अपने खेत में बकरी पालन करते कलबुर्गी जिले के अफजलपुर तालुक के हसरगुंडगी का एमएसडब्ल्यू स्नातकोत्तर किसान हनुमंतप्पा बेलगुम्पी।

सालाना 14 लाख रुपए की हो रही कमाई
किसानों के लिए बने रोल मॉडल बने हनुमंतप्पा
कलबुर्गी.
आज लोग खेती से दूर भाग रहे हैं। आज किसान को कोई भी अपनी बेटी नहीं दे रहा है। किसान सूखा, अत्यधिक बारिश, खाद के बढ़ते दाम आदि से परेशान होकर खेती से दूर होते जा रहे हैं।
ऐसे में कलबुर्गी जिले के अफजलपुर तालुक के हसरगुंडगी का एमएसडब्ल्यू स्नातकोत्तर हनुमंतप्पा मल्लेशप्पा बेलगुम्पी (58) पिछले 15 वर्षों से 15 एकड़ शुष्क और 7 एकड़ सिंचित जमीन पर जैविक टिकाऊ पद्धति से बागवानी और खाद्यान्न उगाकर सालाना 14 लाख रुपए से अधिक कमा रहे हैं।
मधुमक्खी, बकरी पालन, वर्मीकम्पोस्टिंग, जीवामृत, बायोपेस्टीसाइड्स, जैविक तूरदाल उत्पादन और कृषिशाला की शुरुआत करके किसानों के लिए रोल मॉडल बने हैं।

जैविक संत के नाम से जाने जाते हैं
हनुमंतप्पा चेन्नई कैंसर अस्पताल में सलाहकार थे। लोगों को बुरी आदतों के बिना कैंसर इलाज के लिए वहां आते देख चौंक गए। गहन अध्ययन से पाया कि फूड पॉइज़निंग ही इसका मुख्य कारण है। उन्होंने गैर विषैले खाद्यान्न का उत्पादन करने का फैसला किया और नौकरी छोड़ दी। अपने खेत में पत्नी जगदेवी की मदद से जैविक खेती के दसियों प्रयोग किए और आज जैविक संत के नाम से जाने जाते हैं।

फसलों की रक्षा के लिए जैविक कीटनाशक का उपयोग
हनुमंतप्पा दो एकड़ में 100 आम, 100 चीकू, 500 अमरूद, 50 सीताफल, 100 नारियल, 100 नींबू और 200 सागवान के पेड़ उगाए हैं। उन्होंने बागवानी फसलों के लिए गहरे गड्ढे खोदे और उसमें विभिन्न जैविक खाद डालकर जमीन की उर्वरता को बढ़ाया। पौधे से पौधे तक और पंक्ति से पंक्ति तक 20 गुणा 20 फीट दूरी पर पौधों का रोपण किया है। शेष भूमि पर गन्ना और अन्य खाद्य फसलों को उगाते हैं। कृषि एवं उद्यान विभाग से फार्मपॉन्ड एवं ड्रिप सिंचाई के लिए सब्सिडी प्राप्तकर सप्ताह में एक बार ड्रिप सिंचाई से फसलों को पानी देते हैं। फसलों की रक्षा के लिए जैविक कीटनाशक का उपयोग करते हैं।

14 लाख रुपए शुद्ध आय
हनुमंतप्पा बेलगुम्पी ने भारत की आवाज से बातचीत करते हुए कहा कि हर साल 40 क्विंटल आम, 20 क्विंटल चीकू, 40 क्विंटल अमरूद का उत्पादन होता है। उत्पादित सभी फल और खाद्यान्न स्वयं कलबुर्गी के ऐवान-इ-शाही मंडी में बेचते हैं। सभी फसलों के वार्षिक रखरखाव के लिए 3 लाख रुपए खर्च होते हैं और 14 लाख रुपए शुद्ध आय प्राप्त होता है।

“बेळगुम्पि” ब्रांड नाम से बिक्री
उन्होंने कहा कि पांच गाय और 17 बकरी पालन से जीवामृत उत्पादन, केंचुआ खाद के आठ यूनिट से सालाना 10 टन केंचुआ खाद का उत्पादन करके अपने खेत में उपयोग के साथ साथ किसानों को भी बेचते हैं। मधुमक्खी पालन से प्रति वर्ष 100 कि.ग्रा. शहद और मिनीदाल मिल से जैविक तूरदाल का उत्पादन करके “बेळगुम्पि” ब्रांड नाम से बिक्री कर रहे हैं।

तीन दिवसीय प्रशिक्षण की योजना
हनुमंतप्पा ने कहा कि पिछले एक साल से राज्य के विभिन्न जिलों के 600 किसानों और कृषि छात्रों को जैविक खेती में उत्पादन से लेकर बाजार तक की योजना बनाने तथा अन्य विधि पर एक दिवसीय कृषि कार्यशाला आयोजित कर प्रशिक्षण दिया है। तीन दिवसीय प्रशिक्षण की योजना बनाई है।

कई पुरस्कार मिले हैं
उन्हें राज्य सरकार के कृषि पंडित, बैंक ऑफ बड़ौदा की ओर से महान किसान, विभिन्न समाचार पत्र एवं चैनलों की ओर से किसान रत्न पुरस्कारों के अलावा विभिन्न संघ-संस्थाओं की ओर से भी कई पुरस्कार मिले हैं।

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