30 हजार मरीजों का सहारा
राज्य सरकार ने खारिज की मांग
मेंगलूरु. दक्षिण कन्नड़ जिले के मेंगलुरु स्थित वेनलॉक अस्पताल को क्षेत्रीय (डिविजनल) अस्पताल का दर्जा देने की लंबे समय से उठ रही मांग को राज्य सरकार ने खारिज कर दिया है।
हर साल करीब 30,000 मरीज यहां इलाज कराते हैं। अस्पताल की बुनियादी सुविधाएं पहले ही उन्नत हो चुकी हैं और यह केवल दक्षिण कन्नड़ ही नहीं बल्कि आसपास के आठ जिलों और पड़ोसी राज्य के कासरगोड के मरीजों को भी सेवा दे रहा है। इसके बावजूद सरकार ने यह कहते हुए प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया कि जिला अस्पताल को क्षेत्रीय अस्पताल घोषित करने के लिए कोई दिशा-निर्देश मौजूद नहीं हैं। साथ ही, सरकार का तर्क है कि यहां पहले से ही आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं, इसलिए अलग से क्षेत्रीय दर्जा देने का कोई विशेष लाभ नहीं होगा।
167 साल पुराने इतिहास वाला यह अस्पताल राज्यभर में एक मॉडल अस्पताल माना जाता है। निजी अस्पतालों में मिलने वाली कई आधुनिक और महंगी सेवाएं यहां गरीब मरीजों को मुफ्त उपलब्ध हैं। इस कारण कई बार जिला योजना समिति और जनप्रतिनिधियों ने इसे क्षेत्रीय अस्पताल बनाने की मांग रखी थी।
विधान परिषद सदस्य आइवन डीसूजा ने बताया कि वेनलॉक को क्षेत्रीय अस्पताल का दर्जा देने की मांग सरकार के समक्ष रखी गई थी। सरकार ने दिशा-निर्देश न होने का हवाला दिया है, परन्तु नियमों में संशोधन कर इसे क्षेत्रीय अस्पताल बनाने की मांग फिर से की गई है। जल्द ही इस पर सकारात्मक घोषणा होने की उम्मीद है।
कर्मचारियों की भारी कमी
स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल में कर्मचारियों की भारी कमी है। कुल 618 स्वीकृत पदों में से सिर्फ 194 ही कार्यरत हैं, जबकि 424 पद खाली पड़े हैं। फिलहाल 195 ग्रुप-डी संविदा कर्मचारी काम कर रहे हैं। क्षेत्रीय अस्पताल का दर्जा मिलने पर कर्मचारियों की नियुक्तियां दोगुनी हो सकेंगी।
क्षेत्रीय अस्पताल बनने से लाभ
यदि वेनलॉक को क्षेत्रीय अस्पताल घोषित किया जाता है तो यह आसपास के जिलों का केंद्रीय अस्पताल बन जाएगा। प्रशासनिक स्तर पर केएएस अधिकारी नियुक्त होंगे। विशेषज्ञ डॉक्टरों और नर्सों की संख्या बढ़ेगी, बेड की क्षमता बढ़ेगी और ऑक्सीजन, आईसीयू जैसी बुनियादी सुविधाओं का और विस्तार होगा।
