातार बारिश के कारण फसल को यूरिया की जरूरत है, परन्तु उपलब्ध न होने से यह लाल रोग की चपेट में आ रही है।
औसत से अधिक बारिश
तालुक में जुलाई में नरगुंद होबली (राजस्व केंद्र) में 60.1 मिमी बारिश होनी चाहिए थी, परन्तु 95.3 मिमी बारिश हुई है। कोन्नूर होबली में 71.3 मिमी (औसत 60.5 मिमी) बारिश हुई। 1 से 10 अगस्त के बीच नरगुंद होबली में 76.6 मिमी (औसत 21.8 मिमी) बारिश दर्ज हुई है।
आवश्यक यूरिया की आपूर्ति की जा रही है
तालुक में अधिकांश किसानों ने मक्का बोई है। आवश्यक यूरिया की आपूर्ति की जा रही है। सभी किसानों तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। अब तक 1,000 मीट्रिक टन से अधिक खाद दी जा चुकी है और आगे और आएगी।
–एम.एस. कुलकर्णी, सहायक निदेशक, कृषि विभाग
फसल मुआवजे दें
यूरिया की कमी, अत्यधिक बारिश, रोग और आर्मीवर्म के हमले जैसे कारणों से मक्का की फसल को नुकसान हुआ है। इसलिए सरकार से मांग की है कि मक्का उगाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 50,000 रुपए का फसल नुकसान मुआवजा देना चाहिए।
–एस.एस. पाटील, जिला अध्यक्ष, भारतीय किसान संघ
