पुनर्वास के बदले पसंद की जगह पर घरबागलकोट में खाली पड़ा पुनर्वास केंद्र।

तीसरे चरण में डूबने वाले गांवों की पुनर्वास नीति पर सरकार असमंजस में

कृष्णा ऊपरी तट परियोजना

136 पुनर्वास केंद्रों में से 52 प्रतिशत आज भी खाली

बागलकोट. उत्तर कर्नाटक की बहुप्रतीक्षित कृष्णा ऊपरी तट परियोजना (यूकेपी) के तीसरे चरण में डूबने वाले क्षेत्र में आने वाले 22 गांवों के पुनर्वास को लेकर सरकार स्पष्ट निर्णय नहीं ले पा रही है। इस बार पुनर्वास केंद्र (आर.सी.) बनाने के बजाय प्रभावितों को सीधे मुआवजा देकर उन्हें अपनी पसंद की जगह पर घर बनाने की अनुमति देने पर विचार किया जा रहा है।

पहले चरणों से मिली सीख

यूकेपी के पहले और दूसरे चरण में विजयपुर, बागलकोट, यादगीर और बेलगावी जिलों के कुल 176 गांव डूब क्षेत्र में आए थे। नारायणपुर बांध से 40 और आलमट्टी बांध से 136 गांव प्रभावित हुए थे। इन गांवों के लिए बनाए गए 136 पुनर्वास केंद्रों में से 52 प्रतिशत आज भी खाली पड़े हैं, और करोड़ों की लागत से बने स्कूल, अस्पताल, आंगनवाड़ी व अन्य सुविधाएं अब खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं।

तीसरे चरण में नई रणनीति

आलमट्टी बांध का जलस्तर 519.60 मीटर से बढ़ाकर 524.256 मीटर करने के बाद विजयपुर जिले के 2 और बागलकोट जिले के 20 गांव समेत कुल 22 गांव डूब क्षेत्र में आएंगे। सरकार अब इन गांवों के मकानों का मूल्यांकन कर प्रभावितों को उचित मुआवजा देने और उन्हें अपनी पसंद की जगह पर घर बनाने की छूट देने की योजना पर गंभीरता से विचार कर रही है।

विरोध के स्वर

सरकार के इस प्रस्ताव का प्रभावितों में विरोध शुरू हो गया है। उनका कहना है कि पहले से बनाए गए आर.सी. केंद्र अब शहरों के समीप विकसित हो चुके हैं और उनकी जमीन की कीमतें कई गुना बढ़ गई हैं। ऐसे में पुनर्वास केंद्रों को छोडक़र मुआवजा देना उचित नहीं होगा।

सामूहिक पुनर्वास की मांग

विस्थापितों का कहना है कि केवल मुआवजा देना नए भू-अधिग्रहण कानून के तहत पुनर्वास की परिभाषा में नहीं आता। इससे परिवार बिखर जाएंगे और सामाजिक संरचना टूटेगी। इसलिए सामूहिक पुनर्वास केंद्र बनाकर, पुरानी बस्तियों के पास ही नई बसावट की व्यवस्था करनी चाहिए।

अपना निर्णय बदल रही सरकार

हमारा गांव या तो पूरी तरह डूबेगा या खेत डूबेंगे – दोनों ही स्थितियों में असमंजस है। पहले तय किया था कि गांव पूरी तरह डूबेगा तभी आर.सी. केंद्र में जाएंगे। अब सरकार अपना निर्णय बदल रही है।
श्रीशैल मुरनाळ, विस्थापित, साळगुंडी गांव

सरकार का पक्ष

डूब क्षेत्र के लोगों को पुनर्वास केंद्रों में बसाना चाहिए या उन्हें मुआवजा देकर स्वविवेक से घर बनाने की छूट देनी चाहिए- इस पर विचार चल रहा है। पुराने केंद्रों का उपयोग नहीं हो सका और करोड़ों की लागत से बने भवन बेकार पड़े हैं। सभी पहलुओं पर विचार कर उचित निर्णय लिया जाएगा।
आर.बी. तिम्मापुर, आबकारी एवं जिला प्रभारी मंत्री, बागलकोट

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