स्थानीय समस्याओं के लिए एआई आधारित समाधान

आईआईआईटी-धारवाड़ द्वारा आयोजित जन एआई कॉन्क्लेव

हुब्बल्ली. कर्नाटक इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी सोसायटी (केआईटीएस) के प्रबंध निदेशक एवं आईएएस अधिकारी राहुल संकनूर ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा शुरू किया गया लोकल इकोनॉमी एक्सेलरेटर प्रोग्राम (एलईएपी) भारत की कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) प्रतिभा को सशक्त बनाने वाला ब्लॉकबस्टर पहल साबित होगा।

वे धारवाड़ में बृहस्पतिवार को आईआईआईटी-धारवाड़ द्वारा आयोजित जन एआई कॉन्क्लेव की जानकारी देते हुए पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

संकनूर ने बताया कि राज्य सरकार ने इस कार्यक्रम के लिए 1,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है और इसके तहत 17 एआई-केंद्रित पहलों को शामिल करने की योजना है।

उन्होंने कहा कि बेंगलूरु जहां 7,000 से अधिक स्टार्टअप्स कार्यरत हैं (जो भारत की कुल संख्या का 20 प्रतिशत है), जो देश का स्टार्टअप हब बन चुका है। यह दुनिया के शीर्ष 10 स्टार्टअप गंतव्यों में शुमार है और शीर्ष पाँच एआई प्रतिभा केंद्रों में भी शामिल है।

स्थानीय समस्याओं के लिए एआई आधारित समाधान

एमआईटी मीडिया लैब्स के प्रो. शांतनु भट्टाचार्य ने कहा कि भारत को अपनी स्थानीय समस्याओं के समाधान के लिए क्षेत्र-विशिष्ट माइक्रो टेम्पलेट्स विकसित करने चाहिए। उनके अनुसार एआई कृषि, स्वास्थ्य सेवा और भाषा तकनीकों को नया रूप दे सकता है। वॉइस-बेस्ड मॉड्यूल्स तथा छोटे विक्रेताओं के लिए एप्स ग्रामीण आय बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं।

हेड हेल्ड हाई फाउंडेशन के ट्रस्टी मदन पदकी ने बताया कि जन एआई पहल का उद्देश्य ग्रामीण समुदायों को एआई के माध्यम से सशक्त बनाना है। अब तक 3,500 लोगों ने इसमें पंजीकरण कराया है, जिनमें से 1,500 कोर्स पूरा कर प्रमाणित हो चुके हैं। इस पहल का लक्ष्य ऐसे एआई उद्यमी तैयार करना है, जो ग्रामीण क्षेत्रों तक व्यावहारिक समाधान पहुँचा सकें। साथ ही जन एआई केंद्रों की स्थापना से गाँवों में एआई विलेज पारिस्थितिकी तंत्र विकसित होगा।

आईआईआईटी-धारवाड़ निदेशक महादेव प्रसन्ना ने कहा कि संस्थान आम लोगों के लिए एआई को सुलभ बनाने की दिशा में अहम भूमिका निभा रहा है। उनका कहना है कि एआई उतना ही सर्वसुलभ होना चाहिए जितना आज यूपीआई भुगतान प्रणाली है।
वर्तमान में छात्र दो एआई ऐप विकसित कर रहे हैं

महादेव प्रसन्ना ने कहा कि आईआईआईटी-धारवाड़ के छात्र वर्तमान में दो एआई-संचालित ऐप विकसित कर रहे हैं, एक कृषि के लिए और दूसरा स्वास्थ्य सेवा के लिए। कृषि एआई ऐप किसानों को रोगग्रस्त फसलों की तस्वीरें लेने की सुविधा देता है, जिसके बाद एआई तुरंत समस्या का निदान करता है और उपाय सुझाता है। इसी तरह मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के लिए एक मानसिक स्वास्थ्य ऐप भी डिज़ाइन किया जा रहा है। मानसिक स्वास्थ्य ऐप के जरिए मानसिक रोगियों को एआई आधारित मनोचिकित्सीय सहयोग प्रदान करेगा।

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