खेतों में धान की लहलहाती फसल
कविताल (रायचूर). भारतमाला परियोजना के तहत बेलगावी-रायचूर फोर लेन राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण कार्य में अपनी जमीन से मुरम (मिट्टी-पत्थर) देने वाले किसानों ने समझदारी से लाभ उठाया है। मुरम निकालने के स्थान पर छोटे-छोटे तालाब बनवाकर उन्होंने खेतों में पानी रोकने की व्यवस्था की। इन तालाबों में बरसात का पानी जमा होने से अब धान की हरियाली खेतों में लहलहा रही है।
कविताल क्षेत्र के करीब 25 से अधिक किसानों ने अपने खेतों में ऐसे तालाब बनाए हैं। इन तालाबों से नाला जल को मोडक़र संग्रहित किया जा रहा है, जिससे खरीफ और गर्मी दोनों मौसम में खेती करना संभव होगा। किसान बताते हैं कि निजी खर्च से तालाब बनवाने में 5-6 लाख रुपए लगते थे, जो हर किसान के लिए संभव नहीं था परन्तु मुरम के बदले बने तालाबों ने उन्हें यह सुविधा दी है।
यह पहल न केवल फसल सुरक्षा का साधन बनी है बल्कि किसानों के लिए दीर्घकालिक सिंचाई सुविधा भी सुनिश्चित कर रही है।
किसान तायप्पा यादव ने बताया कि उन्होंने आठ एकड़ जमीन में से एक एकड़ पर तालाब बनवाया और अब सात एकड़ में धान की खेती कर रहे हैं।
किसान गोलप्पा यादव और करियप्पा का कहना है कि तालाब में पानी भरने से फसलों को सूखे समय बचाया जा सकता है और बोरवेल का जलस्तर भी बढ़ता है।
